चीता रहवास के लिए गांधी सागर सेंचुरी से बेहतर है नौरादेही अभ्यारण्य


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स्टोरी हाइलाइट्स

विशेषज्ञों का मानना है कि गांधी सागर अभ्यारण्य से कहीं अधिक उपयुक्त नौरादेही सेंचुरी है..!

भोपाल कूनो नेशनल पार्क में चीता की मौत के मंदसौर स्थित  गांधी सागर सेंचुरी नया रहवास बनाने की शुरुआत हो गई है. जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि गांधी सागर अभ्यारण्य से कहीं अधिक उपयुक्त नौरादेही सेंचुरी है. गांधी सागर सेंचुरी से 4 गुना बड़ा एरिया नौरादेही सेंचुरी का है. पर्यटक की नजरिए से भी नौरादेही सेंचुरी तक पहुंचना आसान है. इसके अलावा नौरादेही में बेहतर ग्रास लैंड, घने जंगल और मैदानी इलाका है तो पहाड़-पठार भी हैं. यानी चीता के सरवाइव के लिए वह सब मौजूद है, जो उसके लिए उपयुक्त है.

एक वन्य प्राणी विशेषज्ञ आईएफएस अफसर का दावा है कि चीता के लिए सबसे उपयुक्त रहवास नौरादेही सेंचुरी बन सकता है पर सरकार के नजरिए में गांधी सागर सेंचरी को चीता के लिए चैन लिंक फेंसिंग का काम शुरू होने जा रहा है.

नौरादेही सेंचुरी का बारीकी से अध्ययन करने वाले आईएफएस अफसर का कहना है कि नौरादेही सेंचुरी का क्षेत्रफल 1186.961 वर्ग किलोमीटर है जो कि गांधी सागर सेंचुरी से 4 गुना बड़ा है. यहां का इकोसिस्टम गांधी सागर सेंचुरी से कहीं अधिक बेहतर है. यहां पर पर्याप्त मात्रा में शाकाहारी जानवर हैं.

कूनो में हुए ट्रैकिंग टीम पर हमले का उदाहरण देते हुए आईएफएस अधिकारी ने बताया कि नौरादेही सेंचुरी का 800 वर्ग किलोमीटर का एरिया ऐसा है जहां पर कोई बसाहट नहीं है. यानि चीता के स्वच्छंद विचरण के लिए यह सबसे उपयुक्त इलाका है. यहां की जनता का सपोर्टिंग नेचर भी चीता के सरवाइव करने के लिए महत्वपूर्ण है. टाइगर को रिलोकेट करने में मिली सफलता के बाद नौरादेही सेंचुरी में चीता की भी सफलतापूर्वक बसाहट की जा सकती है.

गांधी सागर सेंचुरी में बनी रह सकती है समस्याएं

गांधी सागर सेंचुरी का एरिया 368. 62 वर्ग किलोमीटर है. कूनो नेशनल पार्क से चीता को गांधी सागर सेंचुरी में शिफ्ट करने पर समस्याएं बनी रह सकती हैं, क्योंकि उपयुक्त ग्रास लैंड नहीं है. अभी उसे डेवलप करना पड़ेगा. यह कहना पूर्व डीएफओ का है. यहां इसके अलावा शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या कम है. इसके अलावा भविष्य में चीता का पॉपुलेशन बढ़ता है तो यहां से भी चीता को शिफ्ट करना पड़ सकता है. जबकि नौरादेही सेंचुरी कॉरडोर एरिया में आता है. नौरादेही सेन्चुरी में चीता का पापुलेशन बढ़ने की स्थिति में वह अपने आप दूसरे एरिया में जा सकते है. इसके साथ ही केन-बेतवा प्रोजेक्ट के तहत पन्ना और नौरादेही सेंचुरी को जोड़े जाने का प्रस्ताव है. इससे कॉरिडोर और सशक्त हो जाएगा. इसके साथ ही इसका एरिया भी और बढ़ेगा. वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट के लिए फंडिंग की भी आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि केन-बेतवा प्रोजेक्ट के तहत 3000 करोड़ रूपया वन्य प्राणी शाखा को मिलेगा.

पर्यटन के नजरिए से भी नौरादेही बेहतर

कूनो नेशनल पार्क से चीता को नौरादेही सेंचुरी में शिफ्ट किया जाता है तो यहां टूरिस्ट अधिक संख्या में और सुगमता से पहुंच सकेंगे, क्योंकि भोपाल और जबलपुर रोड पर स्थित है. भोपाल से नौरादेही सेंचुरी पहुंचने में 4 घंटे समय लगता है. जबकि गांधी सागर सेंचरी पहुंचने के लिए पर्यटकों को भोपाल से साडे 6 घंटे का समय लगेगा. पर्यटन सर्किट के नजरिए से भी नौरादेही सेंचुरी सबसे उपयुक्त स्थान है. विदेशी पर्यटकों के लिए भी नौरादेही सबसे मुफीद एरिया है. इसकी मुख्य वजह यह है कि भोपाल में एयरपोर्ट का होना.