भोपाल। आदिवासियों के लिये पिछले साल लागू किये गये पेसा नियम अप्रभावी हो गये हैं। जहां पिछले साल आदिवासी ब्लाकों की 268 ग्राम सभाओं ने तेंदूपत्ते के संग्रहण एवं व्यापार को स्वयं करने की सहमति दी थी, वहीं इस साल 15 दिसम्बर तक सिर्फ 240 ग्राम सभाओं ने ही यह कार्य स्वयं करने की सहमति दी है। इससे स्पष्ट है कि राज्य के वन विभाग के अंतर्गत कार्यरत मप्र लघु वनोपज सहकारी संघ तेंदूपत्ते के संग्रहण एवं व्यापार का अच्छा कार्य कर रहा है जिससे आदिवासियों को ज्यादा लाभ हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि पेसा नियमों के तहत अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा चाहें तो तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य स्वयं भी कर सकती है। पिछले वर्ष प्रदेश में 268 ग्राम सभाओं द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण एवं व्यापार का कार्य स्वयं करने का निर्णय लिया गया था। इसमें लघु वनोपज संघ ने ही उनकी मदद की थी। लेकिन इस साल सिर्फ 240 ग्राम सभाओं ने ही सहमति दी है।
बढ़ा दी है संग्रहण दर राज्य में गठित नई मोहन यादव सरकार ने अपने चुनावी घोषण-पत्र के अनुसार, तेंदूपत्ते की संग्रहण दर 3 हजार रुपये से बढ़ाकर 4 हजार रुपये मानक बोरा कर दी है। इससे भी आदिवासी बहल ग्राम सभाओं द्वारा इस बार तेंदूपत्ते के संग्रहण एवं व्यापार को स्वयं करने में रुचि नहीं दिखाई है।