योग के संबंध में भ्रांतियां : YOG करामात और चमत्कार नहीं| एक व्यक्ति अपने हाथ में एक लम्बी रस्सी लिए हुए एक विशेष मंच पर प्रकट होता है। जिज्ञासु श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करते हुए वह रस्सी के एक किनारे को पकड़ते हुए दूसरे किनारे को हवा में फेंकता है। रस्सी लहराती हुई ऊपर जाती है और किसी सहारे के बिना हवा में सीधी स्थिर हो जाती है। ये भी पढ़ें... योग के रहस्य: सिर्फ आसन ही नहीं है योग? योगावस्था क्या है? What is Yoga and what is the real meaning of Yoga? वह व्यक्ति उस स्थिर रस्सी को सीढ़ी के रूप में प्रयोग कर कोई प्रयास किए बिना रस्सी के शीर्ष हिस्से तक पहुंच जाता है और हवा के मध्य में स्थिर होकर दर्शकों को नमस्कार करने लगता है। क्या रस्सी वाली इस करामात को योग कहा जा सकता है ? लम्बे बालों वाले एक अर्धनग्न व्यक्ति 2×1×1 मीटर माप वाले गड्ढ़े में प्रवेश करने हेतु तैयार दिखाई दिया। इस गड्ढ़े को विशेष रूप से प्रदर्शन हेतु तैयार किया गया था। उसने इसमें प्रवेश किया और उसके बाद गड्ढे को पूर्ण रूप से ढक दिया गया ताकि उसमें हवा न जा सके। ये भी पढ़ें... 10 world famous yoga gurus in india | भारत के प्रसिद्ध योगा गुरू कई दिनों तक वह व्यक्ति उस गड्ढे के भीतर रहा और लम्बी अवधि के बाद बिल्कुल तरोताजा बाहर निकला। उसमें थकान के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए। इसे भूगत समाधि कहा जाता है। आम लोगों की नजर में वह एक महान् योगी है। परंतु क्या यह वास्तव में योग है? भूगत समाधि, सिद्धियां, जादू, मंत्र-तंत्र आदि के प्रदर्शन को भारत में भी अधिकांश लोग योग शब्द से सम्बद्ध करते हैं। परंतु वस्तुतः ये यभी भ्रांतियां हैं। सारांश में यही कहा जा सकता है कि योग के विषय में कई प्रकार की भ्रांतियाॅं हैं। बहुत से लोग जो इससे अनजान हैं अथवा जो भारतीय संस्कृृति और परम्पराओं से अनभिज्ञ हैं, वे योग निम्नलिखित से जोड़ने की भूल कर बैठते हैं। धर्म - अंध-विश्वास, संप्रदाय, वाद जादू, करामात, वशीकरण भौतिक संस्कृति - ऐरोबिक्स तथा ऐनेरोबिक्स मानसिक एकाग्रता आत्म-दमन, आत्म-पीड़न किन्तु हमने पहले अनेक परिभाषाएं देखी हैं, जिनमें योग की वास्तविक प्रकृति का वर्णन इस प्रकार नहीं है। यह एक सम्पूर्ण प्रणाली है अथवा बेहतर रूप से एक विज्ञान है या जीवन का एक मार्ग है। योग जीवन का एक मार्ग होने के कारण इसमें आयु, लिंग, व्यवसाय, स्थिति, शर्तों, समस्याओं और दुखों से अलग रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। योग का प्रयोग कोई भी प्रत्येक मनुष्य- व्यक्तिगत, व्यावसायिक, सामाजिक, पारिवारिक अथवा आध्यात्मिक रूप में कर सकता है। ये भी पढ़ें... योग के उद्देश्य ? आत्मा को परमात्मा में मिला देना,आनन्द की प्राप्ति; दुःख से मुक्ति ही मोक्ष.. योग का आधार:- योग का आधार प्रसन्नता की तलाश है। किन्तु हम प्रसन्नता की तलाश बाह्य रूप में ऐन्द्रियिक सुख में करते हैं। प्रसन्नता तो हमारे अपने भीतर होती है। यह मन को शान्त रखने से मिलती है। यह विचारों से विहीन स्थिति होती है। यह आनन्द, स्वतंत्रता, ज्ञान और रचनात्मकता की स्थिति होती है। उपनिषदों में भी यह उल्लेख मिलता है कि मौन साधना की मूल स्थिति, समस्त सृष्टि (सृजन) की हेतुक (कारणात्मक) स्थिति होती है। जो लोग उस व्यापक और स्थाई प्रसन्नता और आनन्द की तलाश में रहते हैं, जो लोग ज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं, जो एकदम स्वतंत्र रहकर अधिक से अधिक रचनात्मक बनने की इच्छा रखते हैं, उनका एकमात्र उद्देश्य रहता है कि वे एकदम पूर्ण मौन की स्थिति में पहुंच जाएं। यह स्थिति होती है, जहां विचारों के लिए कोई स्थान नहीं होता और यह तब होता है जब हम स्वयं को उस आनन्दमय आंतरिक बोध से सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं। ये भी पढ़ें... योग के विकास का इतिहास… Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.
योग के संबंध में भ्रांतियां : YOG करामात और चमत्कार नहीं|
