प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन का ऐलान किया था| इस योजना के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक को आधार जैसी डिजिटल स्वास्थ्य आईडी की सुविधा दी जाएगी| साथ ही देश में मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों का डेटा एक हेल्थ कार्ड में समेट दिया जाएगा और उससे इलाज का रिकॉर्ड बनाए रखने में आसानी होगी| नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के सीईओ इंदु भूषण ने कहा है कि एनडीएचएम कार्यक्रम से बेहतर आर्थिक नतीजे मिलेंगे|
हेल्थ आईडी कार्ड से जुडी बातें
- नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत स्वास्थ्य आईडी नि: शुल्क है और स्वैच्छिक है|
- आईडी में हर बीमारी, डॉक्टरों का दौरा, ली गई दवाएं और इलाज का विवरण होगा|
- हेल्थ आईडी कार्ड आधार और मोबाइल नंबर जैसे विवरणों के साथ बनाया गया है, हर व्यक्ति का आईडी कार्ड नंबर अलग-अलग होगा|
- नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन में हेल्थ आईडी, डिजिटल डॉक्टर, हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री, पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड, ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन शामिल है|
- स्वास्थ्य डेटा के विश्लेषण कर राज्य बेहतर स्वास्थ्य कार्यक्रम बना सकेंगे|
- फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल स्वास्थ्य योजना से जीडीपी में बढ़ोत्तरी होगी. अगले दस साल में जीडीपी में 250 बिलियन डॉलर जुड़ेंगे|
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत एक लाख से अधिक यूनिक स्वास्थ्य आईडी बनाए गए हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत छह राज्यों हो चुकी है|
- सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि सुरक्षित और कुशल डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाने के लिए सभी आवश्यक डेटा गोपनीय रखा जाएगा|
- 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को अपने संबोधन के दौरान PM मोदी ने कहा था कि नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में एक 'क्रांति' लाएगा|
- सरकार का मानना है कि इस योजना से मरीज़ को अच्छी सुविधा मिलेगी, डॉक्टर को सही ट्रीटमेंट देने में मदद मिलेगी और पूरा डाटा इकट्ठा होगा|