जब कुंभकरण को हुआ था दुख


स्टोरी हाइलाइट्स

जब कुंभकरण को हुआ था दुख: जब रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया था साथ ही राम और रावण के मध्य प्रलयंकारी युद्ध चल रहा था तो उस युद्ध में रावण के अनेक योद्धा मारे गए थे। तो रावण ने अपनी सेना के नेतृत्व करने के लिए कुंभकरण को जगाया था जब कुंभकरण को जगाया और पूरी बात बताई तो कुंभकरण ने रावण से कहा कि अरे मूर्ख तूने तो मां जगदंबा का हरण किया है। और फिर अब तो अपने कल्याण की इच्छा कर रहा है किंतु रावण ने अपने अहंकार में आकर के कुंभकरण की एक ना सुनी और उसे राम भगवान से युद्ध करने के लिए भेज दीया। कुंभकरण इतने बलवान थे: कुंभकर्ण की बल और शक्ति के बारे में बताया जाता है कि कुंभकरण इतनी बलवान थे कि पूरे संसार में कोई भी मनुष्य उसे टक्कर नहीं ले सकता था। साथ ही वह 6 महीने के लिए मदिरा पीकर सो जाता था और जब वह उठता था तो तीनों लोकों में उसके कारण हाहाकार मच जाता था। नारद ने कुंभकरण को दिया था तत्वज्ञान: कुंभकर्ण छ महीने सोया रहता था और जब वह जाता था तो उसका पूरा दिन भोजन करने और अपने परिवार का हाल समाचार पूछने में निकल जाता था इस प्रकार से कुंभकरण रावण के कार्यों से दूरी रहता था। कुंभकरण के राक्षस होने के बावजूद उसने कभी अपनी जिंदगी में कोई अधर्म का कार्य नहीं किया था इसी कारण से देव ऋषि नारद ने कुंभकरण को तत्वज्ञान दीया था।