अब सरकारी विभागों में बिना पारिश्रमिक के इंटर्न नियुक्त हो सकेंगे


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स्टोरी हाइलाइट्स

जारी दिशा-निर्देश के अनुसार, शैक्षणिक संस्थान/विद्यार्थियों के आवेदन के आधार पर प्रशासकीय विभाग इंटर्न को नियुक्त करेगा..!

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार के सभी विभागों में अब इंटर्न (प्रशिक्षु) अधिकतम छह माह के लिये नियुक्त हो सकेंगे लेकिन इन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जायेगा और केवल प्रशिक्षण प्राप्ति का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जायेगा। इसके लिये राज्य के वित्त विभाग ने नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

जारी दिशा-निर्देश के अनुसार, शैक्षणिक संस्थान/विद्यार्थियों के आवेदन के आधार पर प्रशासकीय विभाग इंटर्न को नियुक्त करेगा। इंटर्न को विभागीय योजनाओं/गतिविधियों/प्रक्रियाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जायेगी तथा उनसे निर्धारित कार्यों में सहयोग प्राप्त किया जायेगा। यदि प्रशासकीय विभाग में इंटर्नशिप विषयक पूर्व से अलग नियम प्रभावशील हैं तो वह विभाग अपने नियमों के अनुसार इंटर्न नियुक्त कर सकेगा।

कन्सलटेंट की नियुक्ति हेतु भी नये प्रावधान जारी :

वित्त विभाग ने सभी विभागों में किसी व्यक्ति को कन्सलटेंट नियुक्त करने के लिये भी नये प्रावधान जारी किये हैं। अब कन्सलटेंट नियुक्त करने के लिये पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जायेगी तथा यह नियुक्ति अधिकतम दो वर्ष के  लिये होगी और दो वर्ष बाद अवधि सिर्फ वित्त विभाग की सहमति से ही बढ़ाई जा सकेगी। कन्सलटेंट को दिये जाये जाने वाले पारिश्रमिक के लिये प्रत्येक विभाग में सालाना अधिकतम बजट 50 लाख रुपये ही रहेगा। 

श्रेणी एक के कंसलटेंट को 20 लाख, श्रेणी दो के कंसलटेंट को 15 लाख और श्रेणी तीन के कंसलटेंट को 10 लाख रुपये सालाना अधिकतम पारिश्रमिक दिया जा सकेगा। यही नहीं, यदि कंसलटेंट उसे सौंपे गये कार्य का 25 प्रतिशत कार्य पूरा करता है तो उसे कुल पारिश्रमिक का 20 प्रतिशत, 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण करता है तो कुल पारिश्रमिक का 40 प्रतिशत तथा सौ प्रतिशत कार्य पूर्ण करता है तो कुल पारिश्रमिक का सौ प्रतिशत भुगतान किया जायेगा। इसी प्रकार, यदि कंसलटेंट कोई फर्म/संस्था/कंपनी है तो उसे प्रति वर्ष अधिकतम एक करोड़ रुपये भुगतान किया जा सकेगा और ऐसा कंसलटेंट अधिकतम तीन वर्ष के लिये नियुक्त हो सकेगा तथा इसे आगे अवधि बढ़ाने के लिये वित्त विभाग से सहमति लेनी होगी।