जीवन में एक ही समय में जियें: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास

एक साथ चलते हैं चारों आश्रम

प्राचीन काल से ही सनातन वैदिक संस्कृति में आश्रम की चर्चा है। आश्रम का तात्पर्य है जीवन-भाग। ऋषि-मुनियों ने अपने दिव्य दर्शन और प्रकाश के अनुसार आश्रमों के सिद्धांत एवं व्यवहार की प्रेरणा दी है।

खबर अपडेट हो रही है..,