सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव की मांग क्यों खारिज की?


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स्टोरी हाइलाइट्स

EVM-VVPAT: सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में डाले गए वोटों के 100 प्रतिशत सत्यापन की मांग वाली याचिकाएं भी खारिज कर दी..!!

सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव की पुरानी व्यवस्था बहाल करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी VVPAT पर्चियों की गिनती करने की मांग भी खारिज कर दी है।

याचिकाकर्ताओं को सलाह देते हुए कोर्ट ने कहा है कि पूरी चुनावी व्यवस्था पर सवाल उठाकर लोगों के मन में संदेह पैदा करना गलत है। हालाँकि, अदालत ने चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवारों को परिणाम के 7 दिनों के भीतर जांच की मांग करने का अधिकार दिया है।

क्या थी मांग?

मुख्य याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने 3 मांगें कीं- 

मतपत्र से मतदान की व्यवस्था वापस लायी जाये।

वीवीपैट से निकली पर्ची मतदाता को दी जाए ताकि वह उसे स्वयं बॉक्स में डाल सकें, बाद में सभी पर्चियों की गिनती की जाए।

वीवीपैट बॉक्स पूरी तरह से पारदर्शी होना चाहिए, बल्ब लगातार जलता रहना चाहिए।

इसके अलावा दूसरे याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने मांग की कि वीवीपैट पर्ची में बार कोड प्रिंट करने की व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। इस बार कोड की वजह से मशीन से पर्ची की गिनती तेजी से हो सकेगी। इस प्रकार सभी पर्चियों को गिनने में अधिक समय लगने की संभावना समाप्त हो जायेगी।

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. उपनिर्वाचक नीतीश व्यास भी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और अदालत के सवालों का विस्तार से जवाब दिया। आयोग ने बताया कि कैसे मशीनें बनाने, उनमें चुनाव चिन्ह लोड करने और मतदान से पहले उम्मीदवारों की मौजूदगी में मॉक पोल कराने में पारदर्शिता बरती जाती है. कैसे ईवीएम प्रणाली से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और मतदान के बाद ईवीएम की तीन इकाइयों (कंट्रोल यूनिट, बटन यूनिट और वीवीपैट) को कैसे सुरक्षित रखा जाता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत की विशाल आबादी को देखते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है। न्यायाधीशों ने पुराने दिनों में चुनाव प्रक्रिया में होने वाली गड़बड़ियों को भी याद किया, जो ईवीएम प्रणाली के साथ दूर हो गई हैं।

जजों ने कहा कि पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाना गलत है। अब कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि वह याचिका में की गई मांगों को खारिज कर रहा है. हालाँकि, अदालत ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को इस पर विचार करना चाहिए कि क्या वीवीपैट पर्ची पर बार कोड मुद्रित किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने 2 निर्देश भी दिए हैं।

सिंबल लोडिंग यूनिट को भी परिणाम के बाद 45 दिनों तक सील रखा जाना चाहिए।

परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर, दूसरे या तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार पुन: सत्यापन की मांग कर सकते हैं। ऐसे में इंजीनियरों की एक टीम किन्हीं 5 माइक्रोकंट्रोलर की मेमोरी की जांच करेगी। इस जांच का खर्च अभ्यर्थी को वहन करना होगा। अगर कदाचार साबित हो जाता है तो उम्मीदवार को पैसे वापस मिल जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने EVM पर संदेह पैदा करने पर रोक लगा दी है

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ईवीएम पर पहले भी संदेह जताया गया था। कोर्ट ने इस पर विस्तार से सुनवाई की और फैसला सुनाया। एक बार फिर सुनवाई हुई है। ये अब ख़त्म होना चाहिए। जब तक ईवीएम के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिल जाते, तब तक यह व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। बैलेट पेपर से मतदान की ओर लौटने या कोई अन्य प्रणाली अपनाने का कोई कारण नहीं है। ऐसा करना देश के नागरिकों के हित में नहीं होगा।