रातापानी को प्रदेश का आठवां टाईगर रिजर्व बनाने के लिये हुआ प्रेजेंटेशन


Image Credit : twitter

स्टोरी हाइलाइट्स

सीएम मोहन यादव ने स्वीकृति के लिए  फिर  किये प्रयास 

भोपाल: राज्य के वन विभाग की वन्यप्राणी शाखा ने वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया के समक्ष प्रदेश का आठवां टाईगर रिजर्व रातापानी को बनाने के लिये प्रेजेंटेशन दिया। कंसोटिया ने प्रेजेंटेशन देखने के बाद कहा है कि फिलहाल प्रस्तावित टाईगर रिजर्व में बसे ग्रामों के विस्थापन एवं इको सेंसेटिव जोन से प्रभावित ग्रामों के बारे में हल निकाला जाये, उसके बाद इस नये टाईगर रिजर्व को बनाने पर विचार किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि रातापानी अभयारण्य तीन जिलों भोपाल, सीहोर एवं रायसेन औबेदुल्लागंज के वनमंडलों में आता है तथा इसमें वर्तमान में करीब 56 बाघ विचरण कर रहे हैं। इसे टाईगर रिजर्व बनाने के लिये वन विभाग लम्बे समय से प्रयास कर रहा है क्योंकि केंद्र सरकार के बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने भी इसकी सैद्धांतिक सहमति दी हुई है। पिछले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विकास कार्य प्रभावित होने के कारण इसे टाईगर रिजर्व बनाने में सहमति नहीं दी थी परन्तु अब नये सीएम मोहन यादव से इसे बनाने की स्वीकृति लेने के लिये वन विभाग ने पुन: प्रयास प्रारंभ किये हैं।

प्रेजेंटेशन में वन विभाग ने इस बार प्रस्तावित रातापानी टाईगर रिजर्व का कोर एरिया कम कर दिया है। कोर एरिया में 3 वन ग्राम एवं 12 राजस्व ग्राम ही आ रहे हैं जबकि बफर एरिया में 20 ग्राम हैं। इन्हें खाली कराये जाने के लिए वन विभाग ग्राम वासियों की सहमति लेने का प्रयास कर रहा है। 

प्रस्तुतिकरण में बताया गया है कि टाईगर रिजर्व बनाने से कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आयेगा क्योंकि पृथक से अमला पदस्थ नहीं करना होगा और वर्तमान में उपलब्ध शासकीय भवनों में ही अमले के आवास एवं कार्यालय की व्यवस्था हो जायेगी। इसके अलावा, चूंकि रातापानी अभयारण्य में लघु वनोपज का कोई संग्रहण नहीं होता है, इसलिये कोई राजस्व हानि भी नहीं होगी।

ये लाभ बताये टाईगर रिजर्व बनाने के :

प्रस्तुतिकरण में रातापानी टाईगर रिजर्व बनाने के पांच लाभ बताये गये हैं। एक, यह प्रदेश का आठवां टाईगर रिजर्व बन जायेगा। दो, शहरी परिदृश्य से बाघों के प्रजनन आवासों को बचाया जा सकेगा। तीन, भोपाल के शहरी क्षेत्रों से लगे क्षेत्रों में बाघों की आवाजाही रोकने में सहूलियत होगी और टाईगर रिजर्व में बाघों का आवागमन सुलभ एवं व्यवस्थित होगा। चार, ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। पांच, स्थानीय समुदाय को रोजगार एवं आजीविका मिलेगी।