संस्कृत : विश्व कि सबसे समृद्ध भाषा : जाने क्या है संस्कृत में ख़ास


स्टोरी हाइलाइट्स

संस्कृत, भारत की एक भाषा है। इसे देववाणी  अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है।

संस्कृत : विश्व कि सबसे समृद्ध भाषा : जाने क्या है संस्कृत में ख़ास प्रियम मिश्र  संस्कृत, भारत की एक भाषा है। इसे देववाणी  अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे  हिंदी, बंगाली, मराठी, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म  से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं।  बोद्ध धर्म  तथा  जैन मत  के भी कई महत्त्वपूर्ण  ग्रंथ  संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर  यज्ञ और  पूजा संस्कृत में ही होती हैं। भीमराव आंबेडकर का मानना था कि संस्कृत पूरे भारत को भाषाई एकता के सूत्र में बांध सकने वाली इकलौती भाषा हो सकती है, अतः उन्होंने इसे देश की आधिकारिक भाषा बनाने का सुझाव दिया था। संस्कृत का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान समय में प्राप्त सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ ऋग्वेद है जो कम से कम ढाई हजार ईसापूर्व की रचना है, संस्कृत साहित्य का ज्ञान विज्ञान इतना सम्रद्ध है कि यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि इस भाषा को बोलने वाले कितने लोग हैं। हर व्यक्ति के जीवन में प्रति दिन संस्कृत किसी न किसी रूप से जुड़ी हुई है इसलिए हमें संस्कृत के महत्व को समझते हुए इस भाषा को सीखना चाहिए । संस्कृत भाषा के विकास एवं प्रचार प्रसार के लिए हमें संस्कृत के मूल रूप पर ही अधिक शोध करने की जरूरत है। कोई भी साहित्य समाज का सकारात्मक दर्शन कराता है, भारतीय साहित्य की प्रथम भाषा संस्कृत  है। संस्कृत में मानव जीवन मूल्यों के मूलभूत सिद्धांत हैं।  भारतीय संविधान की  आंठ्वी अनुसूची में संस्कृत को भी सम्मिलित किया गया है। यह  उत्तराखंड की दूसरी राजभाषा है।  आकाशवाणी और दूरदर्शन से संस्कृत में समाचार प्रसारित किए जाते हैं। वर्षों से डी. डी. न्यूज द्वारा  वार्तावली  नामक अर्धहोरावधि का संस्कृत-कार्यक्रम भी प्रसारित किया जा रहा है, जो हिन्दी चलचित्र गीतों के संस्कृतानुवाद,  सरल-संस्कृत-शिक्षण,  संस्कृत-वार्ता और महापुरुषों की संस्कृत जीवनवृत्तियों, सुभाषित-रत्नों आदि के कारण अनुदिन लोकप्रियता को प्राप्त हो रहा है। संस्कृत भाषा की विशेषताएँ- *संस्कृत, विश्व की सबसे पुरानी भाषा है। इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है। *इसकी  सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता स्वयं सिद्ध है। *सर्वाधिक महत्वपूर्ण  साहित्य की धनी  होने से इसकी महत्ता भी निर्विवाद है। *इसे  देवभाषा  माना जाता है। *संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि  संस्कारित भाषा भी है,  इसलिए इसका नाम संस्कृत है। संस्कृत ही एकमात्र भाषा है जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है। *शब्द-रूप - विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 27 रूप होते हैं। *द्विवचन - सभी भाषाओं में एकवचन और बहुवचन होते हैं जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है। *सन्धि - संस्कृत भाषा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है सन्धि। संस्कृत में जब दो अक्षर निकट आते हैं तो वहाँ सन्धि होने से स्वरूप और उच्चारण बदल जाता है। *इसे  कंप्यूटर और कृतिम बुद्धि के लिये सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है। *रिसर्च में सामने आया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। *संस्कृत वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नहीं होती। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं तथा क्रम बदलने पर भी सही अर्थ सुरक्षित रहता है। जैसे - अहं गृहं गच्छामि  या  गच्छामि गृहं अहम्  दोनो ही ठीक हैं। *संस्कृत विश्व की सर्वाधिक पूर्ण  एवं तर्कसम्मत भाषा है।