हर माह अमावस्या मनाई जाती है। धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व अधिक है। पितृ पक्ष का समापन आश्विन मास की अमावस्या को होता है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितरों को तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसी दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2024 shadow) भी पड़ रहा है।
सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। इस घटना को सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान शुभ कार्य और पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि इन कामों को करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या (सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024) आज यानी 02 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी है। ऐसे में आइए जानते हैं इस ग्रहण का असर कब और कहां दिखेगा?
इस दिन सूर्य ग्रहण लगेगा
पंचांग के अनुसार आज आश्विन मास की अमावस्या यानी 02 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2024 date) है।
सूर्य ग्रहण 2024 का समय
02 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण (भारत में ग्रहण का समय 2 अक्टूबर 2024) रात 09 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा। वहीं इसकी समाप्ति मध्य रात्रि 03 बजकर 17 मिनट पर होगी।
कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?
साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण सर्व पितृ अमावस्या सूर्य ग्रहण की छाया में लगेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इस कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूर्य ग्रहण 2024 पेरू, फिजी, प्रशांत महासागर, आर्कटिक और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में दिखाई देगी।
सूर्य ग्रहण (अक्टूबर 2024 में पड़ने वाला ग्रहण) के दौरान पूजा करना वर्जित है, लेकिन आप मन ही मन किसी भी देवता का नाम जप सकते हैं। इस दौरान गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप फलदायी साबित होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचाव होता है।
ग्रहण के दौरान भोजन, दूध, लस्सी, पनीर आदि में तुलसी के पत्ते या कुश मिलाना चाहिए। ऐसा करने से ये वस्तुएं सूर्य ग्रहण के प्रभाव से मुक्त हो जाती हैं। इसके बाद श्रद्धानुसार गरीबों को अन्न, धन और वस्त्र का दान करना चाहिए।
 
                                 
 
										 
										 
										 पुराण डेस्क
																										पुराण डेस्क 												 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
															 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											 
											