शिक्षक दिवस विशेष: हिन्दी कविता- हे विद्याधन के दानवीर


स्टोरी हाइलाइट्स

शिक्षक दिवस विशेष: हिन्दी कविता- हे विद्याधन के दानवीर ?शिक्षकों से? हे विद्याधन के दानवीर कुछ तुम्हें सुनाने आये हैं । हो तुम्ही राष्ट्र निर्माता भी, कुछ तुमसे मांगने आये हैं।। तुमने ही लव-कुश हमें दिए, जिसमें उत्तम रण कौशल था। था रामायण कंठाग्र जिसे , संगीत भी जिसका मोहक था। फिर से दो ऐसा ज्ञानी पुत्र, जो तरकश-तीर संभाले हो।। हे विद्याधन के दान वीर•••••••••• हे विश्वामित्र दो हमें राम, जो मर्यादा को रखता हो। चाहे आये दुःख का पर्वत , पर धैर्य कभी ना खोता हो। हे द्रोण हमें वह अर्जुन दो, जिसके कर फिर गांडीब सजे।। हे विद्याधन के दानवीर••••••••••• गौतम, कणाद और चार्वाक, शंकर मंडन और विद्यापति। हर विद्यालय से निकाल पडे शुक-शुकी भी गाए वेद मंत्र। हे संदीपन दो कृष्ण हमें, गीता भारत में गुॅज पडें ।। हे विद्याधन के दानवीर••••••••••• हे गुरूजन फिर दो आर्यभट्ट, फिर से दो वह भाष्कराचार्य। वह सी•वी•रमण फिर से दो हमें, दो पुनः पुनः जगदीशचन्द्र। दो जीवक, सुश्रुत और चरक, फिर ऐसे शल्य चिकित्सक हो।। हे विद्याधन के दानवीर कुछ तुम्हें सुनाने आये हैं ।।। *सभी गुरुजन को ससमर्पित*।। आलोक प्रेमी भागलपुर