भारत के अनोखे गाँव-अजब गजब गाँव


स्टोरी हाइलाइट्स

कहते हैं भारत को देखना है तो यहां के गांव में चले जाइए| आज हम आपको बता रहे हैं भारत के ऐसे कुछ गांव के बारे में जो अपने आप में अनूठे हैं और देश विदेश में विख्यात हैं|

सबसे पहले आपको ले चलते हैं उड़ीसा के रघुराजपुर| यह गांव हेरिटेज गांव है| 2000 में उड़ीसा के इस गांव को राज्‍य के पहले हैरिटेज गांव का तमगा मिला था। ये गांव पट्टचित्र कला के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लोग ट्राइबल पेंटिंग, पेपर मेच टॉय, वुडन टॉय बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं। इस गांव का हर शख्‍स कलाकार है। ये गांव पुरी से कुछ दूरी पर स्थित है। आप यहां कभी भी घूमने आ सकते हैं।


तिलौनिया
 जहां हर घर की छत पर लगे हैं सोलर पैनल

Tilouniaइस गांव का हर शख्‍स सोलर इंजीनियर है। गांव के हर घर की छत पर आप को सोलर पैनल चमकते हुए नजर आएंगे। यहां गांव वालों को पढ़ाने का काम संजीत रॉय ने किया। यहां गांव में घूघंट में बहुओं को, लोहार, किशान भी एक सोलर इंजीनियर है। ये सभी सोलर पैनल को इंस्‍टाल करना और रिपेयर करना जानते हैं। ये गांव अजमेर में स्थित है।





मट्टूर
संस्कृति और सभ्यता को जिंदा रखने वाला गांव

Mattur-sanskirt
ये गांव हजारों साल पुरानी हमारी संस्‍कृति और सभ्‍यता को दा रखे हुए है। इस गांव का हर शख्‍स संस्‍कृत भाषा में बात करता है। फिर चाहे वो बच्‍चा हो या बड़ा। यहां के लोग  दिक जिंदगी जीते हैं। इस गांव को संस्‍कृत गांव भी कहा जाता है। यहां की पाठशाला में बच्‍चे पांच साल में भाषा का अध्‍यन रते हैं। ये गांव बैंगलुरु से 300 किलोमीटर दूर है।
कथेवाड़ी
शराब से मुक्त होकर मॉडल विलेज बनने वाला गांव
इस गांव को आर्ट ऑफ लिविंग के संस्‍थापक श्री श्री रव‍िशंकर ने गोद ले रखा है। ये गांव महाराष्‍ट्र के नांदेड़ जिले में पड़ता है। इस गांव को
संस्‍था ने मॉडल विलेज में बदल दिया गया है। इस गांव के लोग एल्‍कोहल पर निर्भर थे। अब इस गांव के लोग एल्‍कोहल नहीं लेते हैं। ये गांव नांदेड़ रेलवे स्‍टेशन से 90 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। यहां आप किसी भी मौसम में जा सकते हैं।


रालेगढ़ सिंध
अन्ना हजारे का गांव

Ralegarh Sindhइस गांव का नाम सुनकर आप के दिमाग में जो छवि बनती है वो है एक सफेद धोती कुर्ता पहने सिर पर नेहरू टोपी लगाए एक बुजुर्ग व्‍यक्ति की जिसने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन कर के देश को एकजुट कर दिया। ये नाम है अन्‍ना हजारे का। गांव को अन्‍ना हजारे की मेहनत ने पदल कर रख दिया है। यहां पानी की समस्‍या भी नहीं है। ये गांव मुंबई से 100 किलोमीटर दूर है।

       
पनामिक
जहां बहती है गर्म पानी की धारा
panamic-hot-sulphurपनामिक गांव सियाचिन ग्‍लैशियर के पास स्थित है। इस गांव के पास गर्म पानी की धारा बहती है। दूर-दूर से लोग इस गांव में बहती गर्म पानी की
धारा में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। ये गांव समुद्र तल से दस हजार फीट की ऊंचाई से भी ऊपर बसा हुआ है। लेह की नुब्रा वैली से ये गांव 150 किलोमीटर दूर है। इस गांव में जाने का सबसे अच्‍छा समय जून से सितंबर के बीच है।






वेलास
कछुआ वाला गांव
Velas
मुंबई से 230 किलोमीटर दूर रत्‍नागिरी जिले में बना वेलास गांव अपने आप में अनोखा है। ये गांव समुद्र किनारे बसा हुआ है। फरवरी से अप्रैल के
महीने में इस गांव में कछुओं को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। इस गांव को एक एनजीओ ने गोद ले रखा है। जो गांव में आने वाले कछुओं का ध्‍यान रखता है। फरवरी से मार्च के बीच इस गांव में समुद्र का स्‍तार बढ़ा होता है। जब यहां पर कछुआ उत्‍सव मनाया जाता है।


 
लांबासिंगी
दक्षिण भारत का कश्मीर

Lambasingiइस गांव में कुछ साल पहले भारी बर्फबारी हुई थी। जिसके बाद आंध्र प्रदेश का लांबासिंगी गांव सुर्खियों में आ गया। इस गांव को दक्षिण भारत का कश्‍मीर भी कहा जाता है। इस गांव में लोग सर्दियों के मौसम में ही घूमने आते हैं। मौसम की वजह इस गांव का वातावरण बहुत ही अनोखा हो जाता है। अगर आप यहां आएं तो हो सकता है यहां फिर से बर्फ गिरे। ये गांव विशखापट्टनम एयरपोर्ट से पास में है। यहां आप दिसंबर से फरवरी के बीच में जा सकते हैं।


 
सिंघवा
फौजियों का गांव
Singhwaदेश में एक गांव ऐसा है जिसे फौजियों वाले गांव के नाम से जाना जाता है. पंजाब में तरनतारण के सिंघवा गांव में रहने वाले युवा देश की सेवा और रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने में पीछे नहीं रहते.





 
सूडा मऊ
जहां घरों में नहीं होते दरवाजे

Suda Mauये अनोखा गांव उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले का सूडा मऊ है जहां पर किसी भी घर के बाहर दरवाजा नहीं है. इस गांव में रहने वाले लोगों का ऐसा मानना है कि इस गांव की रक्षा नाग देवता करते है. यहां आने वाले किसी भी शख्स की चोरी करने की हिम्मत भी नहीं हो पाती है. इस गांव में दरवाजे ना होने का राज एक सांप के श्राप से जुड़ा हुआ है. दरअसल लोगों का कहना है की गांव को एक नागिन ने श्राप दिया है कि जो भी गांव में दरवाजा लगाएगा उसके घर में किसी न किसी प्रकार अशुभ हो जाएगा.इसके बाद से ही इस गांव के लोग अपने घर में दरवाजा नहीं लगाते हैं. यहां रहने वाले लोग बताते है कि, कई सालों पहले इस गांव के एक घर में एक नागिन की दरवाजे के मध्य में दबकर मौत हो गई थी और इसके बाद उसने ये श्राप दिया था कि जो भी शख्स अपने घर में दरवाजे लगवाएगा उसका जीवन तबाह हो जाएगा. इसके बाद से ही लोग अपने घर
में दरवाजा लगाने से डरते हैं. आज तक जिसने भी इस गांव का रिवाज तोड़ने की हिम्मत की उसके साथ कुछ ना कुछ बुरा ही हुआ है.

आज के समय में तो रोजाना ही चोरी-डकैती की खबरे सुनने को मिलती ही रहती हैं. आए दिन शहरों और गांव में चोरी चोरी की घटना को अंजाम देते रहते हैं. जहां एक ओर लोगों को चोरी का डर ही सताता रहता है वहीं दूसरी ओर हमारे देश में ऐसा भी गांव है जहां के लोग चोरी से बेफिक्र है. जी हाँ... जिस गांव के बारे में हम बात कर रहे हैं वहां पर किसी भी घर में दरवाजा नहीं है.

 
रघुराजपुर
जहाँ हर घर में एक कलाकार है!

Raghurajpur-pattachitra1रघुराजपुर यूँ तो पुरी के निकट में ही है लेकिन कोई अच्छी सूरत में नहीं है और ना ही 4जी कनेक्टिविटी ही है, लेकिन इसके बावजूद, यहाँ के लोग इस गाँव को दुनिया के नक्शे पर लाने में कामयाब रहे हैं। रघुराजपुर को एक प्राचीन कला 'पट्टचित्र' के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है जो कि कपड़े के टुकड़ों पर बेहतरीन रूप से चित्रित किया जाता है। इस दुर्लभ कला को आज भी जीवित रखने के लिए रघुराजपुर के लोग दिन-रात मेहनत करते हैं। मानो या न मानो, रघुराजपुर में हर घर में कम से कम एक कलाकार तो है ही, जो कि इसे भारत का एकमात्र 'ऑल-आर्टिस्ट विलेज' होने का गौरव प्रदान करता है!
सांका जागीर
जहां बच्चा पैदा करने वालो को सजा दी जाती है


Sank Jagir
आपको बता दें, देश में एक ऐसा भी गाव है जहां बच्चा पैदा करने वालो को सजा दी जाती है. इसका कारण जानकर भी आप चौंक जायेंगे कि ऐसा क्यों होता है. तो चलिए आपको बता देते हैं क्या कारण है इसके पीछे का. आपको बता दे की मध्य प्रदेश गुर्जरों के इस गाव में बच्चे पैदा करना मना है. यहा का मानना है की अगर यहा बच्चे पैदा किए गए तो इस गाव का श्याम मंदिर अपवित्र हो जाएगा. ये गांव भोपाल से 77 किलोमीटर दूर है जिसका नाम सांका जागीर है. यहां की आबादी करीब 1200 लोगों की है. गांव में गुर्जरों का बाहुल्य है.इस गांव में न जाने कितने दशकों से कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ. इसकी वजह भी अजीबोगरीब ही है. गांव वाले मानते हैं कि अगर गांव में बच्चे होंगे तो वहां का श्याम मंदिर अपवित्र हो जाएगा. यही कारण है कि इसमें कोई बछ पैदा नहीं होता. इसी मान्यता के चलते कई दशकों से इस गांव में किसी महिला का प्रसव नहीं हुआ है. जब भी किसी महिला को प्रसव होने वाला होता है तो उसे गांव से बाहर लेकर जाया जाता है. महिला का प्रसव या तो उसके मायके में या शहर के किसी अस्पताल में या फिर अंतिम विकल्प के तौर पर गांव के बाहर खेतों में ही होता है. गांव के बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि यदि किसी का बच्चा गांव में पैदा होता है तो वह विकलांग हो जाएगा या फिर उस परिवार पर मुसीबतें टूट पड़ेंगी.