वैज्ञानिक आधार पर होती थी गुरुकुलों में पढ़ाई, इसलिए था भारत विश्व गुरु ?
स्टोरी हाइलाइट्स
भारत के प्राचीन गुरुकुल ज्ञान-विज्ञान की व्यवस्थित शिक्षा के केंद्र थे, भारत में के गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था बहुत विज्ञान सम्मत और सुव्यवस्थित थी.| गुरुकुलों में ज्ञान की विभिन्न शाखाओं के साथ ही अनेक तरह के विज्ञान सिखाये जाते थे| तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा दीक्षा के साथ राजकाज चलाने से लेकर युद्ध कौशल भी गुरुकुल की शिक्षा का अंग था, जिसका उद्देश्य विद्यार्थी के व्यक्तित्व का चहुँमुखी विकास था|
"The advantages of the Ancient Gurukul system"
वेद पुराण के अलावा आज भी भारतीय साहित्य में अनेक तरह की पुस्तकें उपलबध्त हैं, जो भारतीय गुरुकुल पद्धति में प्रदान की जाने वाली अलग-अलग तरह की विद्याओं का परिचय देती हैं|
इन किताबों और विद्याओं की जानकारी रखने वाले महर्षि को हम तब के वैज्ञानिक कह सकते हैं|
"The Scientific base of the Gurukul system and Indian education needs it"
भारतीय विद्या अलग-अलग तरह से पूरे विश्व में पहुंची हैं| विदेशी आक्रांताओं ने समय-समय पर भारतीय साहित्य को अपने-अपने देशों में ले जाकर उनका अपनी भाषाओं में अनुवाद करके उस पर शोध भी किया है|
अश्विनी कुमार को देवताओं का चिकित्सक कहा जाता है.|उड़ने वाले रथ और नौकाओं के आविष्कार का श्रेय अश्विनी कुमार को ही प्राप्त है.
इसी तरह धन्वंतरी को प्राचीन चिकित्सा शास्त्र का प्रणेता माना जाता है, चिकित्सा विज्ञान को सुश्रुत, चरक और नागार्जुन ने आगे बढ़ाया|
महर्षि भारद्वाज ने वायुयान को लेकर अपने विमान शास्त्र में अनेक रहस्य उजागर किए|
महर्षि विश्वामित्र ने अस्त्र विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे रहस्यों का उद्घाटन किया जो आज की मिसाइल का तात्कालिक रूप था|
महर्षि अगस्त्य को तो बहुत चमत्कारिक अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञान था और उन्होंने लंका विजय के लिए श्रीराम को अनेक तरह के अस्त्र-शस्त्र प्रद्दान किये थे.
ऋषि विश्वामित्र द्वारा शरीर सहित त्रिशंकु को स-शरीर स्वर्ग भेजे जाने का वर्णन मिलता है| उन्होंने भगवान् श्रीराम को बला और अतिबला नाम की विद्याएँ सिखाई थीं और अनेक दिव्य शस्त्र भी प्रदान किये थे.
इसी तरह गर्ग मुनि द्वारा सितारों के संबंध में जानकारियां बताई गई है| इन्हें नक्षत्र विज्ञान का जनक कहा जाता है|
महाभारत काल में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति और काल गणना का जिक्र मिलता है|
महर्षि पतंजलि अष्टांग योग के प्रणेता hain. अष्टांग योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ जीवन का विज्ञान है|
कपिल मुनि ने चेतना की शक्ति एवं त्रिगुणात्मक प्रकृति के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र दिए थे! वह सांख्य दर्शन के प्रणेता थे.
महर्षि कणाद ने वैशेषिक दर्शन, अणु विज्ञान पर बेहद महत्वपूर्ण जानकारी दी|
महर्षि सुश्रुत ने "सुश्रुत संहिता" नामक ग्रंथ में शल्य क्रिया का वर्णन किया है! पार्क डेविस ने सुश्रुत को विश्व का पहला सर्जन कहा है!
जीवक: सम्राट बिंबिसार ने गौतम बुद्ध की चिकित्सा की, महर्षि बौधायन: प्राचीन गणितज्ञ हैं|
महर्षि भास्कराचार्य: गुरुत्वाकर्षण का रहस्य उजागर किया| भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में लिखा है, कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है! इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’!
महर्षि चरक: चरक की चरक संहिता चिकित्सा पर एक उल्लेखनीय पुस्तकें हैं!
ब्रह्मगुप्त:गणित में शून्य पर नकारात्मक संख्याएं और संचालन शुरू किया! ब्रह्म मुक्त सिध्दांतिका को लिखा|
महर्षि अग्निवेश शरीर विज्ञान के रचयिता थे!
महर्षि शालिहोत्र ने पशु चिकित्सा पर आयुर्वेद ग्रंथ की रचना की!
व्याडि: एक रसायनशास्त्री थे! इन्होंने औषधि "भैषज" रसायन का प्रणयन किया! अलबरूनी के मुताबिक़, व्याडि ने एक ऐसा लेप बनाया था, जिसे शरीर पर मलकर वायु में उड़ाया जा सकता था! ये सम्राट विक्रमादित्य के महारात्नों में शामिल थे|
आर्यभट्टमहान खगोलशास्त्र और व गणितज्ञ थे| इन्होने ही सबसे पहले सूर्य और चन्द्र ग्रहण की व्याख्या की थी ! सबसे पहले इन्होने ही बताया था कि धरती अपनी ही धुरी पर धूमती है! और इसे सिद्ध भी किया था ! यही नहीं, इन्होने ही सबसे पहले पाई के मान को निरुपित किया था!
महर्षि वराहमिहिरमहान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे ! इन्होने पंचसिद्धान्तका नाम की पुस्तक लिखी थी, जिसमे इन्होने बताया कि अयनांश, का मान 50-52 सेकेण्ड के बराबर होता होता है! और इन्होने शून्य और ऋणात्मक संख्याओ के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया!
हलायुध ज्योतिषविद, गणितज्ञ व महान वैज्ञानिक भी थे! इन्होने अभिधानरत्नमाला या मृतसंजीवनी नमक ग्रन्थ की रचना की! पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया!
पाँच हजार वर्ष पहले ब्राह्मणों ने हमारा बहुत शोषण किया; ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने से रोका; यह बात बताने वाले कथित इतिहासकार यह नहीं बताते कि 500 वर्ष पहले मुगलों ने हमारे साथ क्या किया? 100 वर्ष पहले अंग्रेजो और वामपंथियों ने हमारे साथ क्या किया?
हमारे देश में विज्ञान सम्मत शिक्षा नहीं थी, लेकिन 1897 में शिवकर बापूजी तलपडे ने हवाई जहाज बनाकर उड़ाया था, मुंबई में इसे देखने के लिए उस समय के हाईकोर्ट के जज महा गोविंद रानाडे और मुंबई के एक राजा महाराज गायकवाड के साथ-साथ हजारों नागरिक उपस्थित थे. कहा जाता है कि उसके बाद एक डेली ब्रदर नाम की ब्रिटेन की कंपनी ने शिवकर बापूजी तलपडे के साथ MOU किया, और बाद में बापू जी का निधन हो गया ! उनकी डेथ के बारे में संदेह व्यक्त किया जाता है. आगे चलकर में राइट बंधु ने हवाई जहाज बनाया! महर्षि भारद्वाज का विमान शास्त्र के आधार पर ही शिवकर बापूजी तलपडे ने जहाज बनाया था|
गुरुकुलों में अग्नि विज्ञान, वायु विज्ञान,अंतरिक्ष विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान,सूर्य विज्ञान,चन्द्रलोक विज्ञान,मेघ विज्ञान,पदार्थ विद्युत विज्ञान, सौर ऊर्जा विज्ञान,दिन रात्रि विज्ञान,सृष्टि विज्ञान, खगोल विज्ञान,भूगोल विज्ञान, काल विज्ञान, , भूगर्भ विज्ञान, रत्न व धातु विज्ञान गुरुत्वाकर्षण विज्ञान, प्रकाश विज्ञान, तार संचार विज्ञान,विमान विज्ञान, जलयान विज्ञान,अग्नेय अस्त्र विज्ञान,जीव, जंतु विज्ञान विज्ञान,यज्ञ विज्ञान,अर्थ विज्ञान,भेषज विज्ञान शल्यकर्म व चिकित्सा विज्ञान,कृषि व जल संचार विज्ञान, पशुपालन विज्ञान,पक्षिपालन विज्ञान,पशु प्रशिक्षण विज्ञान,यान यन्त्रकार विज्ञान सहित अनेक तरह के विज्ञान की शिक्षा और प्रत्यक्ष प्रशिक्षण की व्यवस्था थी|
NEWS PURAN
पुराण डेस्क