Teenage और sex , इस उम्र के बच्चों के लिए ज़रूरी बात... 


स्टोरी हाइलाइट्स

किशोरावस्था में सेक्स के प्रति आकर्षण सहज है। कई बार आकर्षण और आंतरिक बदलाव के कारण वे शारीरिक सम्बंध बनाने लेते हैं जो बाद में परेशानी का सबब बनता है। टीनएज में कुछ सावधानियां ज़रूरी है, पेरेंट्स भी इन बातों का ध्यान रखें।

आज के अधिकांश Teenagers सेक्सुअल रिलेशन का अनुभव करते हैं। गर्भनिरोधकों का प्रयोग न करने की समस्याओं से जूझते हैं। समय से पूर्व शारीरिक रिलेशन में केवल प्रेगनेंसी ही एक समस्या नहीं है; इसके अलावा सेक्सुअल रोगों की चपेट में आ जाने का खतरा भी बना रहता है जिसका रिजल्ट लम्बा संक्रमण और फीमेल्स में बांझपन भी हो सकता है। यही नहीं, प्राकृतिक प्रक्रिया और किशोर वय के शुरू में होने वाली सामाजिक उन्नति पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

चिकित्सक मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने Sex की ओर Interested Teenagers की कुछ Speciality का आकलन किया है। अधिकांश किशोर-किशोरियां Sex से Unknown होते हैं और Parents सोचते हैं कि उनसे Sex की चर्चा करना, उनको Sex की ओर प्रेरित करना होगा, लेकिन Research इसके Oposit ही जानकारी देते हैं।

Sex में रुझान वाले Teenagers का अधिकतर Development तेजी से हुआ होता है। वे अपने हम उम्र लड़के-लड़कियों से पहले ही अपने विपरीत sex वाले मित्रों के साथ अकेले घूमने लगते हैं। sex के प्रति Attract लड़कियां अपने से बड़ी उम्र वाले लड़कों के साथ घूमना और समय बिताना पसंद करती हैं।

चौदह वर्षीय SAPNA इसी दबाव का शिकार हुई। स्कूल में सब बच्चे ऐसे बातें करते थे जैसे sex के बारे में वे सब कुछ जानते हों।' वह बताती हैं- मुझे लगता था कि केवल मैं ही एक ऐसी लड़की हूं जो अभी तक 'अछूती हूं। बाद में मुझे पता चला कि जो बच्चे हमेशा sex के बारे में बातें करते थे, वे sex से Unknown थे।"

कुछ Teenagers की ऐसी perception बन जाती है कि sex का experience न करना उन्हें कमजोर, निष्प्रभावी और नीरस बना देता है।

माता-पिता न तो अपनी लड़कियों को ताले में बंद कर सकते हैं और न लड़कों को 18 वर्ष का होने तक घर में छुपा सकते हैं। वास्तव में Teenagers पर अत्यधिक  restrictions लगाना, उनको और भी अधिक विद्रोही बना सकता है।

कुछ  parents अपने बच्चों को अकेले घूमने न देकर अथवा उन पर प्रतिबंध लगाकर उनकी सेक्सुअल -भावनाओं को दबाने की KOSHISH करते हैं, लेकिन इस तरह के Control effective सिद्ध नहीं होते। बच्चों को प्रेम पूर्वक समझा कर इस तरह की  activities पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

sex और प्रेम के बारे में teenagers काफी हद तक अपने parents से सबक लेते हैं। parents के बीच परस्पर प्रेम और देखभाल की भावना, बच्चों के लिए सेक्सुअल -शिक्षा का एकमात्र सार्थक अंग है। यदि आप पुत्री के पिता हैं तो अपनी बेटी की  feelings का ध्यान रखें। पुत्री की Teenage में यदि उसका पिता उसे स्नेह नहीं देता तो वह दुखी और अपमानित महसूस करती है, इसलिए प्यार पाने के लिए वह उसके समवयस्क किशोरों की ओर attract होने की संभावना बढ़ जाती है।

विशेष रुचियों और हॉबी में निपुणता बच्चे को उसकी नजर में ऊंचा कर सकती है। यह आत्मतुष्टि वस्तुतः sex से प्राप्त तुष्टि की अपेक्षा कहीं अधिक प्रभावी है। संवेदनशील Teenagers के लिए स्वैच्छिक सामाजिक कार्य sex से ध्यान हटाने का एक अच्छा विकल्प प्रस्तुत कर सकते हैं। दूसरों के लिए अच्छे कार्य करके कोई भी युवा अपने आत्मसम्मान को बढ़ा सकता है।

बच्चे समय से पहले sex में लिप्त न हो इसका सबसे अच्छा तरीका है कि अभिभावक अपने बच्चों को समझाएं कि उनके आगे उज्ज्वल भविष्य है- ऐसा भविष्य, जो अपरिपक्व सेक्सुअल  रिलेशन  के कारण आसानी से नष्ट हो सकता है। अपने बच्चों की बातें ध्यान से सुनें, जब वह अपने सपनों को आपके साथ बांटे। उसकी महत्वाकांक्षाओं को प्रोत्साहित करें और उसके साथ बैठकर उसके भविष्य की नई संभावनाओं की खोज करें।

Teenagers को स्वयं समझने दें कि युवावस्था की ओर धीरे-धीरे बढ़ने, दोस्ती बढ़ाने, एक दूसरे का हाथ पकड़ने, प्रथम चुम्बन का अनुभव करने, नवीन रुचियों अथवा क्षमताओं की खोज करने के साथ ही वे सेल्फ को समझने और आत्म सम्मान को बढ़ाने के लिए भी समय निकालें,

sex आज हौआ नहीं रहा। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रचार-प्रसार से इस विषय पर आज सार्थक बहस हो रही है। sex के बारे में पहले से ही सब कुछ जान लेने से वैवाहिक जीवन सुखी व सम्पन्न बन सकता है। अधकचरे ज्ञान और सुनी-सुनाई बातों पर अमल करने से Family life में enter करने वाले युवाओं में प्रायः हीन भावना घर कर लेती है, जिससे उनका mental development अवरुद्ध हो जाता है। अतः आवश्यक है कि sex के बारे में पूरी तरह से जान-समझ लिया जाए। इससे जुड़ी समस्याएं और उनके समाधान को जानकार कोई भी किशोर इस दिशा में परिपक्व हो सकता है।

teenage कामुकता के परिपक्वता की अवस्था है। लड़कियां करीब 13 वर्ष की उम्र तक तथा लड़के 15 वर्ष की उम्र तक कामुकता (Sex) की दृष्टि से पूर्णरूपेण  mature हो जाते हैं। उनमें  pregnancy की क्षमता आ जाती है। 

शिक्षा मनोविज्ञान: नवीन विचारधाराएं के अनुसार सेक्स सम्बन्धी धारणाओं के चलते टीन ऐज में अति शक्तिशाली कामुकता के प्रवाह (Flow of sex energy) या काम सम्बन्धी मूल प्रवृत्ति (Sex Instinct) का दमन होता है जिससे टीनएजर में मानसिक ग्रंथियों का निर्माण होता है जो उसके मानसिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास में बाधक होती है। 

अनेक टीनएजर बालक एवं बालिकाए अनेक काम कुटेव ( Sex abuse) में लग जाते हैं। समाज से छिपकर चोरी-चोरी सेक्स या काम कृत्यों में लगते है जिसके कारण उनमें आत्म भर्त्सना (Self-condemnation) की भावना पैदा होती है। वे अपने को कोसने लगते हैं, उनकी इच्छाशक्ति कमजोर हो जाती है। शारीरिक स्वास्थ्य गिर जाता है तथा अनेक सामाजिक एवं भावात्मक व्यवस्थापन की समस्या उत्पन्न होती है।

समाज द्वारा अस्वीकृत, अनैतिक काम कृत्यों के फलस्वरूप उत्पन्न पाप बुद्धि के कारण कुछ टीनएजर आत्महत्या तक कर डालते हैं। काम शक्ति के उचित नियंत्रण के अभाव में किशोर बालक, बालिकाएं पथभ्रष्ट हो अपने जीवन को अनेक सामाजिक एवं संवेगात्मक समस्याओं में डाल देते हैं।

इस अवस्था में कामुकता का विकास मुख्यतः पूर्व किशोर काल (Puberty) में तीन अवस्थाओं से होकर गुजरता है 

(a) स्वप्रेम जिसे नार्सिसिज्म (Sell love or Narcissist) कहा गया है जो करीब 11 या 12 वर्ष उम्र की अवस्था होती है जब किशोर अपने को ही प्यार करता है अपने को काफी सुन्दर अच्छा तथा अद्वितीय पाता है तथा अपने को संवारने सजाने में लगा रहता है।

(b)12-13 वर्षी प्रेम की अवस्था है जब बालक, बालक के प्रति तथा बालिका, बालिका के प्रति आकर्षित होती है तथा उनके साथ रहना पसंद करती है उन्हीं को प्रेम करती है।

(c) तृतीय अवस्था विषमलिंगी प्रेम (Hetero Sexual Love) की अवस्था करीब 14-15 वर्ष उम्र है जहाँ किशोर विषम लिंगीय किशोर के प्रति आकर्षित होते हैं। अर्थात् बालक बालिका के प्रति तथा बालिका बालक के प्रति यह कामुकता के परिपक्वता (Sex maturity) की अवस्था है।

इस अवस्था के चारित्रिक दोष जैसे काम कुटेव, व्यानिचार, अनैतिक काम कृत्य आदि से बचाने के लिए किशोर को कठिन जीवन (Hard Life) मध्यम श्रम संगीत प्रातः उठना, ठण्डे पानी से स्नान, सादा भोजन एवं स्वस्थ मनोरंजन एवं अच्छी पुस्तकें आदि लाभकारी है।

किशोर की कामशक्ति (Sex Energy) का उचित उपयोग उन्नयन या शोधन परिमार्जन या उदारीकरण (Sublimation) द्वारा किया जा सकता है। उन्हें अधिक से अधिक समय खेलकूद संगीत, ड्रामा, सांस्कृतिक कार्य, रचनात्मक कार्य (Creative work), कलात्मक कार्य सामूहिक कार्य एवं खेल में लगाना चाहिए। उन्हें अकेले नहीं रहने देना ही अच्छा है। 

शैशवकालीन कामवासना की पुनरावृत्ति किशोरावस्था में अधिक तीव्र एवं उच्चतर रूप से होती है। यह विकास पुनरावृत्ति के सिद्धांत (Theory of Recapitulation) द्वारा संचालित होती है। अर्थात जिन प्रावस्था (Phase) में शैशवकाल में काम भावना का विकास होता है उन्हीं प्रावस्थाओं में 12 वर्ष के बाद इस प्रवृत्ति का विकास होता है। शैशवकालीन आत्मकेन्द्रीयता (Egocentrism) किशोरावस्था के स्वप्रेम (Self Love or Narcissist) के रूप में उभरता है। उत्तर बाल्यकाल की प्रसुप्त काम प्रवृत्ति (Latest sex Instinct in Latency Period) किशोरावस्था में पुनः जागृत हो उठती है। 

किशोरावस्था की तीन प्रमुख अवस्थाएं स्वप्रेम, समलिंगीय प्रेम तथा विषम लिगीय प्रेम किसी व्यक्ति में एक साथ विकसित हो सकती है। इस अवस्था में किशोर माता-पिता से मनोवैज्ञानिक रूप से अपने को धीरे धीरे अलग करके अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व निर्मित करता है जिसे वैयक्तिकरण (Individualisation) कहा गया है। वह स्वतंत्र चिन्तन करने लगता है एवं माता-पिता के विचारों से स्वतंत्र हो वह अपने स्वयं विचार, मूल्य एवं दृष्टिकोण बनाता है। मनोकामिक विकास (Psycho Sexual Development) में इस प्रक्रिया का विशेष महत्व है। इसी के आधार पर वह मनोकामिक अस्तित्व की प्राप्ति करता है।