स्टोरी हाइलाइट्स
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मोदी शाह के बाद…. कौन होगा बीजेपी का तारणहार? P ATUL VINOD
भारतीय जनता पार्टी भले ही वर्तमान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही हो लेकिन आने वाले समय में उसे दूसरी पंक्ति में कुछ ऐसे नेताओं की जरूरत पड़ेगी जो मोदी शाह का विकल्प बन सकें|
भारतीय जनता पार्टी में टॉप पर पहुंचने के लिए कुछ बुनियादी योग्यताएं होनी चाहिए|
बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी प्रमुख नाम हैं, लेकिन इन दोनों में पार्टी अपना भविष्य नहीं देखती| हो सकता है कि आने वाले समय में यह दोनों नेता चुके हुए माने जाएं, इन दोनों में कुछ खासियत हैं तो कुछ ऐसी कमियां है जो पार्टी का चेहरा बनने से इन्हें रोकती हैं| वैसे भी इन्हें पहले पार्टी में मौके मिल चुके हैं|
अब नरेंद्र मोदी का विकल्प बनने के लिए अमित शाह का नाम सबसे पहले आता है| लेकिन कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी के बिना अकेले अमित शाह शीर्ष पद पर वह कमाल नहीं कर सकते जिसकी जरूरत पार्टी को है| हालांकि मोदी का विकल्प नम्बर 1 अमित शाह को ही माना जाता है। बंगाल में शाह का करिश्मा चला तो वे इस रेस में सबसे आगे होंगे। इसके बाद भी एक समय बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पार्टी की कमान नए नेतृत्व को सौंपनी ही होगी| बीजेपी में ऐसे कई नेता हैं जिनके अंदर आगे आने की तमन्ना है भले ही वो खुलकर जाहिर ना करें|
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मोदी का विकल्प बनने की तैयारी कर रहे हैं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी इस रेस में शामिल हैं।
बीजेपी में दूसरी पंक्ति के नेताओं में जेपी नड्डा, वसुंधरा राजे सिंधिया, रमन सिंह, देवेंद्र फडणविस, धर्मेंद्र प्रधान, स्मृति ईरानी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, तेजस्वी सूर्या, अनुराग ठाकुर, कैलाश विजयवर्गीय, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, हेमंत विश्वा सरमा के नाम प्रमुख हैं|
योगी आदित्यनाथ तेजी से नरेंद्र मोदी का विकल्प बनने की तैयारी कर रहे हैं| योगी खुद को अपडेट और अपग्रेड भी कर रहे हैं| हालांकि चुनाव जीतने के लिए उनके पास सिर्फ हार्डकोर हिंदुत्व ही एकमात्र हथियार होता है| लेकिन योगी अब अपनी प्रशासनिक पकड़ को बढ़ाने के साथ अन्य स्तरों पर भी खुद को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं|
शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में सत्ता चले जाने के बाद पीछे चले गए थे लेकिन उपचुनावों में पार्टी को अच्छी जीत दिलाकर एक बार फिर जोश में हैं| मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान मोदी की तर्ज पर काम कर रहे हैं| उनका मीडिया मैनेजमेंट भी मोदी की तर्ज पर ही काम कर रहा है| शिवराज किसान कानून के मुद्दे पर पार्टी की ढाल बनने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं| एक जनप्रिय नेता होने के साथ-साथ शिवराज में कई और खासियत है जो उन्हें मोदी का विकल्प बनाती हैं, लेकिन कुछ कमजोरियां और उनके राजनीतिक विरोधी उनकी राह में बड़ा रोढा हैं |
कुछ ताजा मीडिया रिपोर्ट्स में हिमंता बिस्वा सरमा को मोदी शाह के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया गया है| इन रिपोर्ट्स का दावा है कि हिमंता में वह सब कुछ है जो उन्हें आने वाले समय में पार्टी के शीर्ष तक पहुंचा सके| हिमंता बिस्वा सरमा ने 2015 में कांग्रेस पार्टी छोड़ बीजेपी ज्वाइन की थी| पूर्वोत्तर में कठिन परिस्थितियों में पार्टी को जीत दिलाने वाले सरमा को राजनीति का चतुर खिलाड़ी, कुशल रणनीतिकार, प्रतिभाशाली और मास्टरमाइंड बताया जा रहा है|
जेपी नड्डा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, हालांकि जनता में उनकी पकड़ बहुत ज्यादा नहीं है| मोदी शाह की छत्रछाया के कारण अभी भी उनके राजनीतिक कौशल का परीक्षण नहीं हो पाया है| जेपी नड्डा आने वाले समय में किस रूप में उभरेंगे देखना बाकी है|
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया इस रेस में पीछे रह गए हैं| इन दोनों के बहुत आगे न बढ़ पाने का कारण इनका व्यक्तित्व और कुछ कमजोरियां हैं|
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अभी इतने सशक्त नहीं हुए हैं कि इन्हें एकदम से पार्टी के भविष्य का चेहरा मान लिया जाए लेकिन असंभव कुछ भी नहीं है|
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस रेस में शामिल है लेकिन पार्टी के कुछ मापदंडों पर खरे नहीं उतरते|
स्मृति ईरानी पार्टी का भविष्य का चेहरा हो सकती हैं| स्मृति ईरानी में वह सब कुछ है जो पार्टी को चाहिए| हालांकि पार्टी एक महिला को बहुत बड़ा मौका देगी यह कहा नहीं जा सकता|
भारतीय जनता पार्टी हमेशा से भविष्य का ख्याल रखते हुए नए नेताओं को आगे बढ़ाती रही है|
बेशक वर्तमान में नरेंद्र मोदी और हमेशा पार्टी के लिए अपरिहार्य है लेकिन एक समय बाद पार्टी को इनके विकल्प की जरूरत पड़ेगी|
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल प्रतिभाशाली हैं| लेकिन शीर्ष नेतृत्व की रेस में आगे आने के लिए उन्हें पार्टी की रीति नीति के अनुसार फेसलिफ्ट करना पड़ेगा|
तेजस्वी सूर्य और अनुराग ठाकुर के लिए अभी बहुत मौके हैं| ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आने वाले समय में पार्टी का एक प्रमुख चेहरा बन सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें धैर्य रखना पड़ेगा साथ ही खुद को बदलने के और प्रयास करने पड़ेंगे|
कैलाश विजयवर्गीय और निर्मला सीतारमण में द्वितीय श्रेणी के नेता बने रहने के पूरे गुण हैं| लेकिन अग्रिम पंक्ति में आने के लिए कुछ कमियां बाधा बनेगी|
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मोदी शाह का विकल्प बनने के लिए पार्टी के किसी भी नेता में राजनीति की चतुराई जरूरी है मसलन ...
पार्टी को शानदार प्रदर्शन दिलवाने का मादा रखता हो|
उसके अंदर चुनावों का मास्टरमाइंड हो, वह कुशल रणनीतिकार हो|
उसके अंदर बहुमुखी प्रतिभा हो|
चुनाव अभियानों का सफल नेतृत्व कर सकता हो|
धुआंधार चुनावी दौरे करने का शारीरिक बल और ध्रुवीकरण की राजनीति में पूरी तरह फिट बैठता हो|
मतदाताओं की नब्ज टटोलने का खास गुर होना चाहिए|
तमाम मतभेदों और विरोध के बावजूद भी अदम्य साहस के साथ मजबूती से खड़ा रहे|
अपने आप को प्रासंगिक रखने के लिए सतत बयानबाजी करता रहे, मुद्दों की पकड़ ऐसी हो की जनता उसके मत का आदर करे|
जोखिम उठा सके और आक्रामक तरीके से आगे बढ़ सके| जिसके पास अनुभव लोकप्रियता और दक्षता की कोई कमी ना हो|
हालांकि यह बात पूरी तरह सच है कि राजनीति कभी भी विकल्प विहीन नहीं होती| विकल्प हर समय मौजूद होता है ये बात अलग है कि वो दिखाई ना दे|
भारतीय जनता पार्टी में भी मोदी शाह के अनेक विकल्प हैं| कुछ दिखाई दे रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो नजर नहीं आ रहे लेकिन अचानक उभर सकते हैं|
2010 के पहले जिस अरविंद केजरीवाल को कोई नहीं जानता था वो अचानक उभरकर दिल्ली का मुख्यमंत्री बन जाएगा किसने सोचा था?
इंदिरा गांधी का कोई विकल्प बन सकता है सोचा भी नहीं गया होगा लेकिन मुरारजी देसाई उनका विकल्प बनकर उभरे|
वीपी सिंह राजीव गांधी का विकल्प बने, चंद्रशेखर बीपी सिंह का विकल्प बने, नरसिम्हा राव गांधी परिवार का विकल्प बने, अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस का विकल्प बनी|
नरेंद्र मोदी अटल, आडवाणी का विकल्प बने, इन दोनों से ज्यादा प्रभावी|
लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, नवीन पटनायक, नीतीश कुमार, मायावती, चंद्रबाबू नायडू, जय ललिता जैसे न जाने कितने क्षेत्रीय नेता अपने-अपने प्रदेशों की स्थापित सरकारों को हराकर लंबे समय तक के विकल्प बने |