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होमवर्क मुक्त बच्चे:  जब चीन यह कर सकता है तो हम क्यों नहीं ...अतुल पाठक

अतुल विनोद अतुल विनोद
Updated Wed , 19 Sep

सार

चीन व्यापक सरकारी सुधारों के तहत यह कदम उठा रहा है। भले ही चीन हमारा प्रतिद्वंदी है। लेकिन तरक्की के मामले में वह हम से आगे है। 

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विस्तार

होमवर्क मुक्त बच्चे:  जब चीन यह कर सकता है तो हम क्यों नहीं ...अतुल पाठक

चीन लगातार अपनी शिक्षा व्यवस्था में सुधार की तरफ आगे बढ़ रहा है। प्राइवेट कोचिंग इंस्टीट्यूट को लाभ हानि की चिंता किए बगैर चीन ने बंद कर दिया। अब चीन ने 6 और 7 साल के बच्चों के लिए रिटन एग्जाम पर पाबंदी लगा दी है।

चीन बच्चों को पढ़ाई के बोझ से मुक्त करने की दिशा में लगातार कदम उठा रहा है। कम उम्र से ही छात्रों पर दबाव उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।

चीन ने जूनियर हाई स्कूल तक होने वाली परीक्षाओं को भी सीमित कर दिया है।

चीन व्यापक सरकारी सुधारों के तहत यह कदम उठा रहा है। भले ही चीन हमारा प्रतिद्वंदी है। लेकिन तरक्की के मामले में वह हम से आगे है। 

शिक्षा में सुधार का चीन का रवैया काफी सकारात्मक है और बच्चों को दबाव मुक्त शिक्षा देने के लिए जिस तरह से बड़े कदम उठाए जा रहे हैं वह अपने आप में अनोखे हैं।

भारत में भी बच्चों को एजुकेशन के दबाव से मुक्त करने की बात कही जाती रही है। दबाव युक्त शिक्षा कभी भी बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कारगर नहीं है। भारत का भविष्य चेतनावान, आत्मविश्वास से भरे बच्चों में निहित है।

लेकिन यहां की शिक्षा व्यवस्था बच्चों को दब्बू और जिद्दी बना रही है। बार-बार होने वाले टेस्ट और एग्जाम बच्चों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। एग्जाम का डर उन्हें अनेक तरह के मनोविकारों से घेर लेता है। बच्चे पढ़ना नहीं चाहते लेकिन हम बच्चों को जबरन पढ़ाई में धकेल रहे हैं। 

बच्चे पढ़ना क्यों नहीं चाहते क्योंकि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जहां बच्चे स्कूलों में घुटन महसूस करते हैं।

स्कूलों से मिलने वाले होमवर्क के कारण घर का माहौल भी तनावपूर्ण हो जाता है। ऐसी स्थिति में चीन का उठाया गया कदम भारत में भी कारगर हो सकता है।

यदि भारत भी 7 साल से कम उम्र के बच्चों को होमवर्क मुक्त कर दे, एग्जामिनेशन सीमित कर दे।

जूनियर हाई स्कूल तक यानी आठवीं तक बच्चों को एग्जाम से या तो पूरी तरह मुक्त कर दिया जाना चाहिए या एग्जाम को सीमित कर दिया जाना चाहिए।