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ताजमहल में प्रवेश के लिए एएसआई के अजीबोगरीब फरमान, कोरोना के नाम पर टिकट खिड़की बंद, साइबर वाले कर रहे हैं शोषण.. सरयूसुत मिश्रा

सार

आजकल हमारे देश की व्यवस्था में कुछ इस तरह की विकृतियाँ आ गई है कि हर जगह लोगों को ठगी, अव्यवस्था या लापरवाही का शिकार होना जैसे उनकी नियति हो गयी है, कोरोना के कारण बंद बाजार, सिनेमा घर और पर्यटन केंद्र खुल रहे हैं,लेकिन ईएसआई द्वारा कोरोना के नाम पर अभी भी टिकट काउंटर बंद रखे गए हैं.

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विस्तार

आजकल हमारे देश की व्यवस्था में  कुछ इस तरह की विकृतियाँ आ गई है कि हर जगह लोगों को ठगी, अव्यवस्था या लापरवाही का शिकार होना जैसे उनकी नियति हो गयी है. कुछ जगहों पर ऐसा जानबूझकर किया जाता है, तो कुछ जगहों पर व्यवस्था के लिए जिम्मेदार लोगों की नासमझी या अदूरदर्शिता के कारण ऐसा होता है. यह स्थिति किसी एक जगह नहीं है. कमोवेश सभी जगह यही हाल है. किसी भी प्रदेश में कोई भी सरकार हो, वह इसे रोक नहीं पाती. हाल ही में परिवार के साथ आगरा ताजमहल देखने जाने का सुखद संयोग बना. वहाँ अजीबोगरीब हालात से दो-चार होना पडा. दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल को देखने जाने वालों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की बड़ी ही बेतुकी व्यवस्था देखने को मिली. भारत में कोरोना के कारण बंद बाजार, सिनेमा घर और पर्यटन केंद्र खुल रहे हैं,लेकिन ईएसआई द्वारा कोरोना के नाम पर अभी भी टिकट काउंटर बंद रखे गए हैं.
 


 
ताजमहल देखने के लिए केवल ऑनलाइन टिकट ही उपलब्ध होते हैं. इस व्यवस्था से वहां टिकट के लिए साइबर वालों की दलाली शुरू हो गई है. जैसे ही कोई पर्यटक पार्किंग एरिया में पहुंचता है, साइबर वाले उसके पीछे लग जाते हैं. वे कहते हैं कि टिकट और बनवाना है तो हम बना देंगे. इसके लिए वे 60 का टिकट 75 में देते हैं. दर्शक को यह नहीं पता होता कि टिकट काउंटर क्यों बंद रखे गए हैं. पूछताछ के बाद पता चलता है कि टिकट सिर्फ ऑनलाइन उपलब्ध हैं, तो उसे मजबूरी में साइबर वालों से ही उसे लेना पड़ता है. अब कोई ताजमहल देखे बिना वापस तो जाने से रहा. लिहाजा यह मनमानी भी सह लेता है.
 
 
जो पर्यटक पहुंचते हैं, वे ऑनलाइन टिकट नहीं ले पाते उन्हें मजबूरी में इस घोटाले का शिकार होना पड़ता है. उन्हें 60 रूपये की जगह 75 रूपये देना पड़ता है. ताजमहल की सुरक्षा सीआईएसएफ के पास है, लेकिन निजी सुरक्षा एजेंसी जांच प्रवेश द्वार पर जांच के लिए रखी गयी है और एएसआई के बीछ क्या घालमेल है, यह तो जांच पर ही पता चलेगा. भारत के गौरव ताजमहल को देखने के लिए जो भी पर्यटक आते हैं उन्हें अव्यवस्थाओं से निराशा होना पड़ता है. ऑटो पार्किंग एरिया से ताजमहल के प्रवेश द्वार तक जाने के लिए परिवहन व्यवस्था भी माकूल नहीं है. यह सही है, कि ताजमहल देखने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं. जो घरेलू पर्यटक हैं, उनमें अधिकतर पढ़े-लिखे लोग हैं और ऑनलाइन व्यवस्था को समझते हैं. वे ताजमहल आने के पहले ही उपयुक्त रूप से ऑनलाइन टिकट खरीद लेते हैं.
 
 

लेकिन देशभर के गांवों-कस्बों में रहने वाले लोगों में भी ताजमहल देखने की ललक तो होती ही है. जैसे ही मौक़ा मिलता है, वे इसे देखने की हसरत लिए बहुत उत्साह से आते हैं. उनमें से अधिकतर को तो यह पता ही नहीं होता कि ताजमहल देखने के लिए ऑनलाइन टिकट बुक करवाना पड़ता है या यह ऑनलाइन टिकट क्या बला है. वे तो यही मानकर चलते हैं कि बस जाओ, टिकट विंडो से टिकट खरीदो और बस देख लो इस अद्भुत इमारत को. ऐसे लोगों को जब पता चलता है कि ऑनलाइन ही टिकट मिलेगा, तो उनके पास साइबर वालों से 15 रुपये अधिक देकर टिकट प्राप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता. 
 
 
यह व्यवस्था शायद कोरोना के कारण शुरू हुयी होगी, लेकिन ऐसा लगता है कि इसे कोई ख़त्म करना नहीं चाहता. इसमें ताजमहल के प्रबंधन से जुड़े लोगों के निहित स्वार्थ की बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसा इसलिए है कि आज पूरे देश में कोई भी व्यवस्था भ्रष्टाचार से अछूती नहीं रह गयी है. बहरहाल, यह ज़रूर कहा जा सकता है, कि इस प्रकार ठगे जाने के दुःख को दर्शक भव्य ताजमहल को देखते ही भूल जाता है. प्रेम के प्रतीक इस स्मारक में एक अजीब-सा आकर्षण है, जो जादू की तरह है. इस पर नज़र पड़ते ही, देखने वाले की ऑंखें उसपर जैसे गढ़ जाती हैं. इसकी सुंदरता में कुछ बहुत विशेष है. इसका पूरा परिवेश ही बहुत दिलफरेब है. इस परिसर में जाकर कोई भी इसकी पृष्ठभूमि में तस्वीर उतरवाना नहीं भूलता. अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्ष यहाँ सपत्नीक आते हैं और जोड़े से फोटो खिंचवाने आ लोभ संवरण नहीं कर पाते.


 
ताजमहल के बारे में अनेक तरह की बातें कही जाती रही हैं. किसीने इसे प्रेम का प्रतीक माना, तो किसीने कहा कि इसे बनाने वाले ने ग़रीबों की मोहब्बत का मज़ाक बनाया है. कोई कहता है कि यह “तेजोमहल” था जिसे ताजमहल का रूप दे दिया गया. कोई कहता है कि यह तो कब्र है, इसे क्या देखना .ऐसी भी कहानियाँ प्रचलित हैं कि इस इमारत को जिन लोगों ने निर्मित किया था, उनके हाथ शाहजहां ने कटवा दिए थे, ताकि वे इस तरह की कोई दूसरी इमारत नहीं बना पायें. हालांकि इसके कोई प्रमाण नहीं हैं. कहते हैं कि मुंडे मुंडे मति भिन्न: यानी हर आदमी की सोच अलग होती है. लेकिन कुछ भी कहिये, ताजमहल को देखना सचमुच बहुत अद्भुत अनुभव है.