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पंजाब को क्या अशांति “टू” में धकेला जा रहा है ? पीएम की सुरक्षा में चूक, देश के साथ धोखा..! सरयूसुत मिश्र

सार

पंजाब में क्या पुराना इतिहास फिर दोहराया जा रहा है ? सुरक्षा चूक की घटना ने भारत की संवैधानिक व्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है, राज्य अशांति और आतंक का एक दौर देख चुका है, मामले की गंभीरता को इस बात से ही समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया में यह कहा कि, अपने मुख्यमंत्री को थैंक यू बोल देना, कि मैं जिंदा एयरपोर्ट आ सका...

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विस्तार

पंजाब में क्या पुराना इतिहास फिर दोहराया जा रहा है ? पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता क्या सिस्टम को विषाक्त कर रही है! प्रधानमंत्री को निर्धारित कार्यक्रम किए बिना पंजाब से वापस लौटना पंजाब और सिखों की शान के खिलाफ है| भले ही इसमें सियासत हो लेकिन सुरक्षा चूक की घटना ने भारत की संवैधानिक व्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है| इसकी जांच होगी दोषियों पर कुछ कार्यवाही होगी, कुछ लीपापोती होगी, लेकिन संविधान के ढांचे की जो नीव हिल गई है उसका जवाब तो पंजाब की सरकार को देना ही होगा|

बॉर्डर स्टेट पंजाब भारत की  सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है| यह राज्य अशांति और आतंक का एक दौर देख चुका है| उस दौर से निकलने में पंजाब ने और पंजाबियों ने क्या क्या दर्द सहे हैं| उनको सोच कर ही सिहरन पैदा हो जाती है| पंजाब आतंकवाद का शिकार हो गया था| स्वर्ण मंदिर में “ब्लू स्टार” ऑपरेशन की नौबत आई| पंजाब की अशांति के दर्द को पूरे भारत ने भोगा| भारत की एक प्रधानमंत्री की शहादत हुई| अब फिर से पंजाब में वही माहौल बनाने की कोशिश कुछ लोग कर रहे हैं| सुरक्षा में चूक के मामले की गंभीरता को इस बात से ही समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया में यह कहा, कि अपने मुख्यमंत्री को थैंक यू बोल देना, कि मैं जिंदा एयरपोर्ट आ सका|

कोई कुछ भी कहे लेकिन प्रधानमंत्री ने उस घटना से जो महसूस किया वह उनके जीवन पर संकट जैसा प्रतीत हुआ, तभी उन्होंने ऐसी प्रतिक्रिया दी| पंजाब में कांग्रेस की सरकार है लेकिन आज पंजाब राजनीतिक अस्थिरता का शिकार हो गया है| कैप्टन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद से हटाया, फिर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया| उनकी मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया में ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने विरोध की आवाज उठा दी|

चन्नी तकनीकी रूप से मुख्यमंत्री हैं लेकिन राज्य सरकार में उनका इकबाल बहुत ज्यादा दिखाई नहीं पड़ता| अभी भी मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष के बीच में राजनीतिक उठापटक साफ़  दिखाई पड़ रही है| राजनीतिक अस्थिरता का यह संकट ऐसा लगता है कि पंजाब के नेताओं के मस्तिष्क तक पहुंच गया है| प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक की घटना भी इसी राजनीतिक अस्थिरता का परिणाम लगता है| जब गंभीर नेतृत्व को हटाकर जाति के नाम पर योग्यता देखे बिना किसी को अवसर दिया जाता है तो राज्य की व्यवस्थाएं इसी तरीके से चरमराती हैं|

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से केंद्र में शासन में आए हैं तब से ही उनका विरोध राजनीतिक रूप से ज्यादा निजी स्तर पर करने की शुरुआत राजनीतिक दलों की ओर से हुई है| हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था दलीय जरूर है, लेकिन चुनाव के बाद कोई भी शासन दल का नहीं बल्कि राज्य या केंद्र का होता है| जो भी शासन में बैठता है वह सभी नागरिकों का प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री होता है| भारत में मोदी के बाद ऐसा माहौल बनाया गया कि मोदी एक समुदाय या एक धर्म के अनुसार काम को अंजाम देते हैं| जबकि व्यवहारिक रूप से ऐसा दिखाई नहीं पड़ता|

किसान आंदोलन और पंजाब को अलग नहीं किया जा सकता| आंदोलन भी जिस ढंग से चला, आंदोलन के दौरान लाल किले पर जिस तरीके का घटनाक्रम हुआ था, वह भी पंजाब और सिख समुदाय से जुड़ा हुआ था| आंदोलन का दूसरे देशों से समर्थन और सहयोग में भी ऐसी बातें सामने आई थी, जिसमें पंजाब को लेकर अलग राज्य की भावनाओं को उभारा गया था| पाकिस्तान लगातार भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बाधाएं पैदा करता रहता है| चाहे भारत की सीमाओं में आतंकवादियों को घुसाना हो या ड्रोन के माध्यम से बॉर्डर स्टेट में हथियारों को गिराना, पाकिस्तान पंजाब में भी किसी न किसी रूप में अस्थिरता के लिए सतत प्रयासरत रहता है| ड्रग्स और हथियारों की सप्लाई सीमा पार से अनेक बार होती है| कई बार अपराधी पकड़े भी गए हैं|

पंजाब में जल्दी ही चुनाव होने वाले हैं| इन चुनावों में जो भी समीकरण बैठाए जा रहे हैं, उस में सत्ताधारी कांग्रेस बिखरती हुई दिख रही है, कांग्रेस का यह बिखराव पंजाब की शासन व्यवस्था को  बिगाड़ने की हद तक चला गया है| जो घटना प्रधानमंत्री के साथ पंजाब में हुई है| ऐसी घटना कभी भी भारत में किसी भी प्रधानमंत्री के साथ पहले नहीं हुई है| अगर इस तरीके की प्रवृत्ति बढ़ती रही तो राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारों में दूसरे दल के राजनेताओं का आना जाना ही बंद हो जाएगा| ऐसी स्थिति संघीय ढांचे को बर्बाद कर सकती है|

पीएम की सुरक्षा में चूक अक्षम्य  है, इसे देश माफ नहीं कर सकता| इस घटना से भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि कितनी प्रभावित हुई है इसकी कल्पना ही की जा सकती है| भारत के  शत्रु राष्ट्रों के लिए ऐसी घटनाएं बूस्टर का काम करती हैं| इसलिए राजनीतिक दलों को दलीय  सीमाओं से ऊपर उठकर भारतीय संविधान और शासन की मर्यादा के अनुरूप आचरण करना चाहिए| जो भी ऐसा आचरण नहीं करे उन्हें माफ़ भी नहीं किया जाना चाहिए, उन्हें दंड अवश्य दिया जाना चाहिए| पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता और बिगड़ती व्यवस्थाओं को नहीं सुधारा गया तो इस राज्य को अशांति “2” में जाने से बचाना कठिन हो सकता है|