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और ये विकास दर?

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Tue , 05 Jun

सार

कुल वित्त वर्ष की विकास दर 6.5 प्रतिशत रही है, यह पुष्टि भारत सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने की है..!!

janmat

विस्तार

वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी, अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में देश की आर्थिक विकास दर 7.4 प्रतिशत रही। बेशक यह कई अपेक्षाओं और अनुमानों से परे मानी जा सकती है, लेकिन यह अभूतपूर्व नहीं है। कुल वित्त वर्ष की विकास दर 6.5 प्रतिशत रही है, यह पुष्टि भारत सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने की है। 

यदि वस्तुओं, सेवाओं और वेल्यू एडिड के तौर पर लगाए गए करों को हटा लिया जाए, तो चौथी तिमाही की विकास दर 6.8 प्रतिशत रह जाएगी। विकास की गति दूसरी छमाही के दौरान तेजी से बढ़ी, अलबत्ता दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में विकास दर 5.6 प्रतिशत तक लुढक़ गई थी। समग्रता में देखें, तो भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी 2024-25 के दौरान धीमी, मंद रही है, लिहाजा चौथी तिमाही के आंकड़ों पर गालबजाई नहीं करनी चाहिए। फिर भी भारतीय रिजर्व बैंक और विश्व की आर्थिक एजेंसियों ने 2024-25 के दौरान हमारी आर्थिक विकास दर 6.2 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत तक ही आंकी थी। यह दर भी विश्व में सबसे तेज अर्थव्यवस्था की ओर संकेत करती है। 

औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में, खासकर मैन्यूफैक्चरिंग में, तेजी से गिरावट देखी गई है। 2024-25 के दौरान मार्च तिमाही में इस क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछली तिमाही में यह वृद्धि 3.6 प्रतिशत थी, जबकि एक साल पहले यह दर 12.3 प्रतिशत थी। यह चिंताजनक फासला माना जा सकता है। बीते वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र ने नए आयाम स्थापित किए। 

मौसम माकूल रहा, जलाशयों में पानी भरा रहा, किसानों को उनकी फसलों के दाम अच्छे और ज्यादा मिले, लिहाजा किसानों ने फसलों की ज्यादा बुआई की। बड़े खेतों में फसल लगाई। नतीजा यह रहा कि चौथी तिमाही में कृषि विकास दर 5.4 प्रतिशत रही। पूरे वित्त वर्ष की कृषि विकास दर 4.6 प्रतिशत  रही। यह लंबे समय तक की औसतन दर से अधिक है। 

यह बढ़ते ग्रामीण उपभोग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सुखद व्याख्या करती है, लेकिन भारत के ज्यादातर किसान आज भी गरीब और कर्जदार हैं। प्रधानमंत्री मोदी इस संदर्भ में अपना वायदा अब तो पूरा करें। इस तिमाही में निर्माण क्षेत्र में 10.8 प्रतिशत की दर से विस्तार हुआ, हालांकि एक साल पहले इस क्षेत्र की विकास दर 8.7 प्रतिशत थी। खनन क्षेत्र, सेवा क्षेत्र और सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा आदि क्षेत्रों में भी विकास दर्ज किया गया है। दरअसल 2023-24 में जीडीपी 9.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि सामान्य निर्यात में गिरावट और औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती का असर कुल अर्थव्यवस्था पर साफ दिखाई देता है। विशेषज्ञों का यह भी आकलन है कि मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था का मजबूत प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि घरेलू मांग, निवेश, बचत आदि में बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल, 2025 में 26,632 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। यह किसी एक माह में सबसे बड़ा निवेश है। 

रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में घरेलू नेट वित्तीय बचत 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो पिछले साल 4.9 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा देश की आर्थिक सेहत के लिए सकारात्मक संकेत है। अब भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन गया है। 

2025-26 में भी भारत की आर्थिक विकास दर 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत तक रह सकती है। अर्थात भारत की आर्थिक शक्ति और भी बढ़ेगी और हम अपना लक्ष्य हासिल कर सकेंगे। व्यापार, होटल, परिवहन और संचार के साथ-साथ वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं के क्षेत्र में विकास पहले की अपेक्षा धीमी गति से हुआ है। 

जीडीपी डाटा स्पष्ट करता है कि पिछले साल निजी खपत 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। हालांकि कुछ कंपनियों की व्याख्या भिन्न है। वे मानती हैं कि मांग में नरमी आई है और मध्य वर्ग सिकुड़ा है। वे निवेश से प्राप्त पूंजी की स्थिरता पर भी सवाल करती आई हैं, जबकि तिमाही का डाटा स्पष्ट करता है कि सकल सावधि पूंजी निर्माण 9.4 फीसदी की दर से बढ़ा है। 

गौरतलब यह है कि अप्रैल, 2025 में खुदरा महंगाई दर 3.16 प्रतिशत रही। यह बीते कई माह की सबसे कम महंगाई दर है। खाद्य वस्तुओं की महंगाई घटना और निजी खपत बढऩा भी सकारात्मक संकेत हैं। विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि आने वाली तिमाहियों में यह विकास दर कम भी हो सकती है।