संक्रमण पिछले पांच महीनों में सबसे ज्यादा है। कुल संक्रमितों की संख्या साढ़े नौ हजार व दैनिक संक्रमण दर 1.56 बतायी जा रही है
कोरोना दुष्काल का चक्र भारत में फिर घूमना शुरू हुआ है। फिर एक बार कोरोना संक्रमण की दस्तक चिंता का सबब है। हमें पुराने अनुभव के अनुरूप मास्क लगाने, भीड़भाड़ से बचने, खांसते समय मुंह ढकने तथा सेनिटाइजर के उपयोग पर ज़ोर देना शुरू कर देना चाहिए। वैसे तुलनात्मक रूप से जहां भारत में जहां संक्रमण की दर एक प्रतिशत है, वहीं अमेरिका में उन्नीस व रूस में बारह प्रतिशत है। फिर भी सावधानी ही बचाव है।
पिछले चौबीस घंटे में एक हजार से कुछ कम नये संक्रमितों का पता चला तथा महाराष्ट्र व गुजरात में दो-दो मौतों की बात कही जा रही है। संक्रमण पिछले पांच महीनों में सबसे ज्यादा है। कुल संक्रमितों की संख्या साढ़े नौ हजार व दैनिक संक्रमण दर 1.56 बतायी जा रही है। हालांकि देश में अब तक 220.65 करोड़ कोविड रोधी टीके की खुराकें लगायी जा चुकी हैं। जिसने देश को नया आत्मविश्वास दिया है।साथ ही यह तथ्य आत्मविश्वास को डिगाता है कि बूस्टर डोज के प्रति उदासीनता दिखाई दी, जो चिंताजनक है। दरअसल, कोरोना के नये सब वेरिएंट एक्सबीबी 1.16 को बढ़ते संक्रमण का कारण बताया गया है। ज्यादातर मामले महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, दिल्ली व कर्नाटक में दर्ज किये गये।
यूँ तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों को हालात पर नजर रखने व टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व आईसीएमआर की संयुक्त एडवाइजरी के मुताबिक कोरोना से बचाव की तैयारी के लिये दस व ग्यारह अप्रैल में पूरे देश में मॉक ड्रिल करने की योजना बनायी गई है। दरअसल, कोविड संक्रमण के साथ ही इन्फ्लूएंजा एच3एन2 के मामलों में वृद्धि भी चिंता बढ़ा रही है। विशेषज्ञों की राय है कि कोविड से जुड़े सभी प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित हो। साथ ही बूस्टर डोज लेने की सलाह भी दी जा रही है। संक्रमण की एक वजह मौसम में बदलाव भी बताया जा रहा है।
हमें पुराने अनुभव के अनुरूप मास्क लगाने, भीड़भाड़ से बचने, खांसते समय मुंह ढकने तथा सेनिटाइजर के उपयोग को बड़ाना होगा ।उल्लेखनीय है कि भारत में जहां संक्रमण की दर एक प्रतिशत है, वहीं अमेरिका में उन्नीस व रूस में बारह प्रतिशत है। इस बाबत हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने टेस्टिंग व जिनोम सिक्वेंसिंग बढ़ाने पर जोर दिया है। खासकर सांस संबंधी बीमारी से पीड़ितों के मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतने की बात कही गई है। दरअसल, यह एक हकीकत है कि कोविड का वायरस हमारे परिवेश में लगातार नये रूप बदलकर दस्तक देता ही रहेगा, अत: हमें कोविड के साथ जीने की आदत डालनी होगी। ऐसे में जरूरी है कि हम सजगता से कोविड से बचाव के उपयुक्त व्यवहार का पालन करें।
इसके साथ सरकार इसकी जांच, उपचार व जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि देश में सफल टीकाकरण के चलते अब अस्पताल में भर्ती होने व मरने वालों की संख्या में पहले जैसी वृद्धि नहीं होगी। हमें ‘जान भी और जहान भी’ की नीति का अनुसरण करते हुए सुनिश्चित करना होगा कि हमारी अर्थव्यवस्था पर किसी तरह के प्रतिबंधों का प्रतिकूल असर न पड़े।
याद कीजिए वर्ष 2020 में लॉकडाउन से हमारी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा था और लाखों लोगों को अपनी रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा था। हाल में चीन तक में ज़ीरो कोविड नीति के खिलाफ उग्र प्रदर्शन के बाद इस नीति में बदलाव करना पड़ा था। भारत सरकार को टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट, टीकाकरण व कोविड नियंत्रक उपयुक्त व्यवहार पर बल देना होगा।