ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम नरेंद्र मोदी, सैन्य वीरों के बीच गए. सरहदी इलाकों में गए. पंजाब से शुरु उनकी यह यात्रा राजस्थान, गुजरात होते हुए अब भोपाल पहुंच रही है. जम्हूरियत के प्रतीक के रूप में जंबूरी मैदान पर 31 मई को शक्ति के प्रतीक महिला सशक्तिकरण के महासम्मेलन में वह आ रहे हैं. यह आयोजन लोकमाता देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती के अवसर पर हो रहा है..!!
अहिल्याबाई सुशासन, न्याय, दया, धर्म के साथ ही महिला शक्ति का प्रतीक हैं.ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की महिला शक्ति का परचम फहराया है. पहली बार प्रधानमंत्री ऑपरेशन सिंदूर के वास्तविक प्रतीक महिला शक्ति के बीच आ रहे हैं. निश्चित रूप से पीएम के सम्मान में भोपाल सिंदूरी होगा.
सिंदूर सौंदर्य, ऐश्वर्य, परिवार, संसार, संस्कार और जीवन का प्रतीक है. जिस सभ्यता और संस्कृति पर ऑपरेशन सिंदूर का नामकरण किया गया, उसका जीवंत स्वरूप भोपाल में दिखाई पड़ेगा. पीएम केवल मंच पर नहीं बल्कि महिला शक्ति के बीच जाकर नमन करेंगे. आभार व्यक्त करेंगे और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर खुशी बांटेंगे.
बीजेपी की सरकारों में पीएम नरेंद्र मोदी जंबूरी मैदान पर कई बार आ चुके हैं. वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में इस मैदान पर पीएम का पहला दौरा है. ऑपरेशन सिंदूर के साए में हो रहा यह महिला सशक्तिकरण सम्मेलन कई मायनों में अलग होगा. पीएम के कार्यक्रम में जो अधिकारी रहेंगे उनमें 50% से ज्यादा महिलाएं होंगी.
महिला सशक्तिकरण के लिए मध्य प्रदेश हमेशा अग्रणी रहा है. लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद लाड़ली बहना योजना लागू करने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य था. जिसे बाद में देश के कई राज्यों में अपनाया गया है. सम्मेलन स्थल इस तरह से सजाया जा रहा है, कि पूरी थीम ऑपरेशन सिंदूर और महिला शक्ति पर बनी रहे.
पीएम मोदी ने अब तक जो भी सभाएं ली हैं, उसमें ऑपरेशन सिंदूर में भारत के सूरवीरों द्वारा पाकिस्तान को सिखाए गए सबक की चर्चा जरूर करते हैं. भोपाल में भी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर फोकस रहेगा. इस सम्मेलन की सफलता राष्ट्रव्यापी संदेश देगी. शायद इसीलिए सीएम मोहन यादव इसकी तैयारी की हर बारीकी पर स्वयं नजर बनाए हुए हैं.
महिला शक्ति की राजनीति सभी दल करते हैं. ऑपरेशन सिंदूर ने सार्वजनिक जीवन में महिला शक्ति की प्रजेंस और पावर को नई दिशा दी है. संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने का श्रेय भी नरेंद्र मोदी को ही जाता है. इसके लिए नारी वंदन अधिनियम अधिसूचित हो चुका है. अगले चुनाव के पहले राष्ट्रीय जनगणना के साथ ही संसद और विधानसभा की सीटों का परिसीमन होगा. इसके बाद ही महिला आरक्षण लागू होगा.
पॉलिटिक्स में ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है. आरक्षण लागू होने के साथ ही इस ऑपरेशन को पूर्णता मिलेगी. देश में महिला शक्ति सार्वजनिक जीवन में लगातार सशक्त हो रही है. अब कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है, जहां महिलाओं का दखल या नेतृत्व नहीं पहुंचा हो. ऐसा माना जाता है, कि पीएम नरेंद्र मोदी की राजनीति की सक्सेस में नारी शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है. जितने भी सर्वे आए हैं सब में यही बताया गया है कि महिलाओं के ज्यादा मत दूसरे दलों की तुलना में बीजेपी को मिले हैं.
महिला आरक्षण का मामला दशकों से लंबित था. इस पर राजनीति तो बहुत हुई, लेकिन कानून बन नहीं पाया था. नई संसद में जब पहला विशेष सत्र हुआ, तब अप्रत्याशित रूप से महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया गया. यह कानून लागू होने के बाद भारत की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अप्रत्याशित रूप से बढ़ेगी. इसका लाभ लेने के लिए तो सभी दल प्रयास करेंगे लेकिन बीजेपी को उसका लाभ मिलना स्वाभाविक लगता है. क्योंकि महिला आरक्षण उसके द्वारा ही दिया गया है.
सिंदूर की रक्षा के लिए भारतीय संस्कृति में लड़े गए युद्धों से हमारा इतिहास भरा पड़ा है. हमारी संस्कृति के सबसे बड़े शास्त्र रामायण और महाभारत का आधार भी सिंदूर की रक्षा है. सीता और द्रौपदी के अपमान के बदले के लिए राम-रावण और महाभारत का युद्ध हुआ था. पहलगाम में हुए हिंदुओं के नरसंहार के बदले के लिए ही ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया है. यह केवल सरकार या सैन्य अभियान नहीं है, बल्कि देश के जन-बल का अभियान है.
देवी अहिल्याबाई सुशासन की प्रतीक मानी जाती हैं. संस्कृति के विस्तार के लिए भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया है. हिंदू संस्कृति का ऐसा कोई धर्मस्थल नहीं है, जहां पर देवी अहिल्याबाई ने जीर्णोद्धार और विकास का काम नहीं किया हो. उनकी न्यायप्रियता और लोकप्रियता उन्हें लोकमाता का दर्जा देती है. ऐसी महान विभूति की स्मृतियों को वर्तमान समय में लोगों तक पहुंचाने का काम करने वाली सरकारें भी प्रशंसा योग्य हैं. बस केवल इतिहास की अच्छी बातें बताकर अच्छा गवर्ननेंस नहीं हो सकता. अच्छे गवर्नेंस के लिए तो खुद इतिहास बनाना पड़ता है.
सुशासन के लिए चुनौती हमारे सामने है. आजकल ज्यादातर तो ऐसा लगता है, कि सिस्टम ही आपस में सुशासन की बंदरबांट में व्यस्त रहते हैं. डिजिटल गवर्नेंस से इसमें सुधार दिखा है. यह शुरुआत है अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना है.
विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद सत्र की मांग कर रहे हैं. संसद का मानसून सत्र तो समय पर होगा ही. इसमें चर्चा भी होगी. ऑपरेशन सिंदूर पर देश के लोगों को भी जानने का हक है. संसद तो प्रतिनिधि सभा है. जब प्रधानमंत्री सीधे जनता के सामने जाकर अपनी बात रख रहे हैं, तो वह प्रतिनिधि सभा से कम महत्वपूर्ण नहीं है.
पीएम नरेंद्र की मोदी की सबसे बड़ी खूबी सरप्राइज है. भोपाल में महिला शक्ति के बीच ऑपरेशन सिंदूर के साए में उनसे सरप्राइज की उम्मीद की जा सकती है. सिंदूर की प्रतीक नारी शक्ति को ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धियां भोपाल के महिला सशक्तिकरण सम्मेलन में समर्पित की जाएंगी.