आम जनता की अपेक्षा राजनीतिक दलों से सदैव पारदर्शिता की रही है, जो सही भी है..!
प्रतिदिन विचार-राकेश दुबे
04/10/2022
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ने अपने अध्यक्ष के चुनाव से पूर्व दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें पार्टी पदाधिकारियों को उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने से रोक दिया गया। कांग्रेस का मुकबला अपने को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहने वाली भाजपा से हैं | भाजपा ने भी पिछले ही दिनों ‘उपयुक्तता’ के पैमाने को ध्यान में रखकर अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ाया है |कांग्रेस ने भले ही दिखावे के लिए निर्देश सार्वजनिक किये हैं, भाजपा और उसके पैतृक संगठन को भी इस बारे में विचार करना चाहिए | आम जनता की अपेक्षा राजनीतिक दलों से सदैव पारदर्शिता की रही है, जो सही भी है |
कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जो लोग किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करना चाहते हैं, उन्हें पहले अपने संगठनात्मक पद से इस्तीफा देना होगा। पार्टी ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर अपनी व्यक्तिगत हैसियत से कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा में ऐसी साफगोई कभी देखने को नहीं मिली | कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप लगे ही नहीं दिखे भी, इसके विपरीत भाजपा में सबकुछ कहाँ से तय होता है , किसी से छिपा नहीं है |भाजपा में जो कहा जाता है वैसा होता नहीं , जो होता है वो दिखता नहीं, जो दिखता उसके पीछे क्या मंशा है ,पता नहीं होता | मार्गदर्शक मंडल में आसीन या उससे बाहर बैठाये गये महानुभाव असहाय हैं, यह पंक्ति और बड़ी होंगी इसके संकेत भी साफ़ है |
भाजपा जिस पैतृक सन्गठन के ‘आदेश और आज्ञापालन’ की संस्कृति पर चलती है उसका कुनबा बड़ा है, परन्तु हर सन्गठन का पहला मन्त्र ‘गोपनीयता’ है | इस कुनबे में 18 मुख्यमंत्री,29 राज्यपाल, और विभिन्न संगठनों में कार्यरत 15 करोड़ स्वयंसेवक हैं | पारदर्शिता और प्रजातांत्रिक व्यवहार की आवाज हर तरफ से आ रही है |
कांग्रेस ने रास्ता दिखाया है, चुनाव के नाम पर ही सही , फ्रंटल संगठनों के प्रमुख, विभागों के प्रमुख, प्रकोष्ठ और सभी आधिकारिक प्रवक्ता “के लिए या उसके खिलाफ” प्रचार नहीं करेंगे। एआईसीसी महासचिव/प्रभारी, सचिव, संयुक्त सचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, कांग्रेस विधायक दल के नेता, फ्रंटल संगठनों के प्रमुख, विभागों के प्रमुख, प्रकोष्ठ और सभी आधिकारिक प्रवक्ता “के लिए या उसके खिलाफ प्रचार नहीं” करेंगे।अगर वे किसी उम्मीदवार का समर्थन करना चाहते हैं, तो उन्हें पहले अपने संगठनात्मक पद से इस्तीफा देना होगा, उसके बाद वे प्रचार प्रक्रिया में भाग लेंगे। काश देश के सभी दलों में चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी होती ?
चुनाव के दौरान, कांग्रेस ने कहा, कोई भी उम्मीदवार मतदाताओं को लाने के लिए वाहनों का उपयोग नहीं कर सकता है और न ही किसी “अवांछित पैम्फलेटियरिंग” या किसी अन्य प्रकार के प्रकाशन प्रचार का सहारा ले सकता है।पार्टी ने चेतावनी दी, “इन प्रक्रियाओं के उल्लंघनकर्ता उम्मीदवारों के चुनाव को अमान्य कर देंगे और उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बनाएंगे।”
इसमें यह भी कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत सावधानी बरती जानी चाहिए कि किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ कोई दुर्भावना का अभियान न हो। इससे पार्टी का अपमान होगा। चुनाव प्रक्रिया की संवेदनशीलता को किसी भी कीमत पर बरकरार रखा जाना चाहिए।इसके बाद एक ट्वीट में, चुनाव लड़ रहे शशि थरूर ने कहा कि वह संगठन के अध्यक्ष चुनाव पर पार्टी के मुख्य चुनाव प्राधिकरण की घोषणा का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रोफेशनल्स कांग्रेस के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है।
देश में छोटे- बड़े , नए –पुराने बहुत से राजनीतिक दल हैं और भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है | इनमें से अधिकांश में आतंरिक प्रजातंत्र और पारदर्शिता का अभाव है | जिसका परिणाम देश में धनबल, बाहुबल और कुख्यात जैसे विशेषण की सरकारें बनती है | अब तो एक नया चलन भी बढ़ रहा है, जिसमे पूरा दल एक -दो व्यक्तियों तक केन्द्रित है | इस केन्द्रीकरण से राष्ट्र हित नहीं ,व्यक्ति हित साधने की राजनीति होती है और ऐसी राजनीति का अगला पडाव “तानाशाही” होती है |देश हित में सभी राजनीतिक दलों से दलों के भीतर और बाहर पारदर्शिता अपेक्षित है