आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ यानी कृत्रिम बुद्धिमता जैसी अत्याधुनिक तकनीकी प्रौद्योगिकी के साथ ही साथ साइबर अपराधों और हमलों का जोखिम भी काफी तीव्रता के साथ बढ़ी है..!
०प्रतिदिन विचार-राकेश दुबे
04 /03 /2023
हमारा देश भारत तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में भले ही कितनी ही तरक्की क्यों न कर लें, हर रोज़ उससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाना ही नहीं करना पढ़ रहा है, बल्कि इनसे निजात पाना मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि इसका कुछ फायदे है तो कुछ नुकसान भी है। इसी में से एक है डिजिटल साइबर सुरक्षा। आज डिजिटल या साइबर सुरक्षा न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। तेज़ी से बदलती प्रौद्योगिकी के इस दौर में साइबर अपराधियों द्वारा महत्त्वपूर्ण आंकड़ों में सेंधमारी करना, आइडी चोरी आदि गम्भीर अपराध शामिल है। ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ यानी कृत्रिम बुद्धिमता जैसी अत्याधुनिक तकनीकी प्रौद्योगिकी के साथ ही साथ साइबर अपराधों और हमलों का जोखिम भी काफी तीव्रता के साथ बढ़ी है।
अब साइबर अपराधियों द्वारा किए जा रहे परिष्कृत हमले साफ़ समझ आने शुरू हो गए हैं। ये परिष्कृत हमले आधुनिक सुरक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं और अब सामान्य से बुद्धिमान साइबर हमलावर का रूप कभी भी ले सकते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ कंप्यूटर जैसी मशीनों द्वारा ऐसे कार्यों को करने में एक बड़ी फ़ौज सक्रिय है, जिन्हें ऐसे कार्य करने के लिए आमतौर पर मानव मस्तिष्क की आवश्यकता होती है।दुर्भाग्य से सदाचार जैसे शब्द इस नई पौध के शब्द कोश में नहीं है।
सामान्य तौर पर यह तकनीक विशेष रूप से कारण जानने, विश्लेषण करने, निर्णय लेने तथा दृश्यबोध करने जैसी कार्य की क्षमतावान होती है। आसान शब्दों में कहें तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता ऐसी साफ्टवेयर की क्षमता है, जिसका विकास मानव जैसी बुद्धिमता को विकसित करने और उसे लागू करने के लिए किया जाता है। इसमें इन मशीनों खासकर कंप्यूटर द्वारा मानव की बौद्धिक प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है।
दरअसल, , गूगल सर्च, कार्टून, गूगल असिस्टेंट, वीडियो गेम, मोबाइल फ़ोन, यूट्यूब और फेसबुक आदि हमारी सामान्य जिंदगी में उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुप्रयोग हैं। ये न केवल कार्य कर सकने में सक्षम हैं, बल्कि यह कम समय में अधिक तीव्रता के साथ कार्य करने में भी सक्षम हैं। गौरतलब है कि डिजिटल साइबर हमलों से बचने के लिए नेटवर्क सुरक्षा के क्षेत्र में सक्षम कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित साफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है, जिसमें साइबर सुरक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से आनलाइन अपराधों का पता लगाने में लगने वाले समय में कमी आती है। अब तक साइबर हमलों के रोकथाम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत ही मददगार साबित हुई है। डीडीएस हमले ऐसे होते हैं, जिनमें किसी वेबसाइट के सर्वर उपयोगकर्ता की पहुंच को बाधित कर दिया जाता है।
यूँ तो भारत में साइबर हमलों के सुरक्षा के लिए 2013 में साइबर सुरक्षा नीति लाई गई थी। इस नीति का उद्देश्य नागरिकों के लिए सुरक्षित और लचीली साइबर दुनिया का निर्माण करना था। कृत्रिम बुद्धिमत्ता समर्थित उन्नत तकनीकों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करने पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए।सरकार का इस दिशा में ध्यान कम है।
वैसे साइबर हमले को रोकने व उन्नत तकनीकी के उपयोग के लिए काफी समय प्रबंधन और संसाधन की आवश्यकता होती है, जिसे उपलब्ध कराने में लालफ़ीताशाही एक बड़ी बाधा है । इन उपकरणों को उचित तरीके से प्रयोग करने के लिए मानव विश्लेषकों को भी बड़ी संख्या में शामिल किए जाने की जरूरत है। सरकार को इस हेतु फ़ौरन कुछ करना चाहिये।