प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रीवा में राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस के कार्यक्रम में विकास योजनाओं से पंचायतों-गांव और ग्रामीण भारत के उत्थान की बीजेपी की पटकथा से जन-मन को छूने का प्रयास किया. प्रधानमंत्री का पूरा भाषण विकास पर केंद्रित रहा. भाषण में राजनीतिक छींटाकशी से नरेंद्र मोदी ने परहेज किया..!
प्रधानमंत्री मोदी का यह कार्यक्रम बीजेपी सरकार के पहले पंचायतों की विकास योजनाओं की धीमी गति और उपेक्षा के साथ ही लाभार्थी मूलक योजनाओं में हासिल उपलब्धियों को रेखांकित करने में सफल होता दिखाई पड़ा. लंबे समय से तुष्टीकरण की राजनीति और वोट बैंक का नजरिया अब विकास योजनाओं के वोट बैंक ने बदल दिया है. बेनीफिशरी वोट बैंक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिजर्व बैंक बन गया है. इस वोट बैंक ने धर्म और जाति की सीमाओं को भी तोड़ दिया है. बीजेपी की चुनावी सफलता में पार्टी की विचारधारा और हिंदुत्व की रेसिपी के साथ ही बेनिफिशरी वोट बैंक ने अप्रत्याशित ऊर्जा प्रदान की है.
नरेंद्र मोदी ने विकास की राजनीति को चुनाव का महत्वपूर्ण आधार बनाने के लिए कमलनाथ का नाम लिए बिना छिंदवाड़ा और कांग्रेस की सरकारों के समय ग्रामीण अंचलों की हुई उपेक्षा का जिक्र किया. प्रधानमंत्री ने यहां तक कहा कि पुरानी सरकारों में गाँवों के साथ अन्याय किया गया है. मध्यप्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव में मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही माना जा रहा है. कमलनाथ कांग्रेस के अवश्यंभावी सीएम उम्मीदवार घोषित किए जा चुके हैं. बीजेपी शायद इस बार छिंदवाड़ा में ही उन्हें घेरने की रणनीति पर काम कर रही है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज किशोर को छिंदवाड़ा का प्रभारी बनाया गया है. केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह ने पिछले दिनों ही छिंदवाड़ा में जाकर ऐलान किया है कि इस बार छिंदवाड़ा का इतिहास बदल जाएगा. प्रधानमंत्री ने छिंदवाड़ा का नाम लेकर विकास के एजेंडे को कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबले का पैमाना बनाने का प्रयास किया है.
यह संयोग की बात है कि रीवा जिले में पिछले विधानसभा चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी को विजय मिली थी. प्रधानमंत्री ने कहा कि छिंदवाड़ा-नैनपुर- मंडला फोर्ट रेल लाइन के बिजलीकरण से इस इलाके के लोगों की दिल्ली हावड़ा मुंबई तक कनेक्टिविटी और आसान हो जाएगी. छिंदवाड़ा नैनपुर के लिए नई ट्रेन प्रधानमंत्री ने शुरू की. इस नई ट्रेन से इस क्षेत्र से छिंदवाड़ा, सिवनी, नागपुर और जबलपुर जाना आसान हो जाएगा. रीवा इतवारी ट्रेन चलने से सिवनी और छिंदवाड़ा सीधे नागपुर से जुड़ जाएंगे. रीवा से छिंदवाड़ा को जोड़ने वाली रेल योजनाओं का शुभारंभ इस बात का संकेत है कि इस बार छिंदवाड़ा को रीवा जैसा बीजेपी का गढ़ बनाने के लिए बीजेपी काम कर रही है.
मोदी विरोधी ताकतें अभी भी देश में सेकुलर और हिंदुत्व की राजनीति के बीच सिमटी हुई हैं. बेनिफिशरी वोट बैंक पर विपक्षी दलों कि यह राजनीति अपना प्रभाव नहीं छोड़ रही है. नरेंद्र मोदी की कमोबेश सभी विकास योजनाओं में जाति या धर्म के आधार पर कोई भी भेदभाव समाहित नहीं है. आयुष्मान योजना का लाभ हिंदू और मुस्लिम सहित सभी समुदाय बिना भेदभाव के प्राप्त कर रहे हैं. इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ में भी धर्म के आधार पर हितग्राहियों का चयन नहीं किया जाता. सभी धर्म और संप्रदाय के लोग गरीबी के आधार पर इसका लाभ प्राप्त कर रहे हैं.
रीवा के कार्यक्रम से भी प्रधानमंत्री ने लगभग 4 लाख 11 हज़ार प्रधानमंत्री आवास योजना के आवासों का मालिकाना हक वितरित किया. प्रधानमंत्री ने महिला वोट बैंक को भी बेनिफिशरी वोट बैंक का महत्वपूर्ण आधार बनाया है. पीएम आवास योजना में अधिकतर आवासों का मालिकाना हक महिलाओं के नाम पर देने की व्यवस्था भी इसलिए ही की गई है. चुनावी नतीजों के पूर्व में हुए विश्लेषण में यह बात पहले ही साबित हो चुकी है कि बीजेपी को दूसरे दलों की तुलना में महिला मतदाताओं का ज्यादा समर्थन मिला है. मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए बनाए गए कानून के कारण मुस्लिम महिलाओं का समर्थन भी बीजेपी को मिलने लगा है, ऐसा माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों ने गांव के साथ बड़ा अन्याय किया है. गांव पर पैसा खर्च करने में उस समय की सरकारें बचती रही हैं. गांव अपने आप में कोई वोट बैंक तो था ही नहीं इसलिए उन्हें नजरअंदाज किया जाता था. बीजेपी सरकार ने गांव के लिए खजाना खोल दिया है. 2014 के बाद से देश में पंचायतों का सशक्तिकरण किया गया है. 2014 से पहले जहां पंचायतों को वित्त आयोग के अनुदान के रूप में केवल 70 हज़ार करोड़ रुपए दिए जा रहे थे वह अब बढ़कर दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया. बीजेपी की सरकार के पहले केवल 6000 पंचायत भवन बनाए गए थे जबकि बीजेपी सरकार के 8 साल में 30 हज़ार से ज्यादा पंचायत भवन बनाए गए. पिछले 9 सालों में 9 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया है. गांव के 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते खुलवाए गए हैं. गांव तक बैंक की पहुंच बढ़ाने से देश के हर गांव में इसका प्रभाव नजर आ रहा है. पैसा सीधा लोगों के खातों में जा रहा है.
हर घर नल योजना को भी देश के लिए क्रांतिकारी बताते हुए प्रधानमंत्री कहते हैं कि देश के नौ करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को घर में नल से पानी मिलने लगा है. एमपी के 60 लाख घरों में नल से पानी पहुंचने लगा है. केंद्र सरकार की मुद्रा योजना के अंतर्गत पिछले वर्षों में लोगों को 24 लाख करोड़ की मदद की गई है. पीएम स्वामित्व योजना को भी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे सारी स्थितियां बदल रही हैं. गांव में ड्रोन से सर्वे हो रहा है. नए नक़्शे बन रहे हैं. इस आधार पर बिना किसी भेदभाव के कानूनी दस्तावेज लोगों के हाथों में जा रहे हैं. अभी तक देश में 75 हज़ार गांव में प्रॉपर्टी कार्ड देने का काम पूरा हो चुका है. मध्यप्रदेश सरकार इसमें बेहतर काम कर रही है.
प्रधानमंत्री ने गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत कोरोनाकाल से अब तक गरीबों को अनाज उपलब्ध कराने पर खर्च किए जा रहे लाखों करोड़ रुपए का भी विवरण दिया. केंद्र की जनहितैषी योजनाओं उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और अन्य योजनाओं में हासिल उपलब्धियों और इससे ग्रामीण अंचलों में विकास की लिखी गई पटकथा का सिलसिलेवार विवरण भी प्रधानमंत्री ने दिया.
बीजेपी पर विपक्ष द्वारा भले ही हिंदुत्व की राजनीति का आरोप लगाया जाता है लेकिन नरेंद्र मोदी ने विकास योजनाओं के जरिए देश के मतदाताओं की मानसिकता बदलने में सफलता हासिल की है. विचारधारा और संगठन के आधार पर बीजेपी का जो भी जनाधार है उसमें बेनिफिशरी वोट बैंक मोदी के रिजर्व बैंक के रूप में एक ऐसी निर्णायक ऊर्जा को जोड़ता है जिसके परिणाम सफलता की कहानी कहने लगते हैं.
भारत की राजनीति में असंतोष की खेती करके राजनीतिक लाभ लेने वाले तत्वों की कोई कमी नहीं है. नरेंद्र मोदी जहां बेनिफिशरी वोट बैंक के जरिए अपनी विकास की पटकथा लिखने में लगे हुए हैं वहीं कई राजनीतिक दल सामाजिक असंतोष, आर्थिक कंगाली और वर्ग संघर्ष के बीज बोकर राजनीतिक सफलता हासिल करने में लगे हुए हैं.
देश में अगले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के मुकाबले के लिए विपक्षी दल ऐसी ही रेसिपी तैयार कर रहे हैं. फ्रीबीज और घोषणाओं की पटकथा के जरिए राजनीतिक उपलब्धियों की कोशिशें आर्थिक दिवालियेपन से ज्यादा कुछ नहीं कही जा सकती हैं. विकास योजनाओं से सशक्तिकरण के माध्यम से बेनिफिशरी वोट बैंक को मजबूत करना राजनीति का बुनियादी लक्ष्य होना चाहिए. इसमें आर्थिक अराजकता और दिवालियेपन की रेसिपी से बचना हर दल का दायित्व होना चाहिए.