भारत में ड्रोन सेक्टर के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ड्रोन और इसके कच्चे माल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है|
सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा कर “ड्रोन ऐज ए सर्विस” को निरापद मान रही है, लेकिन देश का एक तबका इसे उचित नहीं मान रहा है |ड्रोन के अनुचित उपयोग से भारी सामरिक नुकसान भी हो सकता है| ड्रोन पारंपरिक हथियारों की तुलना में सस्ते हैं, लेकिन फिर भी बेहतर पहुंच के साथ विनाशकारी हो सकते हैं| विश्व में इसी कारण से ड्रोन हमलों की संख्या बढ़ रही है| भारत भी पिछले वर्ष जम्मू हवाई अड्डे पर एक ड्रोन हमले का सामना कर चुका है | इन्हें फ्लाइंग मिनी रोबोट या पायलट विहीन लघु विमान कह सकते हैं| ड्रोन की प्रमुख गतिविधियां उड़ानों की पायलटिंग और संचालन, डेटा विश्लेषण और डेटा प्रसंस्करण हैं|
ड्रोन आईओटी तकनीक का उपयोग कर बनाये जाते हैं, जिसमें एक नियंत्रक शामिल होता है, जहां से लॉन्च, नेविगेशन और लैंडिंग गतिविधियों को या तो रिमोट कंट्रोल या मोबाइल इत्यादि की मदद से नियंत्रित किया जाता है| जमीन पर बैठे नियंत्रक ड्रोन की वाई-फाई जैसी रेडियो तरंगों के साथ संवाद करते हैं|किसी भी अन्य सक्रिय डिवाइस की तरह ड्रोन को भी बैटरी या ईंधन जैसे ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता होती है| ड्रोन प्रोपेलर, रोटर और एक फ्रेम से लैस होता है| ड्रोन मिश्रित और हल्के पदार्थों से बने होते हैं, ताकि उनका वजन कम रहे और उनकी परिवहन क्षमता बेहतर हो |जटिल गतिविधियों में प्रभावी तरीके से भागीदारी कर ड्रोन व्यवसायों अथवा सरकार को लाभ पहुंचाते हैं| ड्रोन बहुत कम या बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के साथ न्यूनतम आवश्यक प्रयास, समय और ऊर्जा के भीतर दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंच सकते हैं| इसी का नतीजा है कि ड्रोन को दुनियाभर में बहुत तेजी से अपनाया जा रहा है|
इस प्रणाली के अपने जोखिम भी हैं, जिससे डीआरडीओ को एक एंटी-ड्रोन प्रणाली विकसित करना पड़ी है और दूसरी प्रणाली पर काम चल रहा है| एंटी-ड्रोन सिस्टम में सॉफ्ट किल और हार्ड किल विकल्प उपलब्ध हैं| सॉफ्ट किल ऑप्शन ड्रोन को जाम करता है तथा हार्ड-किल ऑप्शन लेजर तकनीक जिसमे ड्रोन या मिसाइल की मदद से ड्रोन को मारता है| ड्रोन के विनाशकारी उपयोग को रोकने के लिए सरकार को सख्त नियम-कानून बनाने चाहिए. रक्षा ड्रोन का खरीद-बिक्री किसी भी परिस्थिति में गैर-रक्षा उद्देश्यों के लिए नहीं होनी चाहिए|
एक आयरिश कंपनी मन्ना ने पिछले साल अपनी ड्रोन डिलीवरी सेवाएं शुरू की थीं| उनके मुताबिक ड्रोन डिलीवरी कार आधारित डिलिवरी की तुलना में ९० प्रतिशत सस्ती है| निश्चित तौर पर ड्रोन उद्योग में अप्रतिम संभावनाएं हैं क्योंकि ड्रोन सेवा बाजार २०२१ के हालिया बाजार मूल्य १३.९ अरब डॉलर के २०२६ में ४०.७ अरब डॉलर तक हो जाने की उम्मीद है|
भारत में ड्रोन सेक्टर के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ड्रोन और इसके कच्चे माल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है| कोरोना काल के दौरान लगे लॉकडाउन से भी ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा मिला| कई सरकारी संगठनों ने भी मानवरहित होने के कारण ड्रोन का उपयोग किया| ई-कॉमर्स की कई प्रमुख कंपनियों ने पहले ही अपनी ड्रोन डिलीवरी सेवाएं शुरू कर दी हैं.|ड्रोन क्षेत्र एक आकर्षक व्यवसाय के तौर पर उभर रहा है, जिसमें पर्याप्त रोजगार के अवसरों के साथ कई अन्य उद्योगों को विकसित करने की क्षमता है, लेकिन इसके अपने खतरे भी कम नहीं हैं |
भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी ‘स्वामित्व’ योजना ने लाखों गांवों के निवासियों को ड्रोन संपत्ति कार्ड प्रदान किया है| ड्रोन का उपयोग अग्नि सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बाढ़ राहत जैसी आपातकालीन सेवाओं के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, जहां मानवीय हस्तक्षेप जोखिम भरा हो सकता है|