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युवाओं में हताशा नहीं बढ़े विश्वास और आशा

सार

अग्निपथ योजना रोजगार से ज्यादा मातृभूमि की अभिलाषा को प्रदर्शित कर रही है। माखनलाल चतुर्वेदी की ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता अग्निपथ का सार्थक संदेश देती है..!

janmat

विस्तार

देश के हर राज्य में युवाओं द्वारा सेना में भर्ती के लिए घोषित की गई योजना ‘अग्निपथ’ के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। युवाओं का ऐसा सोचना है कि सेना में भर्ती की योजना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। योजना के बारे में सही दृष्टि और वास्तविक लक्षण को समझना जरूरी है।  

अग्निपथ योजना रोजगार से ज्यादा मातृभूमि की अभिलाषा को प्रदर्शित कर रही है। माखनलाल चतुर्वेदी की ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता अग्निपथ का सार्थक संदेश देती है। यह कविता मातृभूमि और सेना के प्रति समर्पण और सम्मान दर्शाती है। दादा माखनलाल चतुर्वेदी कविता में कहते हैं- 

मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक 

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाते वीर अनेक

अग्निपथ भी ऐसा ही पथ है, जिसमें देश की रक्षा के लिए युवाओं को जाना है। दुनिया में अस्थिरता और आतंक के इस दौर में आज हर देश अपनी सुरक्षा के प्रति सबसे ज्यादा गंभीर है। भारत की स्थितियां तो अधिक चिंतनीय हैं। भारत की कोख से ही निकला पाकिस्तान आज भारत के साथ दुश्मनी की पराकाष्ठा पर खड़ा है। चीन भी लगातार भारत को आंखें दिखाने की कोशिश करता रहता है। भारत चारों तरफ ऐसे पड़ोसियों से घिरा है, जो या तो सैन्य दृष्टि से कमजोर हैं या उनकी भूमिका भारत विरोधी है। सीमाओं की रक्षा के लिए सेनाओं का संचालन सबसे अधिक प्राथमिकता का विषय बन गया है। 

किसी भी देश की रक्षा सेना का दायित्व है लेकिन हमने देखा है कि जब भी देश पर संकट आया है तब सेना के साथ देशवासी भी खड़े हो गए हैं। अभी यूक्रेन में भी ऐसा हो रहा है। यूक्रेन के निवासी सेना के साथ लड़ने के लिए सामने आ रहे हैं। किसी भी राष्ट्र के लिए सेना का संचालन बहुत महंगा होता है। सैन्य दृष्टि से भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है। रोजगार के लिए सेना में भर्ती वास्तविकता हो सकती है लेकिन सेना में अवसर रोजगार से ज्यादा मातृभूमि के लिए समर्पण के रूप में देखा जाता है। 

भारत के सामने जो परिस्थितियां हैं, उसमें सेना को पूरी ताकत के साथ मजबूती देना सरकार की अनिवार्यता है। आज युद्ध के स्वरूप भी बदल रहे हैं। आमने-सामने से ज्यादा अब युद्ध तकनीकी और साइबर हथियारों से लड़े जा रहे हैं। इसके लिए सेना का आधुनिकीकरण समय की आवश्यकता है। जो भी राष्ट्र में सेना के मॉर्डनाइजेशन में कमजोरी दिखाएगा उस राष्ट्र को उसके दुष्परिणाम भुगतने ही पड़ेंगे। 

भारत सेना के आधुनिकीकरण को पूरी ताकत से लागू कर रहा है और लागू करना ही पड़ेगा। सेना के आधुनिकीकरण पर खर्चा असीमित होता है। दुनिया के कई देशों में वहां के नागरिकों को सेना में सेवा देना अनिवार्य बनाया गया है। भारत में भी सामान्य नागरिकों को सेना के प्रति जागरुक करने के साथ ही सैन्य प्रशिक्षण के लिए महाविद्यालयों में एनसीसी की व्यवस्था है। इसके जरिए कॉलेज लेवल पर ही युवा सेना की ट्रेनिंग ले लेते हैं। पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के युद्ध हुए थे तब आवश्यकता पड़ने पर इन युवाओं का सेना में उपयोग किया गया था। 

हर युवा को एक निश्चित समय के लिए सेना में सेवा का कौशल मिलना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है कि जब कभी देश पर संकट आए, तब युवा सैन्य गतिविधियों से प्रशिक्षित रहें और वह अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सेना के साथ लड़ सकें। अग्निपथ योजना रोजगार से ज्यादा युवाओं को सेना में एक निश्चित समय के लिए अवसर देने का प्रयास मानी जानी चाहिए। 

जहां तक रोजगार का सवाल है वह तो हर युवा के लिए जरूरी है और देश में विभिन्न स्तरों पर इसके लिए प्रयास भी हो रहे हैं। निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं। अग्निपथ योजना को रोजगार की भावना से देखना सही नहीं होगा। भारत की सुरक्षा के जो हालात हैं उसको देखते हुए हर युवा को सैनिक के रूप में प्रशिक्षित और देश के लिए समर्पित होने का समय आ गया है।  

अग्निपथ योजना में एक निश्चित समय के बाद युवाओं को समाज में दूसरे काम के अवसर मिलेंगे। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने घोषणा की है कि इस योजना में शामिल जो युवा 4 साल बाद जब सेना से बाहर आएंगे तो उन्हें सेवा के मौके देने के लिए पुलिस और अन्य क्षेत्रों में प्राथमिकता के साथ अवसर दिए जाएंगे। 

भारत और राजनीति एक दूसरे के पर्याय जैसे हो गए हैं। कोई भी पहल हो उसमें राजनीति न शामिल हो ऐसा कैसे हो सकता है? अग्निपथ योजना को लेकर भी युवाओं को उकसाया जा रहा होगा। सरकार के खिलाफ भड़काया जा रहा होगा। मगर सरकार के खिलाफ तो राजनीति स्वीकार हो सकती है लेकिन अगर वह राजनीति देश के खिलाफ हो जाए तो कैसे स्वीकार हो सकती है? 

अग्निपथ योजना युवाओं को सैन्य अनुभव से संपन्न बनाने की योजना है जो मातृभूमि की रक्षा में वक्त आने पर उन्हें अपनी भूमिका निभाने का अवसर देगी।  युवाओं को इस योजना की सही भावनाओं को समझ कर इस नई पहल का स्वागत करना चाहिए।