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वेक्सिन की और कितनी खुराकें ?

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 23 Jan

सार

इनदिनों बूस्टर डोज को लेकर शोधकर्ताओं में बहस तेज हो गई है। कोविड-१९ का हमला और उसके नए-नए प्रकार का सामने आना, कुछ इतनी जल्दी में हो रहा है कि वैज्ञानिक साफ तौर पर कुछ बता नहीं पा रहे हैं।

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विस्तार

लिखना तो मैं भी देश के बजट पर चाहता था | बुखार और उसके कारण ने यह करने नहीं दिया | भारतकी ताज़ा आर्थिकी किसी से छिपी नहीं है,बजट की आलोचना अधिक प्रशंसा कम है | मध्यप्रदेश सहित देश के वे राज्य भी दम के साथ तारीफ़ नहीं कर सकते जहाँ भाजपा की सरकारें वर्षों से हैं | दुष्काल ने तो मेरे जैसे कई भारतीयों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या भारत में भी चौथी ,पांचवीं, छठी व उसके बाद भी खुराक की जरूरत पडे़गी? लगता है विश्व में यह धारणा शायद २०२१ में ही रह गई कि कोविड-१९ से सुरक्षा में तीसरी खुराक (बूस्टर डोज) बहुत प्रभावी होगी। खासकर ओमीक्रोन के बाद तो कुछ देश चौथी खुराक भी देने लगे हैं|

आज मेरे सहित बहुत से लोगों का एक ही प्रश्न है - एक के बाद एक खुराक ली जाए, क्या यह व्यावहारिक है? क्या ये टीके बार-बार देने के लिए बनाए गए हैं?यह दुष्काल इससे आगे सोचने ही नहीं दे रहा है |ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि बार-बार टीके देने की यह रणनीति व्यावहारिक नहीं है। इंपीरियल कॉलेज, लंदन के प्रतिरक्षा विज्ञानी डैनी ऑल्टमैन का कहना है कि “हम टीकाकरण के मोर्चे पर पूरी तरह से अनजान क्षेत्र में हैं। हम एक आपातकालीन उपाय के रूप में लगातार एमआरएनए बूस्टर के वास्तविक कार्यक्रम में झटके खा चुके हैं। यह वास्तव में आगे का रास्ता नहीं लगता है|”

इजरायल के क्लैलिट हेल्थ इंस्टीट्यूट के सार्वजनिक स्वास्थ्य चिकित्सक रैन बालिसर कहते हैं, जनवरी की शुरुआत में इजरायल ने वृद्धों, कमजोर लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों को चौथी खुराक देने की शुरुआत कर दी है। इस हफ्ते आए इजरायल के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि चौथी खुराक संक्रमण और गंभीर बीमारी के जोखिम को कम करती है। हालांकि, आने वाले दिनों में जब और आंकड़े आएंगे, तब स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी।

इनदिनों बूस्टर डोज को लेकर शोधकर्ताओं में बहस तेज हो गई है। कोविड-१९ का हमला और उसके नए-नए प्रकार का सामने आना, कुछ इतनी जल्दी में हो रहा है कि वैज्ञानिक साफ तौर पर कुछ बता नहीं पा रहे हैं। इलाज की राह में उन्हें जहां भी कुछ संभावना लग रही है, हाथ-पांव मार रहे हैं। संक्रमण को रोकना बड़ी चुनौती है और वायरस के नए-नए प्रकार लगातार तनाव बढ़ाए चले जा रहे हैं। एक बड़ा तनाव यह भी है कि दो खुराक ले चुके लोगों में भी संक्रमण क्यों देखा जा रहा है? क्या बूस्टर भी लंबे समय तक संक्रमण को रोकने में नाकाम हो रहे हैं? फिक्र इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि कोई भी वैज्ञानिक गारंटी देने की स्थिति में नहीं है।

इजरायल में पिछले वर्ष जून व नवंबर के बीच जुटाए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि बूस्टर डोज के एक तिहाई मामलों में प्रतिरक्षा कुछ ही महीने में कम हो जा रही है। यह दुखद है, जब कई देशों में लोगों को पहली खुराक भी नहीं लगी है, तब इजरायल, चिली, कंबोडिया, डेनमार्क व स्वीडन जैसे देश चौथी खुराक पर पहुंच रहे हैं। चार खुराक से भी एंटीबॉडी का स्तर बढ़ता है या नहीं, यह देखा जाना बाकी है। इजरायल के बोलिसर कहते हैं, ‘अंतहीन बूस्टर खुराक देने के बजाय महामारी को धीमा करने का एक बेहतर तरीका नए टीकों को विकसित करना होगा। ऐसे टीके बनाने पड़ेंगे, जो लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान कर सकें।

ओमीक्रोन-विशिष्ट टीकों पर पहला डाटा आगामी महीने में आने की उम्मीद है। हालांकि, अभी भी एक व्यापक कारगर टीके के लिए हमें इंतजार करना पड़ सकता है। क्या हम ऐसी कोई एक वैक्सीन खोज पाएंगे? कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सांताक्रूज में रोग पारिस्थितिकीविद् मॉर्म किलपैट्रिक कहते हैं, ‘वायरल विकास से निपटने के दौरान हमेशा अनिश्चितता होती है।’ न्यूजीलैंड की ओटागो यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ पीटर मैकइंटायर का तर्क है कि जब तक हमारे पास नए टीके नहीं हैं, दूसरे उपायों और एंटीवायरल दवाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। बचाव के उपायों में ढील की अभी गुंजाइश नहीं है।

भारतकी ताज़ा आर्थिकी किसी से छिपी नहीं है,बजट की आलोचना अधिक प्रशंसा कम है | मध्यप्रदेश सहित देश के वे राज्य भी दम के साथ तारीफ़ नहीं कर सकते जहाँ भाजपा की सरकारें वर्षों से हैं | मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के हाथ दुश्वारियों से ज्यादा कुछ नहीं आया है | कोरोना दुष्काल के नाम पर यह बजट भी पारित हो ही जायेगा | पूरे देश को मिलकर दुष्काल का मुकाबला करना होगा | वेक्सिन के अगले चरण के परिणाम का इंतजार कीजिये, और प्रार्थना कीजिये वेक्सिन का अगला डोज न लगवाना पड़े |