इस 2023 में जब भारत की मुठ्ठियों में जी-20 की अध्यक्षता है तब भारत के द्वारा जी-20 सदस्यों के बीच आम सहमति से एक लाभपूर्ण और सुरक्षित साइबर स्पेस के लिए प्रभावी पहल होनी ही चाहिए..!
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)के द्वारा प्रकाशित वर्किंग पेपर ‘स्टैकिंग अप द बेनेफिट्स लेसन्स फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी’ में भले ही कहा गया हो कि डिजिटलीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद की है, परंतु देश में अधिक तकनीकी एवं वैज्ञानिक सोच, डेटा तक सरल पहुंच,स्मार्टफोन की कम लागत, निर्बाध कनेक्टिीविटी, बिजली की सरल आपूर्ति, जैसी जरूरतों पर और अधिक ध्यान की ज़रूरत है। इस 2023 में जब भारत की मुठ्ठियों में जी-20 की अध्यक्षता है तब भारत के द्वारा जी-20 सदस्यों के बीच आम सहमति से एक लाभपूर्ण और सुरक्षित साइबर स्पेस के लिए प्रभावी पहल होनी ही चाहिए।
भारत में बने आधार कार्ड ने आर्थिक लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर डीबीटी)में मदद की है। मार्च 2021 तक डिजिटल बुनियादी ढांचे और अन्य डिजिटल सुधारों के कारण व्यय में जीडीपी का लगभग 1.1 प्रतिशत बचाया है। इस समय देश में करीब 47.8 करोड़ से अधिक जनधन खातों, (जे) करीब 134 करोड़ से अधिक आधार कार्ड (ए) और 118 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) के तीन आयामी जैम से आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। भारत में डीबीटी से कल्याणकारी योजनाओं के जरिए महिलाओं, बुजुर्गों और किसानों और कमजोर वर्ग के लोगों को अकल्पनीय फायदा होता दिख रहा है।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि छोटे उद्योग, कारोबार के लिए सरल ऋण और रोजगार सृजन हेतु अप्रैल 2015 को डिजिटल रूप से लागू प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत मार्च 2023 तक 40.82 करोड़ लोन खातों में 23.2 लाख करोड़ रुपए पहुंचाए गए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल पैमेंट के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है और भारत ने अमरीका, यूके और जर्मनी जैसे बड़े देशों को पीछे कर दिया है। ये सब सेवाएं भारत में डिजिटल गवर्नेंस के एक नए युग की प्रतीक हैं।
27 फरवरी 2023 तक किसान सम्मान निधि योजना के तहत 13 किस्तों में 11 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में डीबीटी से सीधे करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हस्तांतरित किए जा चुके हैं। यह अभियान दुनिया के लिए मिसाल बन रहा है और इससे छोटे किसानों का वित्तीय सशक्तिकरण हो रहा है।
भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग, कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। डिजिटल इकोनॉमी के तहत कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, ट्रांजेक्शन, डेटा एनालिसिस, सायबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी आदि क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के मौके बढ़ते जा रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीच्यूट के द्वारा वैश्विक रोजगार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डिजिटल ढांचे की मजबूती के कारण अर्थव्यवस्था में वर्ष 2025 तक डिजिटलीकरण से करीब 2 करोड़ से अधिक नई नौकरियां निर्मित होते हुए दिखाई देंगी। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश में डिजिटल रुपए के नए दौर की जिस तरह शुरुआत की है, यह आने वाले दिनों में गेमचेंजर साबित हो सकती है।
सरकार नई शिक्षा प्रणाली के तहत भारत में डिजिटलीकरण को अधिक गतिशील बनाने के लिए नई पीढ़ी को नए दौर की डिजिटल स्किल्स और उन्नत प्रौद्योगिकियों से शिक्षित प्रशिक्षित करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़े। सरकार देश में अधिक तकनीकी एवं वैज्ञानिक सोच, डेटा तक सरल पहुंच, स्मार्टफोन की कम लागत, निर्बाध कनेक्टिीविटी, बिजली की सरल आपूर्ति, जैसी जरूरतों पर और अधिक ध्यान देंगी।