नीतीश कुमार इंडी गठबंधन छोड़ लौट गए हैं। ममता बनर्जी हैं तो अभी भी गठबंधन में पर गठबंधन के बाकी लोगों से उनकी बोलचाल बंद है..!!
भारतीय जनता पार्टी को हराने के मंसूबे बांध रहे लोगों में नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, सोनिया गांधी और कुछ कम्युनिस्ट भी थे । नीतीश कुमार इंडी गठबंधन छोड़ लौट गए हैं। ममता बनर्जी हैं तो अभी भी गठबंधन में पर गठबंधन के बाकी लोगों से उनकी बोलचाल बंद है। शेष भारत में, सोनिया गांधी तो क्या, ममता बनर्जी खुद भी जानती हैं कि उनकी हैसियत ही नहीं है। एक दूसरी पार्टी है गठबंधन में सब जगह है, लेकिन दिखाई नहीं देती। यह मुस्लिम लीग है।
एक समय इसने भारत के मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मंडल की मांग की थी। कांग्रेस ने 1947 में अपनी कार्यसमिति की अंतिम बैठक में मुस्लिम लीग की भारत विभाजन की मांग का समर्थन करने के लिए ‘भारत विभाजन’ का प्रस्ताव पारित किया था। भारत विभाजन के बाद जब बचे-खुचे भारत में मुस्लिम लीग के लिए रहना मुश्किल हो गया, तो उसने अपनी शक्ल में प्लास्टिक सर्जरी करवा कर रूप बदल लिया था। उससे चेहरा तो बदल गया था, लेकिन भारत के लोग उनकी आवाज अच्छी तरह पहचानते ही हैं।
सोनिया गांधी की पार्टी ने अपना जो चुनाव घोषणा पत्र जारी किया है, यदि उसको ध्यान से पढ़ा जाए, तो वह काफी हद तक 1947 से पहले का मुस्लिम लीग के चुनाव घोषणा पत्र का नया संस्करण लग रहा है। सोनिया गांधी की एक दूसरी समस्या भी है। वह मुस्लिम लीग का समर्थन तो लेना चाहती हैं, लेकिन यह नहीं चाहती कि लोग इस बात को जान लें।
अब संकट केरल के वायनाड से भी आया है । राहुल गांधी अब केरल से चुनाव लड़ रहे हैं। केरल में भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र वायनाड उन्होंने अपने लिए चुना है। सारे देश में उन्हें लोकसभा में जाने के लिए अपनी पार्टी की विचारधारा और उसके अनुरूप मित्रों के कारण वायनाड ही सुरक्षित लगता है। शायद गांधी परिवार ने वायनाड का सुरक्षा चक्र लेना ही उचित समझा। इस बार एक झंझट हो गया है । जो मुस्लिम लीग उनको सुरक्षा चक्र प्रदान करती है, उन्होंने शर्त लगा दी कि रोड शो में उनके झंडे भी बराबर लगेंगे। यह राहुल गांधी को स्वीकार नहीं था।लेकिन कांग्रेस की समस्याओं का हल केवल मुस्लिम लीग को प्रसन्न कर ही तो होने वाला नहीं है।
मुस्लिम लीग खुश हुई, तो कम्युनिस्ट नाराज़। कम्युनिस्टों ने राहुल गांधी से पूछा कि आप तो पिछले दस साल से चिल्ला रहे हो कि आप की लड़ाई भाजपा वालों से है, लेकिन आप केरल में तो हम से ही लड़ रहे हो। हम दिल्ली में आप के साथ एक मंच पर बैठ कर लम्बे लम्बे भाषण देते हैं। मिल कर भाजपा के साथ लडऩे की हुंकार लगाते हैं, लेकिन उस सबके बावजूद आप केरल में हमसे ही लड़ रहे हैं। सोनिया गांधी इसका क्या उत्तर दें? बहरहाल, कांग्रेस को पुन: अपना धरातल तलाशना चाहिए, अपनी उपयोगिता स्थापित करनी चाहिए। तभी उसका कल्याण होगा।