• India
  • Tue , Apr , 30 , 2024
  • Last Update 12:06:AM
  • 29℃ Bhopal, India

जेल में केजरीवाल और उठे ये प्रश्न 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 30 Apr

सार

केजरीवाल एक महत्वपूर्ण नेता हैं, और उनकी पार्टी दो महत्वपूर्ण राज्यों में सत्ता में है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी का राजनीतिक महत्व बहुत बढ़ गया है। कुछ लोग उनकी गिरफ्तारी को अनुचित मान सकते हैं और कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि इसका उल्टा असर मौजूदा केंद्र सरकार पर पड़ सकता है..!!

janmat

विस्तार

दिल्ली प्रांत के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं। उन्हें दिल्ली सरकार की शराब नीति से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। देश के कुछ राज्यों में शराब बंदी है तो कुछ राज्यों में सराब के कारखानो को राज्य सरकार बढ़ावा भी देती हैं। देश में एक नीति होना चाहिए।

ख़ैर!केजरीवाल को अभी तक कहीं से भी राहत नहीं मिली, और केजरीवाल ने सर्वोच्च न्यायालय से अपना आवेदन वापस लेने का फैसला किया, जिसके कारण वे ही जानते हैं। जो कांग्रेस पहले केजरीवाल के कथित भ्रष्टाचार की आलोचना करती रही है, अब उसने केजरीवाल का समर्थन करते हुए केजरीवाल की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला बताया है।

चूंकि केजरीवाल एक महत्वपूर्ण नेता हैं, और उनकी पार्टी दो महत्वपूर्ण राज्यों में सत्ता में है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी का राजनीतिक महत्व बहुत बढ़ गया है। कुछ लोग उनकी गिरफ्तारी को अनुचित मान सकते हैं और कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि इसका उल्टा असर मौजूदा केंद्र सरकार पर पड़ सकता है, क्योंकि केजरीवाल लोगों की सहानुभूति भी बटोर सकते हैं। पहला प्र्श्न यह है कि क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी सही है? दूसरा यह है कि आखिर यह शराब नीति क्या है? क्यों इसके कारण पहले केजरीवाल के सिपहसालार मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल पहुंचे और अब खुद केजरीवाल। तीसरा प्रश्न यह है कि शराब नीति और इसके संचालन में भ्रष्टाचार के आरोप कितने सही हैं? चौथा प्रश्न यह है कि केजरीवाल अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के भारी प्रयास के बावजूद आम जनता से सहानुभूति क्यों नहीं पा रहे हैं? 

थोक विक्रेताओं को  विवादास्पद लाइसेंस और कमीशन : केजरीवाल शराब नीति के साथ-साथ एक और नीति भी शुरू की गई,, जिसमें पूर्व में सिर्फ 5 प्रतिशत की तुलना में थोक विक्रेताओं को 12 प्रतिशत कमीशन की अनुमति दी गई। इससे खुदरा विक्रेताओं का मुनाफा कम हो गया, उन्हें अपने लाइसेंस सरेंडर करने और व्यवसाय से बाहर होने के लिए मजबूर होना पड़ा, और सरकार के खिलाफ कानूनी मामले भी शुरू हो गए। शायद, थोक विक्रेताओं की इस कमीशन नीति के कारण ही केजरीवाल शराब नीति विफल हुई और अंतत: मनीष सिसोदिया और केजरीवाल को जेल जाना पड़ा। आलोचकों का आरोप है कि नीति का मसौदा शराब बाजार में एकाधिकार बनाने की सुविधा के एकमात्र इरादे से तैयार किया गया था। यह केवल कुछ चुनिंदा थोक विक्रेताओं के लिए तैयार किया गया था, क्योंकि थोक विक्रेता के लाइसेंस के लिए बोली लगाने की पात्रता शर्तों में से एक, पिछले 3 वर्षों के दौरान 150 करोड़ रुपए की न्यूनतम वार्षिक बिक्री थी। 

छोटे खिलाडिय़ों को, जिनके पास पहले लाइसेंस था, को बोली प्रक्रिया से बाहर कर दिया। नई नीति ने ‘पेरनोड रिकार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘डियाजियो इंडिया’ के ब्रांडों की पेशकश करने वाले चंद थोक विक्रेताओं को खुदरा विक्रेताओं को आपूर्ति और छूट की मात्रा पर महत्वपूर्ण नियंत्रण दिया था। उच्च निश्चित लाभ ने थोक विक्रेताओं के हितों की रक्षा की, लेकिन खुदरा विक्रेताओं को निचोड़ा।

इस भ्रष्टाचार के कानूनी प्रश्नों पर तो जांच एजेंसियां पहले से ही काम कर रही हैं, लेकिन नैतिकता के प्रश्न ऐसे हैं, जिनसे शायद केजरीवाल खुद को कभी मुक्त न कर पाएं। उनके गुरु गांधीवादी अन्ना हजारे पहले ही केजरीवाल शराब नीति के लिए उनकी आलोचना कर चुके हैं और उनकी गिरफ्तारी को उचित ठहरा चुके हैं। अरविंद केजरीवाल के लिए उनकी शिकायत यह है कि उनके शिष्य के रूप में उन्होंने शराब के खिलाफ आवाज उठाई और अब वही केजरीवाल शराब नीति के लिए गिरफ्तार हुए हैं और यह सही भी है।