• India
  • Sat , Jul , 27 , 2024
  • Last Update 07:22:AM
  • 29℃ Bhopal, India

संघ की खुफिया नजर से नहीं बचे नेता, अफसर थर्ड पार्टी निगरानी कभी नहीं होती बेअसर- सरयूसुत मिश्र

सार

परिवार, समाज और सरकार में संस्कार  के साथ सही दिशा और दृष्टि के विकास के लिए कड़ी नजर रखना बहुत जरूरी होता है| “नजर हटी कि दुर्घटना घटी”| हर घर में भावी पीढ़ी के निर्माण में परवरिश पर थोड़ी सी भी कमी समाज को कितना बड़ा नुकसान कर सकती है| अपराध, दंगे और अशांति फैलाने में लिप्त लोगों के इन कृत्यों के पीछे इनकी खराब परवरिश ही मानी जाती है| ऐसी ही स्थिति संसदीय शासन प्रणाली में कार्यरत सरकारों के साथ बनती है..!

janmat

विस्तार

रामचरितमानस में यह दोहा नहीं कोऊ अस जनमा जग माही । प्रभुता पाई जहि मद नाही ॥ (इस संसार में ऐसा कोई जन्म नहीं लिया है जिसे प्रभुता अर्थात शक्ति मिलने पर घमंड नहीं किया हुआ हो यानि शक्ति मिलते ही लोग अहंकार से भर जाते हैं ) यह बात सर्वकालिक और सार्वभौमिक रूप से महसूस की जाती है|  राजसत्ता के नशे के इस दौर में मॉनिटरिंग के लिए अगर ऐसा कोई सिस्टम होता है जो जन भावनाओं के अनुरूप सरकारों के कान  उमेठ सके तो ऐसी सरकारें भटकने से  बच जाती हैं|

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा, सत्ता, संगठन की समन्वय बैठक में संघ के तेवर और दिशानिर्देश ऐसा ही संदेश दे रहे हैं| संघ की खुफिया नजर से मध्य प्रदेश के नेता, अफसर और उनकी कारगुजारियाँ छिप नहीं सकी| समन्वय बैठक में जिस बेबाकी के साथ बेलगाम नौकरशाही और व्याप्त भ्रष्टाचार की दो टूक बात संघ की ओर से उठाई गई है| उससे पता चलता है कि सिस्टम पर पैनी नजर रखी जा रही है| पॉलीटिकल सिस्टम और ब्यूरोक्रेसी की खामियों पर पर्दा नहीं डाला जा सकता|

बेलगाम नौकरशाही को लेकर मध्य प्रदेश के ऊपर हमेशा छींटाकशी होती रही है| अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में नौकरशाही में कसावट देखी गई थी| सुंदरलाल पटवा भी नौकरशाही को कसकर रखने में सिद्धहस्त थे|  बाकी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में नौकरशाही के बेलगाम होने के आरोप लगते रहे हैं| आजकल नौकरशाही के बेलगाम होने के कुछ ज्यादा ही आरोप लग रहे हैं| समन्वय बैठक में भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी प्रमुखता से रखते हुए संघ की ओर से इसे दूर करने के सख्त निर्देश दिए गए|

भ्रष्टाचार और बेलगाम नौकरशाही का चोली दामन का साथ माना जाता है| भ्रष्टाचार तो हमेशा से विद्यमान था लेकिन उसके स्वरूप में परिवर्तन होता रहता है| पहले राजनीतिक चंदे में ब्यूरोक्रेसी का न्यूनतम उपयोग होता था| ब्यूरोक्रेसी राजनीतिज्ञों के लिए धन उगाही का काम नहीं करती थी| आजकल ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम ही धन उगाही का माध्यम बन गया दिखाई पड़ता है| अब यह केवल अवधारणा का सवाल नहीं रहा, बल्कि जांच पड़ताल में यह बात संवैधानिक संस्थाओं की ओर से सामने आई है|

कमलनाथ सरकार के  समय पड़े आयकर छापों के बाद चुनाव आयोग द्वारा कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई| बाद में ईओडब्ल्यू ने प्रकरण भी दर्ज किए| पूरी प्रक्रिया में मीडिया में ऐसे आरोप लगे थे कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री के लिए धन एकत्रित किया जा रहा था| इस बारे में सच क्या है यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन परसेप्शन में तो इसे सच मान लिया गया है|

ब्यूरोक्रेसी जब पॉलिटिक्स के लिए धन एकत्रित करने का माध्यम बनेगी तो उसका बेलगाम होना स्वाभाविक है| नौकरशाही को नियम कानूनों के अंतर्गत निष्पक्षता के साथ काम करने का अवसर दिया जाएगा तो उनके बेलगाम होने का खतरा कम होगा| पॉलिटिकल सिस्टम की मिलीभगत से भ्रष्टाचार बढ़ता है और सिस्टम बेलगाम होता जाता है|

आजकल सरकारी योजनाओं में थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग और इंस्पेक्शन को लगभग अनिवार्य कर दिया गया है| केंद्र सरकार की सभी महत्वपूर्ण योजनाओं में थर्ड पार्टी मोनिटरिंग अनिवार्य होने से निर्माण कार्यों में गुणवत्ता बढ़ी है और डिलीवरी सिस्टम प्रभावी हुआ है|

पॉलीटिकल सिस्टम में थर्ड पार्टी मानिटरिंग की कमी देखी जा रही है| कांग्रेस पार्टी में तो नीति निर्माता, मानिटरिंगकर्ता और मूल्यांकनकर्ता एक ही अथॉरिटी होती है| ऐसे सिस्टम में गड़बड़ी और कमियां सामने नहीं आ पाती| इसके विपरीत भाजपा में आरएसएस की मार्गदर्शी और मोनिटरिंग  की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है|

देशाटन और आम लोगों के बीच उन्हीं के जैसे आचरण के साथ घुल मिलकर काम करना संघ की शैली है| इसलिए उन्हें असली मुद्दों और जन भावनाओं की जानकारी होती है| सरकार की नीतियों और उनके क्रियान्वयन की कमियां भी उनके संज्ञान में आ जाती हैं|

भाजपा की सरकारों को संघ का जो लाभ होता है उसी कारण पार्टी का जनाधार लगातार बढ़ता जा रहा है| जहां सरकारें भटकती हैं वहां संघ टोंक  देता है, रोक देता है| संघ पर कैसा भी आरोप लगता रहा हो लेकिन उनकी “सेवाक्रेसी” को कोई भी प्रभावित नहीं कर सकता|  संघ की ताकत उनकी “सेवाक्रेसी” ही है|

आजादी के समय जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ जनता सब तरह का सहयोग करती थी वैसे ही संघ के राष्ट्र सेनानी समाज में अपनी भूमिका को अंजाम दे रहे हैं| सरकारों के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए संघ को और सटीक और फुलप्रूफ दीर्घकालीन उपाय के प्रयास करने होंगे|

संघ, भाजपा, सत्ता, संगठन, समन्वय बैठक में संगठन और सरकार के कामकाज, मंत्रियों के परफॉर्मेंस सहित मिशन 23 के चुनाव की रणनीति पर भी चिंतन किया गया है| मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हिंदुत्व के एजेंडे पर अगला चुनाव लड़े जाने का संकल्प किया गया| हिंदुत्व भारत का एजेंडा है| वसुधैव कुटुंबकम हिंदुत्व है, हिंदुत्व के एजेंडे को किसी समुदाय के विरोध में देखने वाले राजनीतिक स्वार्थ में भ्रमित दिखाई पड़ते हैं|

संघ भाजपा समन्वय बैठक के दिशा निर्देश सही ढंग से लागू होना मध्यप्रदेश के हित में होगा| इसका चुनावी गणित अपनी जगह है| जो भी सही ढंग से जनता की सेवा करेगा उसे तो सत्ता का मेवा मिलता ही रहेगा| पोलिटिकल सिस्टम पर थर्ड पार्टी मोनिटरिंग समय की मांग है, जो भी दल इसमें पिछड़ेंगे वो प्रतिस्पर्धा में पीछे ही रह जायेंगे|