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करप्शन पर मान का "ऑपरेशन", स्वांग नहीं स्ट्राइक से बचेगा "नेशन"

सार

ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब देश के किसी कोने में भ्रष्टाचार के बड़े मामले उजागर नहीं होते हों| पिछले एक महीने में 3 राज्यों के मंत्री और एक राज्य के आईएएस अफसर, भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए..!

janmat

विस्तार

पंजाब में तो आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री ने गजब कर दिया| भ्रष्टाचार में स्वास्थ्य मंत्री को रंगे हाथों पकड़ा और बर्खास्त कर गिरफ्तार करवा दिया| ऐसी कार्यवाही करने की हिम्मत पूरे राजनीतिक जगत में आ जाए तो फिर भ्रष्टाचार को पनपने से रोकना संभव हो सकता है|

कर्नाटक के मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोपों में पद छोड़ना पड़ा| पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री के खिलाफ भर्ती घोटाले में उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज की गई, उनकी बेटी की नियुक्ति रद्द की गयी| झारखंड की अफसर की कहानी हिट फिल्म के भ्रष्टाचार की रियल खलनायिका की कहानी है|

पंजाब के मंत्री की शिकायत आने पर मुख्यमंत्री द्वारा उस पर नजर रखना, फिर उसकी बातचीत को रिकॉर्ड कराना और आरोपी के समक्ष ही सच उगलवाने की पूरी प्रक्रिया ही अपने आप में अनुकरणीय है।

देश के कोने कोने में करप्शन का चूहा सिस्टम को कुतर रहा है| रिश्वतखोरी, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार को रोकने के तमाम प्रयासों के बावजूद सुरसा की तरह भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है| सबसे दुखद बात यह है कि भ्रष्टाचार को रोकने के नियम और प्रक्रिया नये भ्रष्टाचार को जन्म दे रही है| भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में अधिकार संपन्न शक्तियां उसी शक्ति का उपयोग भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए करके स्वयं बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देती दिखाई पड़ती है|

स्वच्छ राजनीति के बिना ना तो प्रशासन स्वच्छ होगा और ना ही भ्रष्टाचार रुकने का नाम लेगा| हर राज्य के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अपने अपने तरीके से प्रयास करते रहते हैं| कई मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार की सूचना और शिकायत के लिए डेडीकेटेड टेलीफोन नंबर सार्वजनिक करते हैं| आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री ने इसकी शुरुआत की थी| अब तो कई प्रदेशों में ऐसी व्यवस्था की गई है|

मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री ने ऐसा टेलीफोन नंबर पब्लिक के लिए जारी किया था| अब तो मध्यप्रदेश में एक और अभिनव पहल की गई है| मुख्यमंत्री स्वयं शिकायतों और खुफिया सूचना के आधार पर जिले के भ्रष्ट अधिकारियों की सूची जिला कलेक्टर को दे रहे हैं| भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास कल्याणकारी सरकारों को जनता के करीब लाता है|

प्राणघातक कैंसर रोग का इलाज आज काफी हद तक संभव हो गया है| भ्रष्टाचार का कैंसर लाइलाज लगता है| इसके अंतिम ऑपरेशन की सार्वजनिक डिमांड है| ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सिस्टम से सेवाओं की मांग करने वाले 10 में से सात व्यक्तियों को रिश्वत देने के लिए मजबूर होना पड़ता है|

भ्रष्टाचारियों की कोई भी पुख्ता सूची तैयार हो गई है तो कलेक्टर को देने की बजाय, भ्रष्टाचार की जांच एजेंसियों को देना ज्यादा कारगर होगा| सूचना सबसे महत्वपूर्ण होती है सूचना प्राप्त करने के अधिकार का कानून भ्रष्टाचार पर चोट के उद्देश्य से बनाया गया था| यह कानून ही सूचनाएं प्राप्त कर ब्लैक मेलिंग और भ्रष्टाचार का जरिया बन गया लगता है|

इसी प्रकार हर सूचना का दुरुपयोग भ्रष्टाचार की संभावनाओं को जन्म देता है| सरकारी सिस्टम में संभावित निर्णयों की जानकारी तक पहुंच रखने वाले सूचना बेचकर ही कमाई कर लेते हैं| तबादलों का जब मौसम आता है तब सफेद कागज दिखाकर तबादलों के नाम पर वसूली आम बात हो गई है|

जांच एजेंसियों को होने वाली शिकायतों में भी इसी तरह की अप्रोच के मामले सामने आते रहते हैं| कलेक्टरों को भेजी जाने वाली भ्रष्टाचारियों की सूची  का उद्देश्य पवित्र है| जिन हाथों में जा रही है, उनका उद्देश्य क्या है, हम नहीं जानते| इनके  दुरुपयोग से वसूली का एक नया सिस्टम बनने का खतरा मौजूद है|

भ्रष्टाचार पर शिकायतों की जांच के पूर्व किसी के पास अनुमति का अधिकार क्यों होना चाहिए? प्रॉसीक्यूशन की स्टेज में तो ऐसा हो सकता है| जांच के पहले ही बैरियर क्यों? भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन कर बड़े अधिकारियों के मामलों में जांच के पूर्व मुख्यमंत्री  की अनुमति अनिवार्य  करने का जनता में सही संदेश नहीं जा रहा है|

सरकारी तंत्र नियमों से चलता है| प्रत्येक राज्य का वित्त विभाग सभी विभागों के अधिकारियों को वित्तीय अधिकार मंजूर करता है| अधिकांश विभागों में फाइनेंशियल पावर विभागाध्यक्ष, जिले के शीर्ष अधिकारी अथवा उच्च अधिकारियों के पास होता है| भ्रष्टाचार के लिए निचले कर्मचारी पकड़े जाते हैं|

भ्रष्टाचार के खिलाफ ये एक स्वांग सा लगता है| जिसके पास वित्तीय अधिकार नहीं है, वह अपने स्तर से भ्रष्टाचार कैसे कर सकता है| जब कंट्रोलिंग और वित्तीय अधिकार प्राप्त अधिकारियों को दोषी मानकर दंडित किए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, तभी सही मायनों में भ्रष्टाचार रुक सकेगा|

भ्रष्टाचार का एक सिरा निचले स्तर पर हो सकता है, लेकिन उसका दूसरा सिरा कंट्रोलिंग अथॉरिटी तक पहुंचता है| भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की ओर जाता है| डिजिटलाइजेशन से इसमें कमी की उम्मीद थी, लेकिन इसमें भी ई टेंडर घोटाला हो जाता है|

लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति के बिना भ्रष्टाचार क्या रुक सकता है? अभी तो पूरी कार्यवाही एक स्वांग जैसी ही बनती जा रही है| स्वांग लोकनाट्य का एक रूप है, इसमें किसी का रूप स्वयं ग्रहण कर उसे प्रस्तुत किया जाता है|

जो नहीं है, उसका रूप बनाकर प्रस्तुत करना, “स्वांग” लोकनाट्य की एक परंपरा है| सिस्टम में स्वांग आम होता जा रहा है| करना कुछ अलग, कहना कुछ अलग, दिखना कुछ अलग, वास्तविकता कुछ अलग जैसे पाखंड भ्रष्टाचार के मूल स्रोत हो गए हैं|

भारत की अनेकता में एकता भ्रष्टाचार पर सबसे सटीक बैठती है| ना समाजवाद ना उदारवाद, भारत में सबसे बड़ा “भ्रष्टवाद” है| इसमें ना कोई अल्पसंख्यकवाद है ना कोई बहुसंख्यकवाद है| भ्रष्ट तत्वों का गठजोड़ फेवीकोल से भी ज्यादा मजबूत होता है| इस एकता को पकड़ना और उसे तोड़ना आसान काम नहीं है|

देश में आ रही जागरूकता के साथ भ्रष्टाचार के स्वरूप बदल रहे हैं| यह भी रिश्वतखोरी से हटकर कॉर्पोरेट फ्रेंडली हो रहा है| प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास कहते हैं कि राजनीति और भ्रष्टाचार का चोली दामन का रिश्ता है| उनका कहना है कि भ्रष्ट हुए बिना पूर्णकालिक नेता रहा ही नहीं जा सकता|

स्वच्छ राजनीति के प्रयास हो रहे हैं इसे आंदोलन बनाने की जरूरत है| भ्रष्ट आचरण और गतिविधियों को छिपाने के लिए कितने भी मुखोटे लगाए जाएं, लेकिन पब्लिक सब जानती है| जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि, जहां न पहुंचे कवि वहां पहुंचे भ्रष्टाचार की छवि|