स्वाधीनता दिवस के एक सप्ताह बाद भारत ने चांद पर तिरंगा लहराने का गौरव हासिल कर लिया है. भारत दुनिया का पहला देश बन गया है जो चांद की दक्षिणी सतह पर अपना चंद्रयान उतारने में सफल हुआ है. रूस का मिशन लूना कुछ दिन पहले ही क्रेश हो गया है. अब पूरी दुनिया टकटकी लगाए भारत के मिशन चंद्रयान को देख रही थी..!
भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में जो इतिहास रचा है वह भारत के गौरव गान को चार चांद लगाएगा. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मिशन चंद्रयान के विक्रम लैंडर से निकलकर प्रज्ञान रोवर की प्रदक्षिणा शुरू हो गई है. मिशन चंद्रयान के नतीजे दुनिया को भारत की गुरु दक्षिणा के रूप में अंतरिक्ष विज्ञान को नए चांद और सूरज उगाने का अवसर उपलब्ध कराएगी. अमेरिका, चीन, जापान, रूस और दूसरा कोई भी देश चांद के साउथ पोल पर अभी तक अपना यान नहीं उतार सका है.
चंद्रयान-2 की असफलता के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने भारतीय ज्ञान और विज्ञान की विरासत को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए कड़ी मेहनत और निष्ठा से आज चांद को भारत की धरती पर उतार दिया है.
भारतीय ज्ञान और विज्ञान की परंपराओं और सनातन ग्रंथों के चमत्कारिक निष्कर्षों के आधार पर दुनिया के वैज्ञानिक नई-नई खोजें करने में सफल हो रहे हैं. अब तो दुनिया के वैज्ञानिक तक मानने लगे हैं कि भारतीय धर्म ग्रंथों में जो भी बात लिखी गई है उसको कल्पना मात्र मानना बहुत बड़ी भूल होगी. भारतीय मनीषियों ने अपने ग्रंथों में जिन निष्कर्षों का उल्लेख किया है उनके भले ही भारतीयों के पास अभी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं हो लेकिन ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार ना हो.
गणित, शल्य चिकित्सा, वायु विज्ञान के बारे में भारतीय ग्रंथों में वर्णित तथ्यों पर की गई वैज्ञानिक खोजों ने दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव किया है. अब तो चांद पर बस्तियां बसाने की बात हो रही है. भारतीय ज्ञान ने चांद को चंदामामा के रूप में उद्घाटित कर उस पर जीवन की संभावनाओं और पृथ्वी और चंद्रमा के जैविक संबंधों का ही इशारा किया है.
भारत में आज मिशन चंद्रयान का पर्व घर-घर में मनाया जा रहा है. चंद्रयान की लैंडिंग से पहले देश के हर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च में प्रार्थनाएं भारत की शक्ति के रूप में पूरी दुनिया ने देखा. भारत को जातियों और समुदायों में बाँट कर देखने वाले लोगों को त्यौहार चंद्रयान अचंभित कर रहा होगा. हिंदुओं के चारों धाम बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारिका और जगन्नाथ पुरी में चंद्रयान की सफल लैंडिंग के लिए पूजा अर्चना की गई.
देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंग और दुर्गा शक्तिपीठों पर भी पूजा अर्चना की गई. मुस्लिमों की पवित्र मसजिद, दरगाह और मजारों पर भी चंद्रयान की सफलता के लिए दुआएं मांगी गईं. गुरुद्वारे और चर्च में भी चंद्रयान की सफलता के लिए दुआओं के नजारे भारत की खुशी बढ़ा रहे थे. ऐसा लग रहा था कि भारत में होली, दीपावली, दशहरा, दुर्गा पूजा, ईद, बैसाखी और क्रिसमस एक साथ मनाया जा रहा है. हर भारतवासी राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान से झूम रहा है. भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत और परिश्रम पर पूरा भारत नतमस्तक दिखाई पड़ रहा है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका से चंद्रयान की लैंडिंग के दृश्य देखने के लिए इसरो के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़े हुए थे. नेशनल प्राइड के ऐतिहासिक पल को हर भारतीय नागरिक अपनी आंखों में बसाना चाहता था. एक भारत और श्रेष्ठ भारत मिशन चंद्रयान वाले भारत को ही कहा जाएगा.
भारत के चंद्रयान-2 को जब असफलता मिली थी तब भी तत्कालीन सरकार की राजनीतिक रूप से आलोचना की गई थी. भारत के राष्ट्रीय गौरव का मिशन चंद्रयान-3 भी राजनीति से दूर नहीं रह सका. कुछ दलों के नेता किस तरह शर्मनाक बात आज भी करने का दुस्साहस कर सके कि इसरो के वैज्ञानिकों को वेतन नहीं मिला है.
जो इसरो चांद को धरती पर उतारने की क्षमता रखता है जिसने दुनिया को अपने चंद्रयान की सफलता से अचंभित कर दिया है उसके वैज्ञानिकों को इस तरह के शर्मनाक वक्तव्य से अपमानित करने वालों की बुद्धि पर तरस किया जा सकता है. भारत का नेशनल प्राइड आज अपने चरम पर अपनी प्रतिष्ठा लहरा रहा है तो भारत के मान सम्मान को बदनाम करने की राजनीतिक कोशिशें भारत विरोधी मानसिकता ही कहीं जाएगी.
हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए निश्चित रूप से वैज्ञानिकों को पूरा श्रेय जाता है. वैज्ञानिक भी अपनी पूरी क्षमताओं का उपयोग तभी करने में सक्षम होते हैं जब उन्हें सरकारों की ओर से पर्याप्त संसाधन और संरक्षण प्रदान किया जाता है. जब भी ऐसे राष्ट्रीय गर्व और गौरव की उपलब्धियां हासिल होती हैं तो वैज्ञानिकों के अलावा उस समय की सरकारों और प्रधानमंत्री को निश्चित रूप से श्रेय दिया जाता है. मिशन चंद्रयान की सफलता के लिए दुनिया के विकसित और दूसरे देशों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी जा रही बधाइयां इसी बात का प्रतीक हैं कि देश की इस उपलब्धि के प्रतीक के रूप में प्रधानमंत्री को ही दुनिया द्वारा देखा जाता है.
इसरो की स्थापना और उसके वैज्ञानिक प्रयासों और उपलब्धियों का एक लंबा सिलसिला है. इसके लिए किसी एक राजनीतिक दल या किसी एक राजनीतिक नेता को को ही जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता. देश में काम करने वाली सभी सरकारों और उनके लीडर ने अंतरिक्ष विज्ञान के विकास के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निश्चित रूप से निभाया है. हमें वृक्ष दिखाई पड़ता है लेकिन उसका बीज और जड़ें दिखाई नहीं पड़ती हैं. इसरो की नींव डालने वाले और इस संस्थान की जड़ों को मजबूत करने वाले सभी वैज्ञानिकों और सभी सरकारों को राष्ट्रीय गौरव के मिशन चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय जाता है.
सोने की चिड़िया भारत अपनी विरासत और गौरव को फिर से पुनर्जीवित और गौरवान्वित करने के लिए आगे चल पड़ा है. ‘हर हाथ और हर घर में तिरंगा’ सही मायनों में भारत भाग्य विधाता बन रहा है. भारत की गुरु दक्षिणा आने वाले समय में दुनिया को ऐसे-ऐसे रहस्य उद्घाटित करेगी जिससे पृथ्वी और चांद की दूरी कम हो जाएगी. चांद अब साहित्य और श्रृंगार में केवल उपमा के लिए नहीं बल्कि हकीकत के रूप में अपनी अनुपमा से मानव जीवन को आलोकित करेगा.
भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि से भावुक हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि भारत की यह उड़ान बहुत आगे जाएगी. पूरे विश्व को संदेश देते हुए पीएम मोदी ने कहा भारत के अमृत काल में नए भारत पर अमृत वर्षा हुई है. भारत के इस स्मरणीय पल का गवाह बनने के लिए स्वयं को और देश के140 करोड़ परिवार जनों को बधाई और शुभकामनाएं दीं. नया विश्व नए भारत के आत्मविश्वास के सहयोग और साथ से कई उपलब्धियां हासिल करेगा.