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मुगलों की करनी सनातन एकता के लिए बनी संजीवनी..! संस्कृति का स्वाभिमान मिटाती मुगल प्रतीकों की कहानी- सरयूसुत मिश्र

सार

पाप कोई भी हो बिना भुगते समाप्त नहीं होता| सनातन संस्कृति का यही संदेश है| सनातन धर्मियों के धार्मिक प्रतीकों और संस्कृति के साथ छेड़छाड़ का पाप मुगलों ने किया था| आजाद भारत में आज वह वक्त आया है, जब मुगलों के पाप सनातन एकता के लिए संजीवनी बन गए हैं| पेट पूजा से ज्यादा जरूरी संस्कृति और स्वाभिमान की पूजा मानी गई है| कुछ लोग अपने अतीत और गौरव को फिर से पाने की जद्दोजहद को हिंदू मुस्लिम के बीच  नफरत के रूप में प्रचारित करते हैं..!

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विस्तार

अपने अतीत गौरव और संस्कृति को पाने के लिए संघर्ष करना. नफरत फैलाना कैसे हो गया? बल्कि मुगलों ने जिन सनातन प्रतीकों को तोड़कर नफरत के प्रतीक के रूप में बदला था, आज उन्हें अगर फिर मूल रूप में वापस लाने का काम हो रहा है, तो इसमें हर भारतीय को सहयोग करना चाहिए|

भारत की विभिन्न अदालतों में आज ऐसे मुकदमे चल रहे हैं, जहां सनातन धर्मी मुगलों द्वारा बदले गए अपने धार्मिक स्थल की पहचान पुनः कायम करने के लिए संघर्ष कर रहा है| वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में आज ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि मस्जिद परिसर का पूर्ण रूप से सर्वे होगा इसकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की जाएगी|

हिंदुओं का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई है| मस्जिद परिसर के अंदर श्रृंगार गौरी मां की प्रतिमा है और इसमें पूजा की अनुमति दी जाना चाहिए| इसी विवाद में न्यायालय ने परिसर की सच्चाई प्रमाणित करने के लिए सर्वे और वीडियोग्राफी का आदेश दिया है|

एक सप्ताह पहले यह कार्य हो जाना था, लेकिन मस्जिद की ओर से इसका विरोध किया गया| कहा गया कि मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी नहीं होगी, इसी कारण दोबारा अदालत में मामला गया, अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिद परिसर के हर हिस्से में सर्वे, फोटो और वीडियोग्राफी होगी|

श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज ही फैसला दिया है कि 4 महीने में वहां की जिला अदालत सभी मुकदमों का निराकरण करे| किसी को भी इसमें क्या दिक्कत होना चाहिए कि सच्चाई सामने आए| देश के मुस्लिम समाज को भी सच्चाई का साथ देना चाहिए, मुगलों के पाप को अपना पाप नहीं बनाना चाहिए| वैसे भी इस्लाम में विवादित भूमि पर इबादत की मनाही है|

मुस्लिम आक्रान्ता बहुत कम संख्या में भारत आये थे| ऐसा कहा जाता है कि उनके साथ औरतें नहीं थी| वे भारतीयों और भारतीय महिलाओं के धर्म परिवर्तन के बाद उन्हें अपने साथ लेकर आगे बढ़े थे| सनातन धर्मियों के धर्म परिवर्तन के साथ मुगलों ने अपना साम्राज्य चलाया| आज भारत में जो इस्लाम धर्म है वह भारतीय इस्लाम है| उसकी आत्मा भारतीय है| हर भारतीय का डीएनए एक है|

एक सर्वे में विदेशी मुसलमानो का डीएनए भारतीय मुस्लिमों से अलग पाया गया| भारतीय नागरिक मस्लिम मजहब के रूप में अलग विचार रख सकते हैं| लेकिन भारतीय संस्कृति के रूप में यह एकता निर्विवाद है| मुगल साम्राज्य में हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया| अयोध्या में बाबरी मस्जिद के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला दे दिया है| वहां राम मंदिर का निर्माण हो रहा है|

काशी और मथुरा में सच्चाई सामने लाने का संघर्ष शुरू हो गया है| अदालत के निर्णय ने दोनों स्थानों पर सच्चाई सामने लाने के कदम को समर्थन दिया है| विश्व प्रसिद्ध आगरा का ताजमहल भगवान शिव का मंदिर तेजो महल है| वहां जो 22 कमरे बंद हैं उनके सच्चाई जानने के लिए कानूनी लड़ाई चल पड़ी है|

दिल्ली में कुतुब मीनार को विष्णु स्तंभ बताते हुए वहां पर सनातन धर्मियों का आंदोलन शुरू हो गया है| यह समझने की जरूरत है कि यह कोई जमीन या ज़्यादात का झगड़ा नहीं है, यह संस्कृति और स्वाभिमान का विवाद है| इनको हल करना ही पड़ेगा. इनको टालने से तनाव के अलावा कुछ नहीं बढ़ेगा| भारतीय न्यायालयों की प्रशंसा की जाना चाहिए कि वे इस तरह के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अतीत के गौरव के विवादों पर सच को सामने लाने का समर्थन कर रही है|

मुगलों ने भारतीयों का धर्म परिवर्तन करने के साथ  उनका अतीत भी नष्ट करने का प्रयास किया| सनातन इतिहास को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी| मुगल काल में तो यहां तक कहा गया कि सनातन धर्मियों के पूर्वजों की कोई संस्कृति अस्तित्व में नहीं है और ना ही उनका कोई महत्व है| सनातन मतलब जिसका न कोई आदि है ना कोई अंत है, जो सतत है, आज यही साबित हो रहा है|

जिस देश व समाज की संस्कृति का विनाश करने की कोशिश की जाती है, वहां संस्कृति नहीं बल्कि मानवता का विनाश होता है| संस्कृति मानवता की आत्मा है| संस्कृति और सभ्यता व्यक्ति को स्वाभिमानी बनाती है| जिस प्रकार भूख को मिटाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार समाज और राष्ट्र के विकास के लिए संस्कृति की आवश्यकता होती है|

भारत में सांस्कृतिक स्वाभिमान की पुनर्स्थापना के लिए लंबे समय से संघर्ष चलता रहा है| राजनीतिक दल भी इसमें अपनी भूमिका निभाते रहे हैं| अयोध्या की सफलता के बाद इस तरह के मामले देश में तेजी के साथ बढ़ रहे हैं| अब काशी और मथुरा में अदालतों के फैसलों से यह आशा बलवती हो रही है कि इन दोनों भारत के सांस्कृतिक गौरव के स्थानों का सच सामने आएगा| जब सच आएगा तो फिर यहां भी अयोध्या जैसे ही स्थितियां बनेंगी और सनातन गौरवशाली इतिहास की दोबारा स्थापना होगी| ये गौरव भारत में रहने वाले हर नागरिक की पूंजी है| 

अब समय आ गया है कि ऐसे मामलों में धार्मिक एंगल देने से बचा जाए| होना ये चाहिए कि हिंदूओं के साथ अन्याय के प्रतीकों को समर्थन देने की बजाय सुधारने की कोशिश की जाए| मध्य प्रदेश में धार की भोजशाला का मामला भी उच्च न्यायालय पहुंच गया है| यहां भी हिंदू मुस्लिम के बीच में विवाद की स्थिति है| भोजशाला सरस्वती पूजा का केंद्र है,भोजशाला विवाद पर न्यायालय का निर्णय सच्चाई को पुनः स्थापित करेगा|

वक्त बदलता है, सनातन धर्म के साथ जो अन्याय, अत्याचार, अनाचार मुगलों के शासन में किया गया था, उनके धर्म स्थलों को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया गया था, आज उसी को सुधारने के लिए सनातनधर्मी संघर्षशील है| यह संघर्ष सनातन धर्मियों की एकता को मजबूत कर रहा है| इसका असर भारत की राजनीति पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है|

चूंकि अदालत के आदेश पर सच्चाई की तलाश हो रही है, इसलिए इस पर बहुत अधिक टीका टिप्पणी की गुंजाइश नहीं है|अदालत का आदेश  हर व्यक्ति को स्वीकार करना पड़ता है| जिस ढंग से अदालतें सच को खोजने में सहयोगी बन रही है, उससे ऐसा ही लगता है कि धीरे-धीरे सभी विवादों का समाधान हो जाएगा| मुगलों के पाप के प्रतीक भारत से हट जाएंगे| भारत की सनातन संस्कृति “वसुधैव कुटुंबकम” की जीवन शैली का परचम फिर से दुनिया में लहराएगा|