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न कहिये तंबाकू को 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 04 Jun

सार

तंबाकू की मादक क्षमता का पता क्रिस्टोफर कोलंबस ने सन् 1492 ई. में अपनी अमरीका यात्रा के दौरान लगाया था,कोलंबस व उसके लोगों ने टोबाको आइलैंड में पाया कि यहां के स्थायी निवासी पीसे हुए सूखे पत्तों को एक रोल बना कर पीते हुए आनंद ले रहे हैं, इसीलिए कोलंबस ने भी अपने साथ ये सूखे पत्ते व इसका बीज यूरोप में लाया..!!

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विस्तार

तंबाकू के सेवन व इसके उद्भव का इतिहास काफी पुराना है। पादप अनुवंशिकिविदों के अनुसार तंबाकू की उत्पत्ति पेरुवियन और एक्वाडोरियन एंडीज में 5000 से 3000 ई. पू. के बीच में हुई मानी जाती है। तब से लेकर ही वहां के लोग इसका किसी न किसी रूप में प्रयोग करते आए हैं। तंबाकू की मादक क्षमता का पता क्रिस्टोफर कोलंबस ने सन् 1492 ई. में अपनी अमरीका यात्रा के दौरान लगाया था।

कोलंबस व उसके लोगों ने टोबाको आइलैंड में पाया कि यहां के स्थायी निवासी पीसे हुए सूखे पत्तों को एक रोल बना कर पीते हुए आनंद ले रहे हैं, इसीलिए कोलंबस ने भी अपने साथ ये सूखे पत्ते व इसका बीज यूरोप में लाया था, जिसके उपरांत यूरोप में तंबाकू का आगमन हुआ माना जाता है। अमरीका में यूरोपियन के आने के बाद तंबाकू एक व्यापार की वस्तु बनकर उभर कर सामने आया। समय के साथ इसकी प्रसिद्धता इस प्रकार बढ़ी कि तंबाकू कई जगहों पर नकदी के रूप में प्रयोग किया जाने लगा।

इसके सेवन व प्रयोग के पीछे बहुत से मिथक भी विद्यमान थे। मशहूर खगोलशास्त्री थॉमस हैरीओट ने सन् 1585 ई. में एक बयान दिया था कि तंबाकू के सेवन से पूरे शरीर के छिद्र व मार्ग खुल जाते हैं, जिस कारण अमरीका वासियों का स्वास्थ्य इंग्लैंड वासियों से बेहतर है। ऐसे अनेकों मिथकों के चलते ही सन् 1700 ई. तक तंबाकू उद्योग एक मुख्य उद्योग बनकर उभरा। ऐसा माना जाता है कि वर्जिनिया की अर्थव्यवस्था तंबाकू के उत्पादन व व्यापार के कारण ही बची रही थी। इसीलिए वर्जिनिया सबसे बेहतर तंबाकू उत्पादों में माना एवं गिना जाता है।

भारत में तंबाकू उत्पादन सर्वप्रथम पुर्तगालियों के द्वारा वर्ष 1605 ई. में शुरू किया गया। शुरुआत में यह गुजरात में उत्पादित किया गया जो समय के चलते धीरे-धीरे देश के दूसरे राज्यों में फैल गया। वर्जिनिया तंबाकू का उत्पादन व व्यवसायीकरण भारत में काली मिट्टी वाले क्षेत्र में वर्ष 1920 में किया गया। वर्ष 1930 के शुरुआत में देश में तंबाकू उत्पादन इतना बढ़ गया था कि भारत को विश्व के तंबाकू मानचित्र में गिना जाने लगा।

वर्ष 1947 में आईसीटीसी के अंतर्गत सीटीआरआई (केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान संस्थान) का सरकार द्वारा गठन किया गया जिसको वर्ष 1965 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने अपने अधीन कर दिया। वर्तमान में सीटीआरआई राजामुंदरी आज अपने छह अनुसंधान केन्द्रों के साथ भारत में उत्पादित किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के तंबाकू पर अनुसंधान कर रहा है। आज तंबाकू पूरे विश्व में अर्थव्यवस्था व रोजगार प्रदान करने वाला उद्योग बन कर उभरा है। भारत में ही तंबाकू से उत्पन्न होने वाला रोजगार, आय व सरकारी आगम लगभग 20 अरब रुपए है। हालांकि इसका प्रसार सेहत के लिए ठीक नहीं। अब समय आ गया है जब तंबाकू को न कहना होगा।