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इसलिए, शिवराज सिंह चौहान बन सकते हैं पुनः सीएम

जयराम शुक्ल जयराम शुक्ल
Updated Thu , 07 Dec

सार

मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? जानिए

janmat

विस्तार

मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? फिलहाल, यह सवाल हरेक की जुबान पर है, कांग्रेसियों की भी! शिवराज सिंह मजे से भोपाल में हैं, अपने परिजनों को वक्त दे रहे हैं, लाड़ली बहनों के साथ भोजन का स्वाद ले रहे हैं, छिंदवाड़ा, श्योपुर में अगले चुनाव की अलख जगा रहे हैं. 

वहीं, दूसरी ओर तीन नेता सबसे सक्रिय हैं- प्रह्लाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और वीडी शर्मा. ये तीनों दिल्ली में हैं. बुधवार को विधायक चुने गए सभी पांचों सांसदों ने लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया. इधर आज भाजपा संसदीय दल की बैठक भी चल रही है, संभव है शाम तक स्थिति स्पष्ट हो जाए.

संसद का शीतकालीन सत्र आरंभ है लिहाजा प्रहलाद पटेल और वीडी शर्मा का वहां होना और शीर्ष नेताओं से मिलना लाजमी है. प्रहलाद पटेल ने पत्रकारों से बातचीत की लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के आरोपों के संदर्भ में. वहीं, कैलाश विजयवर्गीय यह तर्क और तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश की विजय में सिर्फ मोदी इफेक्ट है न कि लाडली बहना. 

यह इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में लाडली बहना योजना नहीं थी फिर भी भाजपा जीती. विजयवर्गीय मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत के श्रेय का भागीदार बनाने में शिवराज सिंह चौहान के नाम से परहेज़ बरत रहे हैं. 

अलबत्ता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश में जीत का श्रेय पीएम मोदी की करिश्माई छवि, शाह की रणनीति, नड्डा के नेतृत्व के साथ शिवराज सिंह की अथक मेहनत और लाडली बहना समेत अन्य योजनाओं को दिया है. 

महत्व की बात यह कि शिवराज सिंह की बराबरी के दूसरे प्रमुख नेता नरेंद्र सिंह तोमर अपने स्वभाव अनुरूप शांत हैं, मुख्यमंत्री पद के संदर्भ में उनकी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई.

मध्यप्रदेश में स्वयं को शिवराज सिंह की बराबरी का नेता मानने वाले ज्यादातर नेताओं की कोशिश है कि मीडिया पर छाए 'लाडली बहना' फैक्टर को किस तरह अंडरमाइन किया जाए और इसकी जगह सिर्फ मोदी के करिश्मे की चर्चा हो.

शिवराज सिंह सत्ता को लेकर वीतरागी बने हुए हैं उनका वक्तव्य चर्चाओं में हैं कि बहनों, भांजियों के अटूट रिश्ते के मुकाबले वे सत्ता के सिंहासन को तुच्छ मानते है. वे न तो कभी मुख्यमंत्री की रेस में थे और न आज है, पार्टी जो दायित्व सौंपेगी उसका निर्वहन परिश्रम की पराकाष्ठा के साथ करेंगे. 

यह तो रही सीधी बात, पर अनुषांगिक बात यह कि चुनाव परिणाम के बाद से प्रतिदिन वे ऐसा कुछ न कुछ करते और कहते हैं कि 'लाड़ली बहना' इफेक्ट चर्चाओं के केंद्र में बना रहे.

अब पर्दे के पीछे की वास्तविकता जानिए… शीर्ष नेतृत्व द्वारा मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत को लेकर सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर फीडबैक मांगे गए हैं. मीडिया में छपी रिपोर्ट के विश्लेषण भी किए जा रहे हैं. 

जिन सूत्रों के इनपुट की वजह से मैं मतदान पूर्व आश्वस्त रहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने जा रही है, उन्हीं सूत्रों का अब कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष फिलहाल शिवराज सिंह चौहान का कोई विकल्प नहीं, वे पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

सूत्रों ने इस संदर्भ में जो तर्क और तथ्य दिए उससे शीर्ष नेतृत्व भी इत्तेफाक रखता है!
 
1. मध्यप्रदेश में विजय 'लाडली बहना' की वजह से मिली लेकिन मोदी ने उसे और प्रचंड बना दिया. यानी कि इस 'प्रचंड विजय' में मोदी 'प्रचंड' हैं तो चौहान 'विजय'!

2. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत का मध्य प्रदेश की प्रचंडता से कोई मेल नहीं क्योंकि वहां लाडली बहना फैक्टर नहीं था.

3. मध्यप्रदेश में महिलाओं और बेटियों की शिवराज सिंह चौहान के साथ सीधे भाई व मामा के तौर पर बाडिंग बन चुकी है. मोदी का प्रभाव समग्रता में वैसे ही इन पर है जितना कि किसी सामान्य नागरिक पर.

4. तीन महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी ऐसे में शीर्ष नेतृत्व कदापि न चाहेगा कि शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश के विशाल लाभार्थी वर्ग के साथ जो केमिस्ट्री बनी है वह बिगड़े.

5. मोदी, शाह और योगी के साथ भाजपा में चौहान ऐसे प्रमुख नेता हैं जिनके नाम से सभाओं में जनता पहुंचती है.

6. प्रह्लाद जी का पूरा वक्त केंद्र की राजनीति में बीता और विजयवर्गीय राजनीतिक तौर पर लंबे समय से बंगाल के मोर्चे पर रहे. उनका इपीसेंटर अभी भी इंदौर है न कि भोपाल.

7. और अब सौ की सीधी बात यह कि विधायकों से यदि रायशुमारी की गई तो सबसे बड़ा संख्या बल शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में ही रहेगा.

8. चुनावी वर्ष में शीर्ष नेतृत्व अपनी ओर से मुख्यमंत्री थोपने का जोखिम मोल नहीं लेगा. क्योंकि, इसी आरोप के साथ वह अब तक कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करता रहा है.
 
और अंत में… भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के काम करने के तरीके पर नजर रखने वाले एक पहुंचे हुए विश्लेषक से मैंने सीधे यह सवाल पूछा कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की शपथ कौन लेने जा रहा है? तीन शब्दों में जवाब था- शिवराज सिंह चौहान!