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स्मार्ट फोन और हम भारतीय 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Tue , 23 Oct

सार

हमारे यहां भूख, प्यास, और बेरोजगारी की बड़ी समस्याओं बारे भी सवाल नहीं किए जाते..!

janmat

विस्तार

मेरे सामने सिंगापुर प्रबंधन विश्वविद्यालय का सर्वे मौजूद है जो यह बताता है कि “स्मार्ट फोन बार -बार चैक करने से दैनिक जीवन में आने वाली छोटी छोटी समस्याएं समझ नहीं आती और समाधान करने की क्षमता घटती है।“ वैसे उनकी तुलना में हमारे सर्वे शानदार होते हैं। हमारे यहां भूख, प्यास, और बेरोजगारी की बड़ी समस्याओं बारे भी सवाल नहीं किए जाते। यहां बाज़ार, सडक़ या भीड़ भरे रास्तों पर चलते हुए, यूटयूब पीते, फेसबुक पर लाइक्स और कमेंट्स गिनते, व्हाट्सऐप पर मैसेज चखते हुए ज्ञान भंडार व आत्मविश्वास बढ़ता है। सामने से आ रहे इंसान या जानवर से टकराने, ठोकर खाकर गिरने और संभलने की शक्ति मजबूत होती है। 

उनके शोध के अनुसार बोरियत मिटाने या टाइम पास करने के लिए बार बार फोन चैक करते हैं। हमारे यहां इससे बहुत मनोरंजन होता है। हम फोन पर मनपसंद हरकतें करते हैं। जाति, क्षेत्र, धर्म से जुड़े अनेक सामाजिक, राजनीतिक विषय हैं जिन पर फोन चर्चा होती है। यह चर्चाएं आपस में झगडऩे, पीटने, पिटने, लडऩे, मरने के लिए प्रेरित करती हैं। बोरियत बेचारी कहां इनके बीच में फंसेगी। हैरानी है, सिंगापुर वालों ने केवल एक सौ इकासी लोगों पर सर्वे किया। हमारे यहां अगर एक करोड़ इकासी हज़ार लोगों पर सर्वे किया जाता तो भी उनके जवाब ऐसे बिल्कुल न होते। उनके शोध ने यह भी बताया कि फोन बार बार देखने से भूलने की बीमारी हो जाती है, इसके विपरीत हमारे यहां तो बार बार फोन देखने से सब कुछ याद रहता है। उन्होंने यह भी इंगित किया कि स्मार्ट फोन के ज़्यादा प्रयोग से आंखों की रोशनी कम हो रही है, लेकिन हमारे यहां तो ज्ञान का प्रकाश बढ़ रहा है। स्मार्ट फोन दिया जाए तो बचपन खुश,सुखी रहता है।

आंखों का क्या है, मेहनती, कर्मठ डॉक्टर उपलब्ध हैं। स्मार्ट फोन की लत के कारण कई व्यवसाय भी तो स्मार्टली बढ़ते हैं। नए स्टार्टअप लगाने व नया सामान बनाने की प्रेरणा मिलती है। चश्मों की दुनिया नए अवसर देखती है, चश्मों के नए डिज़ाइन बनते हैं। सामाजिक संस्थाएं चश्मे मुफ्त दे सकती हैं। शोध के अनुसार बार बार स्मार्ट फोन देखने पर शब्द भूल जाते हैं। हमारे यहां तो चुस्ती फुर्ती के साथ नए जानलेवा, खूंखार शब्द पैदा हो जाते हैं और मुंह, हाथों और टांगों से बाहर निकलने के लिए छटपटाते रहते हैं। 

हमारे यहां स्मार्ट फोन प्रयोग करने वाले को भूख नहीं लगती। लाखों लोगों के पास एक नहीं दो दो फोन हैं। सुना है अब ऐसा स्मार्ट फोन आने वाला है जिसे चाटने के बाद इच्छाएं इनसान के वश में आ जाएंगी जोकि सिर्फ एक बार मिलने वाली जि़ंदगी के लिए गलत होगा। स्मार्ट लोगों की मांग है, चुभने वाले ऐसे अध्ययनों पर रोक लगनी चाहिए। अधिक लोग ऐसे शोध को पढऩे और समझने लगेंगे तो सुनिश्चित है स्मार्ट फोन की बिक्री घट सकती है। कम्पनियों की व्यावसायिक परेशानियां बढ़ सकती हैं। लोग फिर से पत्र लिखना शुरू कर सकते हैं जिससे डाकघर वालों का काम बहुत बढ़ सकता है। मौजूदा जि़ंदगी की बुनियादी, महत्त्वपूर्ण, ज़रूरी व अति स्वादिष्ट चीज़ यानी स्मार्ट फोन बारे किसी भी तरह के अनुचित सर्वे करने, अपशब्द सोचने, लिखने और बोलने पर अविलम्ब अंतरराष्ट्रीय रोक लगनी चाहिए।