देश अब धीरे-धीरे इन चुनौतियों से पार पाते हुए आगे बढ़ रहा है, यह दोनो का भरोसा भी है, लेकिन अभी बेहतरी के लिए बहुत कुछ करना बाकी है..!!
भारत पिछले कई दशकों से मानव विकास के विभिन्न आयामों, गरीबी, जीवन स्तर और शिक्षा जैसे मुद्दों की चुनौतियों का सामना कर रहा है। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी पक्ष और प्रति पक्ष के कमोबेश यही मुद्दे हैं। देश अब धीरे-धीरे इन चुनौतियों से पार पाते हुए आगे बढ़ रहा है, यह दोनो का भरोसा भी है, लेकिन अभी बेहतरी के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।
मेरे सामने संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) रिपोर्ट है जिसमें भारत अब 193 देशों में 134वें स्थान पर है। भारत की रैंकिंग में पिछले वर्ष की एचडीआई रिपोर्ट के मुकाबले एक पायदान का सुधार हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय लोगों के मानव विकास सूचकांक में भारत की औसत बढ़त की सराहना की है।
अमरीका के प्रसिद्ध थिंक टैंक द ब्रूकिंग्स इंस्ट्रीट्यूशन की रिपोर्टभी आई है, जिसमें कहा गया है कि जहां वर्ष 2011-12 में भारत की 12.2 प्रतिशत आबादी अत्यधिक गरीब थी, वहीं यह वर्ष 2022-23 में घटकर महज दो फीसदी ही रह गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल आबादी में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों (प्रतिदिन 1.90 डालर से कम खर्च करने वाले) की संख्या 2011-12 की 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में दो प्रतिशत आ गई है। गरीबों की संख्या में हर वर्ष 0.93 प्रतिशत की कमी के बराबर है। ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबों की संख्या घटकर 2.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में एक प्रतिशत रह गई है। कहा गया है कि भारत में गरीबों की संख्या में जो गिरावट बीते 11 वर्षों में हुई है, इससे पहले वह गिरावट 30 वर्षों में हुई थी।
इसी तरह भारत के थिंक टैंक नीति आयोग ने कहा है कि भारत में सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों से बीते नौ वर्षों में करीब 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली और भारत वर्ष 2030 तक बहुआयामी गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य में सफलता प्राप्त करने की पूरी संभावनाएं रखता है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज, स्वच्छ ईंधन के लिए उज्ज्वला योजना, सभी घरों में बिजली के लिए सौभाग्य योजना, पेयजल सुविधा के लिए जल जीवन मिशन व जन-धन खाते की सुविधा आदि से लोगों को गरीबी से ऊपर लाने में खासी मदद मिली है। खास तौर से गरीबों के सशक्तिकरण में करीब 51 करोड़ से अधिक जनधन खातों (जे), करीब 134 करोड़ आधार कार्ड (ए) तथा करीब 118 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) की शक्ति वाले जैम से सुगठित बेमिसाल डिजिटल ढांचे की असाधारण भूमिका रही है।
इसी शक्ति के बल पर देश के गरीब लोगों के खातों में सीधे आर्थिक राहत हस्तांतरित हो रही है। इससे देश के करोड़ों गरीबों के मानव विकास सूचकांक में वृद्धि हुई है। इस समय चिंताजनक वैश्विक रोजगार परिदृश्य के बीच भारत में बढ़ती हुई तेज अर्थव्यवस्था के कारण रोजगार-स्वरोजगार के मौके बढ़ रहे हैं,उससे भी मानव विकास सूचकांक के बेहतर होने में लाभ मिला है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और देश में स्टार्टअप्स की संख्या अब 1.25 लाख के आसपास पहुंच रही है।इनमें बड़ी संख्या में स्टार्टअप टियर 2 और टियर 3 शहरों में हैं। सरकार की कवायदों से युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के लिए निजी क्षेत्र के साथ सरकारी क्षेत्र में भी नए रोजगार अवसर बढ़े हैं।
देश में अभी भी 15 करोड़ से अधिक लोग गरीबी की चिंताओं का सामना कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि 2017 में नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में 2025 तक स्वास्थ्य पर खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत किया जाना निर्धारित किया गया था। फिर पंद्रहवें वित्त आयोग ने पहली बार स्वास्थ्य के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने भी स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने की बात कही है। इस मामले में देश अभी भी पीछे है।
सरकार द्वारा यूएनपीडी की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट 2022 के मद्देनजर देश में मानव विकास की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, न्यायसंगत और उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, सार्वजनिक सेवाओं में स्वच्छता, बहुआयामी गरीबी, भूख और कुपोषण खत्म करने के लिए नई जनकल्याण योजनाओं, सामुदायिक रसोई व्यवस्था तथा पोषण अभियान-2 को पूरी तरह सफल बनाने का कार्यक्रम चलाएगी।