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“आजाद” नहीं ‘आबाद’ होने का है प्रेस का संघर्ष..! Freedom to Write क्या कम हो गई है? सरयूसुत मिश्र 

सार

आज प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी का आकलन किया जा रहा है| रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पिछले कुछ वर्षों में भारत में पत्रकारिता की आजादी में गिरावट बताई गई है| प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 142वे स्थान से 150वे स्थान पर पहुंचना बताया गया है| छुटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो भारत में पत्रकारिता के फ्रीडम पर सवाल उठाना बहुत वाजिब नहीं है..!

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विस्तार

कोई भी आजादी बिना अनुशासन और कर्तव्य के कैसे सरवाइव कर सकती है? चाहे प्रेस हो या कोई सिस्टम, उसके संचालन के लिए एक व्यवस्था तो बनानी ही पड़ेगी| भारत में मीडिया की आजादी पर सरकारी नियंत्रण नहीं है, लेकिन आजकल के मीडिया का जो स्वरूप है, वह स्वयं पत्रकारिता से ज्यादा वित्तीय लाभ के लिए समर्पित दिखाई पड़ता है|यही वजह है कि प्रेस का संघर्ष “आजाद” होने के लिए नहीं बल्कि “आबाद” होने के लिए हो गया है|

भारत में मीडिया अमीर और गरीब की श्रेणी में विभाजित है|  देश के हिंदी, अंग्रेजी के बड़े मीडिया समूह और इलेक्ट्रॉनिक न्यूज़ चैनल आजकल कारपोरेट हाउस या उद्योगपतियों के कब्जे में है| उद्योगपतियों का अपना एक लक्ष्य है, पत्रकारिता के मूल्यों और आजादी से ज्यादा उनका फोकस लाभ के प्रति होता है| जैसे ही लाभ के हितों में तकरार होती है वैसे ही प्रेस की आजादी खतरे में पड़ने के संदेश और संकेत दिखाने के प्रयास शुरू हो जा जाते हैं|

आज देश में पत्रकारों के कई वर्ग दिखाई पड़ते हैं| पत्रकारों का एक वर्ग ऐसा है जो मोटी मोटी तनख्वाहें लेता है और सुख सुविधाएं लेते हुए खुशहाल है| आज “एंकर” और प्राइम टाइम  पत्रकारिता फल फूल रही है| असली पत्रकार और संपादक तो दिखाई नहीं पड़ते| केवल एंकर, मीडिया हाउस के मालिक या जनरल मैनेजर दिखाई पड़ते हैं| प्रेस से संपादक की संस्था गायब जैसी हो गई है| 

देश के समृद्ध मीडिया की अमीरी लगातार बढ़ती जा रही है|  कस्बे, तहसील जिले की पत्रकारिता गरीब होती जा रही है| सरकारी और गैर सरकारी विज्ञापन रेवेन्यू अमूमन  बड़े मीडिया संस्थानों में जाता है| आंचलिक पत्रकारिता को तो विज्ञापन सपोर्ट मिलना लगभग बंद हो गया है| हम प्रेस की स्वतंत्रता के बात बहुत करते हैं, लेकिन जब तक पत्रकारों को लिखने की स्वतंत्रता नहीं होगी तब तक प्रेस की स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं है| 

पत्रकारों के लिए प्रेस संस्थानों में कामकाज की स्थितियां प्रतिकूल हैं| पत्रकारों की सेवा की कोई गारंटी नहीं है|  पत्रकारों का जॉब अचानक कभी भी चला जाता है| उनकी सेवा मालिकों की मर्जी पर निर्भर करती है| जब तक पत्रकारों की सेवा शर्तों में सुधार नहीं होगा, उन्हें काम के लिए सुनिश्चित अवसर और संसाधन नहीं मिलेंगे, तब तक प्रेस की फ्रीडम की बात करना बेमानी होगी|

बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों के उद्योगपति मालिकों की राजनीति में रुचि भी मीडिया की पत्रकारिता को प्रभावित करता है| जब मालिक अपने राजनीतिक प्रभाव और लाभ के लिए सत्ता के सामने शीश झुकाते रहेंगे तब उनके मीडिया संस्थान किस तरह की पत्रकारिता करेंगे? 

भारत में एक दशक पहले जो राजनीतिक बदलाव आया है उसके कारण भी मीडिया में ध्रुवीकरण बढ़ा है| पहले लंबे समय तक एक विचारधारा का शासन देश में चलता था इसके कारण पूरा मीडिया उसी विचारधारा के अनुरूप काम करता था| देश में राजनीतिक बदलाव के बाद जो विचारधारा सत्ता पर काबिज हुई है, उसके साथ जुड़ने के लिए कई मीडिया समूहों ने पोलराइजेशन किया, इस विचारधारा के खिलाफ भी ध्रुवीकरण हुआ| 

सरकारों  की विचारधारा के पक्ष में काम करने वाले मीडिया समूहों की आवाज भले उतनी बुलंद ना हो, लेकिन विरोधी विचारधारा का साथ दे रहे मीडिया समूह, ज्यादा तेजी से विरोधी पत्रकारिता को धार देते हैं| भारत के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में जो गिरावट बताई गयी है वह विदेशी रिपोर्ट भी विरोधी मीडिया समूह की धारणा पर तैयार की गई लगती है |

भारत में तो ऐसा नहीं लगता कि प्रेस पर किसी प्रकार की सेंसरशिप है| पहले देश में केवल प्रिंट मीडिया हुआ करता था, उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभुत्व आया| अब सूचना क्रांति के दौर में सोशल मीडिया सबसे प्रभावी टूल के रूप में स्थापित हो रहा है| सभी मीडिया समूह अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं|

डिजिटल मीडिया आने के बाद  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नया आयाम मिला है, आज कोई सरकार हो या ताकतवर व्यक्ति, रिच मीडिया को मैनेज करने का दावा तो किया जा सकता है, लेकिन सोशल मीडिया से तथ्यों को दबाने का दावा नहीं हो सकता|  डिजिटल मीडिया तो हर हाथ में है, हर व्यक्ति इस दृष्टि से जर्नलिस्ट की भूमिका में है| अगर उसके पास कोई महत्वपूर्ण सूचना है तो वो उसे घर बैठे बैठे ही अपलोड कर सकता है|

डिजिटल मीडिया का प्रभाव बड़े मीडिया समूहों की प्रतिस्पर्धा के रूप में भी दिखाई पड़ रहा है| आज मीडिया एक दूसरे को एक्सपोज कर रही है| “गोदी मीडिया” शब्द गढ़कर मीडिया के लोग ही मीडिया की फ्रीडम को प्रभावित कर रहे हैं| मीडिया के लोग ही एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए "गोदी मीडिया और सेकुलर मीडिया" का दुष्प्रचार करते हैं| आपस में लड़ाई के कारण मीडिया भस्मासुर की भूमिका में दिखाई पड़ रहा है जो आज से एक दशक पहले दिखाई नहीं पड़ता था। 

ये बात बहुत महत्वपूर्ण है कि महंगाई के इस दौर में प्रेस चलाने के लिए कितने समझौते करने पड़ते हैं? मीडिया के विज्ञापन टीआरपी और सरकुलेशन पर आधारित होते हैं| जो सच होते हैं, ऐसा तो नहीं कहा जा सकता| इस बारे में कई तरह के विवाद भी सार्वजनिक हुए हैं| आज सबसे ज्यादा छोटे अखबार और पत्रकार प्रभावित हो रहे हैं| सरकारों की ओर से छोटे पत्रकारों और पत्रकारिता के लिए मुखर डिजिटल मीडिया को जो सपोर्ट मिलना चाहिए वह कहीं मिलता दिखाई नहीं पड़ रहा है|

प्रेस भी इसी समाज के लोग संचालित कर रहे हैं| यह कोई मिशन के रूप में नहीं बल्कि एक व्यवसाय के रूप में कर रहे हैं|  जर्नलिस्ट रोजी-रोटी के लिए काम कर रहे हैं| प्रेस चलेंगे तब काम के मौके मिलेंगे| प्रेस संचालन के लिए वित्तीय व्यवस्था पहली आवश्यकता है| जो भी प्रेस को फाइनेंशियली सपोर्ट करता है वह निश्चित रूप से प्रेस से सपोर्ट चाहता है| यह "गिव एंड टेक" जैसा सभी फील्ड में होता है वैसा ही प्रेस में भी होता है| भाजपा की सरकार आने के बाद एक बड़ा तबका उसकी विचारधारा के खिलाफ प्रेस में सक्रिय है|

कई बार सही होने पर और कई बार बना कर भी मोदी सरकार को प्रेस विरोधी साबित करने के प्रयास किए जाते हैं| गोदी मीडिया इसी आशय से उठाया जाता है| यूट्यूब और सोशल मीडिया पर पत्रकारों द्वारा एक दूसरे  की टोपी उछालने के वीडियो भरे पड़े हैं| प्रेस की अपनी कोई भी समस्या हो लेकिन वो “स्वतंत्रता” की समस्या तो बिल्कुल भी नहीं लगती| खबरों और तथ्यों को स्वतंत्रता पूर्वक देश दुनिया में पहुंचने से रोकने का दौर समाप्त हो चुका है| 

सोशल मीडिया और ऑनलाइन मीडिया जितनी तेजी से बढ़ेगा और यह मीडिया अपनी प्रामाणिकता बढ़ाता जाएगा, वैसे वैसे मीडिया का स्वरूप बदलता जाएगा| प्रेस फ्रीडम का नया दौर देखने को मिलेगा, जब देश का हर नागरिक अपनी बात स्वतंत्रता के साथ सोशल मीडिया में रख कर देश दुनिया तक अपनी आवाज पहुंचाने में सफल होगा|