राष्ट्र को काटकर बने पाकिस्तान के कारण ही भारत का राष्ट्रवाद देश के सिर चढ़कर बोल रहा है. जिस आतंकवाद ने भारत का खून बहाया, उसी के कारण देश में राष्ट्रवाद का ज्वार आया है..!!
पहलगाम के नरसंहार ने हर भारतीय की आत्मा को झकझोर दिया है. पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकाने उड़ाने के लिए शुरू ऑपरेशन सिंदूर भारत के सशक्त राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया है. बाईस अप्रैल के पहले वाले भारत के दृश्य अब नहीं दिखाई पड़ते. ना हिंदू मुस्लिम की राजनीति दिखती है और ना घरेलू मुद्दों पर देश ध्यान दे रहा है.
सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के रूप में भारत का राष्ट्रवाद पूरी दुनिया में पाकिस्तान को बेनकाब कर रहा है. एकजुट भारत का यह नजारा ऑपरेशन सिंदूर की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा सकता है.
अब तो भारत का राष्ट्रवाद पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) मांग रहा है. पीओके की मांग में अब भारत का सिंदूर भरने के लिए देश बेताब है. सेनायें तैयार हैं बस इंतजार केवल सही वक्त का है. तैयारी को नए सिरे से चाकचौबंद किया जा रहा है.
भारत के भीतर की राजनीति के सारे मुद्दे पीछे चले गए हैं. सेना का शौर्य और पराक्रम सबसे ऊपर है. सबसे ज्यादा चर्चा सैन्य उपकरणों की आत्मनिर्भरता का है. आकाश और ब्रह्मोस के साथ ही भारत निर्मित ड्रोन की मैन्युफैक्चरिंग नए दौर में पहुंच चुकी है.
किसी भी देश के लिए युद्ध हमेशा नुकसानदायक ही नहीं होता. पूरी दुनिया में युद्ध ही विकास का कारण भी बनता है. युद्ध के लिए ही सारी तैयारी होती हैं. शांति प्रिय भारत युद्ध की पहल नहीं करता लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए दुश्मन के घर में घुसकर मारने की क्षमता भी रखता है.
पिछले वर्षों में सैन्य उपकरणों और हथियारों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत में किए गए प्रयासों के परिणाम आपरेशन सिंदूर में देखकर पूरी दुनिया भौंचक है. पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को दुश्मन देश घोषित कर दिया है. पाक प्रायोजित आतंकवाद को प्राक्सी वार नहीं बल्कि खुला युद्ध मान लिया गया है. पूरी दुनिया में पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का अंग स्थापित करने के लिए भारत ने नेरेटिव बनाने में सफलता हासिल की है.
सिंधु जल संधि भी राष्ट्रवाद से जुड़ गई है. इस संधि के जो पहलू सामने आ रहे हैं. उससे इसके जरिए भारत के साथ हुए अन्याय की जानकारी मिल रही है. जो अब तक भारत की राजनीति नहीं कर सकी वह पहलगाम के नरसंहार ने कर दिया है. राष्ट्रवाद के लिए धर्म के नाम पर राजनीति को नकार दिया गया है.
दुनिया के देशों में गए सभी प्रतिनिधिमंडल में शामिल भारत के मुस्लिम सांसद जिस मुखरता और ताकत के साथ देश के लिए आवाज उठा रहे हैं, वह राष्ट्र को खुशी दे रहा है. इसके पहले देश में वक्फ़ कानून की राजनीति चरम पर थी. जिसको राष्ट्र के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. धर्म पूँछ कर हिंदूओं के नरसंहार करने की हृदय विदारक घटना ने भारत के मुसलमानों को भी दहला दिया है.
राष्ट्रवाद बीजेपी का पुराना एजेंडा है. राजनीति में उभार की शुरुआत में भाजपा हिंदुत्व की राजनीति पर आगे बढ़ी लेकिन राष्ट्रवाद को हमेशा ऊपर रखा. पाक प्रायोजित आतंकवाद से भारत आजादी के दिन से ही पीड़ित रहा है. पीएम मोदी कह रहे हैं कि 15 अगस्त 1947 के दिन ही भारत के कश्मीर में पहला आतंकवादी हमला हुआ था. उसी समय अगर उसको कुचल दिया गया होता, पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में मिला लिया गया होता तो आतंकवाद की जंड़ें इतना नहीं फैलती.
सरदार वल्लभभाई पटेल उस समय सैन्य कार्रवाई जारी रखना चाहते थे लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. जम्मू कश्मीर का विषय संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाकर इसे विवादास्पद बनाया गया. तब से ही यह मामला भारत को दुख दे रहा है.
किसी को भी ना अपनी और ना ही देश की डेस्टिनी का अनुमान होता है. आजादी के इतने समय बाद आतंकवाद के खिलाफ खुले युद्ध के लिए भारत आज खड़ा हुआ है तो यह डेस्टिनी, पहले से ही निर्धारित है. किसके नेतृत्व में यह युद्ध लड़ा जाएगा यह भी तय है. पाक अधिकृत कश्मीर कब भारत का वापस हिस्सा बनेगा, यह भी डेस्टिनी को पता है.
राजनीतिक विश्लेषक के नाते हम तो केवल हालातों की समीक्षा कर सकते हैं. इसके अनुसार भारत के राष्ट्रवाद का ज्वार अब पीओके आने तक नहीं रुकेगा. इस पर कोई भी राजनीति अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. महंगाई, बेरोजगारी और विकास की नीतियों को लेकर राजनीति सतत प्रक्रिया है, लेकिन जब राष्ट्रवाद की बात आती है तो सब कुछ दब जाता है.
पुलवामा अटैक के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक से देश में राष्ट्रवाद की लहर आई थी और उस पर सवार होकर मोदी सरकार फिर से सत्ता में पहुंची. ऑपरेशन सिंदूर ने तो पाकिस्तान के भीतर वह कर दिया है, जिसकी कल्पना ना पाकिस्तान को थी और ना ही पूरी दुनिया को. भारत ने आतंक के खिलाफ जो स्टैंड लिया है वह राष्ट्रवाद की भावना को लगातार मजबूत कर रहा है.
पाकिस्तान अपनी आदत से बाज नहीं आएगा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी वहां जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, वह यही बता रही हैं कि आतंकवाद उनका राष्ट्रीय धर्म बन गया है. भारत से दुश्मनी वहां की सेना और सरकार के लिए अवाम को बरगलाने का जरिया बना हुआ है. पाकिस्तान जरूर कोई ना कोई ऐसी हरकत करेगा जिसके कारण ऑपरेशन सिंदूर का दूसरा चरण होगा.
भारत केवल पाकिस्तान को नहीं बल्कि उनके सहयोगियों को भी संकेत भेज रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी नेविदेशी सामान का उपयोग नहीं करने की देशवासियों से अपील कर राष्ट्रवाद का नया आयाम पेश किया है. इस अपील का सीधा संकेत चीन को है. भारत की आत्मनिर्भरता विश्व शक्तियों को परेशान करने लगी है. इसी परेशानी का लाभ पाकिस्तान उठाने की कोशिश करता है.
ऑपरेशन सिंदूर से उभरा राष्ट्रवाद राजनीति के सारे घरेलू मामलों को पीछे कर देगा. लोकतंत्र में हर कदम पर राजनीति स्वाभाविक है. राष्ट्रवाद का एजेंडा राजनीति का एजेंडा बनेगा तो निश्चित रूप से इसका लाभ पीएम नरेंद्र मोदी को मिलेगा. फिलहाल उनके पास अपने कार्यकाल का चार साल का समय शेष है. लगता है कि, पीओके पर कोई सशक्त और मजबूत कदम शायद मोदी के ही भाग्य में लिखा है.