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लीडरशिप में भरोसा, गुड गवर्नेंस और योजनाओं की डिलीवरी ने किया काम, राज्यों के चुनाव परिणाम नए भारत का पैगाम..! सरयूसुत मिश्रा

सार

राजनीति से निराशा के इस दौर में चुनावी नतीजे और चार राज्यों में भाजपा की वापसी राजनीति के नए दौर का संकेत कर रही है| भाजपा हिंदुत्ववादी राजनीति से भारत के प्रधानमंत्री तक पहुंची, बीजेपी सरकारों की लीडरशिप ने गुड गवर्नेंस और योजनाओं की डिलीवरी का काम ईमानदारी से अंजाम दिया, इससे उसे मतदाताओं का विश्वास हासिल हुआ है|

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विस्तार

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा दोबारा सरकार में वापसी से नया इतिहास बना है| ये सकारात्मक राजनीति का उदाहरण है, साथ ही इस उपलब्धि के पीछे मतदाताओं के सामने विकल्पहीनता भी एक कारण है| आम जनता राजनीति से निराश है| अगर ऐसा संभव हो सकता कि बिना मतदान के गुड गवर्नेंस मिल सके तो लोग राजनेताओं को नकार देते| लेकिन लोकतंत्र की मजबूरी है कि मतदान से जन प्रतिनिधि चुनना है| इसलिए घटते  मतदान में भी बहुमत जीत जाता है|

इंडियन पॉलिटिक्स  में बदलाव का दौर चल रहा है| तुष्टीकरण की सियासत से ऊब चुके हिंदुस्तान में राजनीति का नया ट्रेंड शुरू हुआ है| मजबूत और विश्वसनीय नेतृत्व के साथ, सुशासन और विकास के लिए, ईमानदार प्रयासों की मतदाताओं को तलाश है| माफियावाद के सहारे, परिवारवाद और सरकार के प्रभाव से भ्रष्टाचार की मलाई चाटने की राजनीति बेनकाब हो चुकी है| स्ट्रोंग और निर्णायक लीडरशिप की ही पब्लिक में क्रेडिबिलिटी बची है| भारत की राजनीतिक आबोहवा भारतीय सभ्यता, संस्कृति, संस्कार के साथ समाधान की ओर बढ़ चली है|

पांच में से 4 राज्यों में भाजपा की विजय लीडरशिप में विश्वास, गरीबों के विकास, हिंदुत्व के उजास और मुस्लिम तुष्टीकरण में अविश्वास का नतीजा है| लॉ एंड आर्डर, माफिया पर बुलडोजर, महिलाओं के शक्तिशाली स्वर, हिंदुओं के धार्मिक स्थलों में अद्भुत विकास और  विस्तार से, मोदी और योगी के नेतृत्व में उपजे भरोसे से, नए पॉलीटिकल कल्चर का जन्म हुआ है| भ्रष्टाचार आज आम लोगों के लिए बड़ा मुद्दा है| मोदी और योगी की इमेज ऑनेस्ट लीडर की है| दोनों नेताओं का कोई परिवारजन   सक्रिय नहीं होने का भाव, जनता में यह विश्वास मजबूत करता है कि दोनों नेता बेहद इमानदारी से सरकार चला रहे हैं| दोनों नेताओं की इमेज का भरपूर लाभ, इन चुनावों में भाजपा को मिला है|

सबसे पहले उत्तर प्रदेश की बात करते हैं- उत्तर प्रदेश में भाजपा, सपा बसपा और कांग्रेस के बीच में मुकाबला था| परिणाम यह बता रहे हैं कि मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच में था| भाजपा नेतृत्व की इमेज जहां ईमानदार नेता की है, वहीं सपा के नेताओं की इमेज भ्रष्टाचार और माफियावाद में लिप्त होने की रही है| अखिलेश यादव की पूर्व में जो सरकार चली थी, उसके बैड परफॉर्मेंस को लोग भूल नहीं सके| सपा सरकार के दौर की गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार को याद कर, फिर से वैसी परिस्थितियां निर्मित करने का दुस्साहस नहीं कर सके| हालाकि  अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा सीटों की संख्या 2017 की तुलना में बढ़कर 3 गुना हो गई है| सपा के लिए यह उपलब्धि जरूर है, लेकिन मुस्लिम, यादव तुष्टीकरण और ध्रुवीकरण से सपा को मिली ये उपलब्धि, भविष्य में मजबूती देने के बजाय कमजोर ही करेगी| 

भारतीय जनता पार्टी का गठन और देश में उसके राजनीतिक उभार के इतिहास को देखा जाए तो, वह राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी हुई है, बाबरी मस्जिद का विध्वंस और राम मंदिर आंदोलन से भाजपा ने देश के जनमन में अपना स्थान बनाना शुरू किया| एक ओर जहां भाजपा अपने इस आधार को मजबूत करती गई वहीं देश की मुख्य पार्टी कांग्रेस एकवर्ग के तुष्टीकरण और परिवारवाद के कारण  सिमटती गई| उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां  सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की आत्मा बसती है| काशी मथुरा और अयोध्या  सहित सनातन धर्म के कई आस्था स्थल उत्तर प्रदेश में हैं| अयोध्या में राम मंदिर और काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण से भाजपा ने सनातन धर्मियों में अपने प्रति विश्वास को मजबूत किया है|

भाजपा के सरकारों में आने के पहले सनातन धर्म के धार्मिक स्थल उपेक्षा की स्थिति में थे| भाजपा ने हिंदुत्व के अपने बुनियादी आधार को मजबूत करने का सतत प्रयास किया, गुड गवर्नेंस और स्कीम्स की डिलीवरी को बिना किसी भेदभाव के अंजाम दिया, इसके कारण गरीबों को लाभ मिला और जातिवाद से ऊपर उठकर, गरीबों का एक बड़ा वर्ग भाजपा के साथ जुड़ गया, जिसका इन चुनावों में पार्टी को लाभ मिला है| बीजेपी के नेतृत्व में UP आज गुड गवर्नेंस और माफियामुक्त शासन का हिंदुत्व मॉडल बनकर उभरा है| 

किसान आंदोलन से भाजपा को कोई नुकसान इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि यह आंदोलन धीरे-धीरे किसानों के मुद्दे से हटकर भाजपा के खुले विरोध के रूप में स्थापित हो गया था| आम किसानों ने आंदोलन के नाम पर भाजपा विरोध को स्वीकार नहीं किया| लॉ-एंडआर्डर और राज्य की बेहतर व्यवस्थाओं ने आम लोगों को प्रभावित किया| योगी की स्ट्रांग लीडरशिप को पब्लिक ने पसंद किया| प्रधानमंत्री मोदी के करिश्माई नेतृत्व के मुकाबले में विपक्ष की राजनीति में कोई ऐसा लीडर आज की तारीख में नहीं है जिस पर पब्लिक विश्वास कर सके| जो भी विपक्षी नेता वर्तमान में सक्रिय हैं उनकी निजी क्रेडिबिलिटी सवालों के घेरे में है| जाति और धर्म विशेषकर मुस्लिम तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण से भले ही कुछ सीटें हासिल कर ली जाएं, लेकिन इससे  सरकारों का नेतृत्व मिलना कठिन है|

पंजाब के परिणाम भी राजनीति में निराशावाद पर ही आधारित लगते हैं|  कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल जिन्होंने लंबे समय तक राज्य पर शासन किया उनसे लोग निराश थे| भारतीय जनता पार्टी का वहां कोई आधार नहीं था| बीजेपी के लिए ये दूरगामी सोच का विषय है कि हिन्दुओं का अभिन्न अंग सिक्ख समुदाय पार्टी के साथ क्यों नहीं जुड़ सका है? जबकि ये समुदाय कांग्रेस के विरुद्ध है|  इसलिए विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी को भरपूर समर्थन देकर सरकार बनाने का काम किया गया|

मणिपुर और गोवा में भी बीजेपी ने अपनी सरकार वापस बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है| सामान्यतः सरकारों के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी आम होती है लेकिन भाजपा की सरकारें, प्रो-इनकंबेंसी का सफल प्रयोग करती हैं|  उत्तराखंड में भी भारतीय जनता पार्टी ने  बहुमत प्राप्त कर लिया है| इस राज्य में भी हर 5 साल में सरकारें बदलती रही हैं| लेकिन पहली बार भाजपा ने दोबारा सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है| यह बात अलग है कि भाजपा के मुख्यमंत्री खुद चुनाव हार गए हैं| भाजपा के लिए भी यह चुनाव परिणाम खुशी के साथ आत्मावलोकन का मौका दे रहे हैं|

उत्तर प्रदेश में भी 2017 की तुलना में सीटें कम हो गई है, महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा भी लोगों के जेहन में लगातार बना हुआ है| चुनाव में जीत से यह मुद्दे खत्म नहीं हो गए हैं, भाजपा सरकारों को महंगाई और बेरोजगारी पर नियंत्रण के उपाय करने होंगे| दिखावे से ज्यादा वास्तविकता पर सरकारों को काम करने की जरूरत है| केवल प्रोपेगंडा, उपलब्धि नहीं दे सकता| पांचों राज्यों के चुनाव परिणाम के संकेत 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बहुत सकारात्मक हैं| मुस्लिमों के लिए भी यह चुनाव अलार्मिंग हैं  क्योंकि उनकी पूरी कोशिशों और ध्रुवीकरण के बाद भी उनकी समर्थक पार्टी सत्ता तक नहीं पहुंच सकी है| भाजपा को मुस्लिम कंसोलिडेशन के लिए राष्ट्रहित में प्रयास करना चाहिए और मुस्लिम समुदाय को भी राजनीतिक छुआछूत की भावना से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है|

मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में एक दशक से ज्यादा समय से भाजपा की सरकारें हैं और मुस्लिम समुदाय न केवल सुरक्षित है, बल्कि विकास के नए आयाम छू रहा है ऐसी परिस्थितियां मुस्लिम मनोभाव से भाजपा के प्रति नकारात्मक भाव को खत्म करने के लिए पर्याप्त है| भारतीय राजनीति का जो नया दौर शुरू हुआ है इसमें मुस्लिम समुदाय को भी भारतीयता की सोच के साथ आगे आकर विकास और गुड गवर्नेंस के आधार पर मतदान करना चाहिए| ऐसी सोच उदार राजनीतिक वातावरण निर्मित करेगी और राष्ट्र के विकास को एक नया स्वरूप प्रदान करेगी|