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मौसम, दुष्काल और मजबूरी 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Tue , 27 Jul

सार

मौसम की तीव्रता शारीरिक व मानसिक कष्ट बढ़ा रही है। कोरोना की जांच की होम टेस्टिंग सुविधा बाजार में उपलब्ध होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग घरों में जांच कर रहे हैं लेकिन यह जांच कितनी प्रामाणिक है और कितनी सावधानी से की जा रही है, कहना कठिन है

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विस्तार

भोपाल. मध्यप्रदेश तो क्या पूरा देश ठंड का प्रकोप झेल रहा है |समूचे भारत में सदियों से स्थापित मान्यता के बदलने के आसार दिख रहे हैं | आम मान्यता यह है कि मकर संक्रान्ति पर सूर्य के उत्तरायण होने से सर्दी की विदाई शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार तो ठंड लौट-लौटकर आ रही है। मौसम विभाग का अनुमान इस मास के अंत तक ऐसी ही सर्दी गिरने का है | पहाड़ बर्फ से लदे हैं तो मैदानों में बारिश ठिठुरन बढ़ा रही है। जगह-जगह बर्फबारी के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। 

कहीं लगातार रिकॉर्ड बारिश हो रही है तो कहीं ओले गिर रहे हैं। मुश्किलों में भी प्रहसन तलाशने वाले कुछ लोग कह रहे हैं कि कहीं सूर्यदेव२०२१ में ही तो नहीं रह गये? क्या वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं? बहरहाल, मौसम विज्ञानी बता रहे हैं कि सर्दी की तल्खी की वजह पाकिस्तान के ऊपर सक्रिय वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है जो भारत में बारिश, कोहरा व बर्फबारी बढ़ा रहा है। जो इस पूरे हफ्ते सूर्यदेव आँख मिचौली खेलते रहे हैं, इसकी वजह जनवरी में कई बार होने वाला वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ही है। बताते हैं कि संभवत: २७ जनवरी के बाद सूर्यदेव नजर आयेंगे। भले ही सेबों के लिये बर्फबारी मुफीद हो, खेतों के लिये बारिश लाभदायक हो, लेकिन आम आदमी के लिये तो ठिठुरन मुश्किलों भरी है। खासकर समाज के अंतिम व्यक्ति के लिये यह कष्टदायक है। वह भी जब देश दुष्काल की तीसरी लहर से दो-दो हाथ कर रहा है।रोज बढ़ते आंकड़े डरा रहे हैं |

सारे देश में ठंड से तो जनजीवन अस्त-व्यस्त है ही, लेकिन सबसे बड़ा संकट कोविड-१९ के नये रूप से आये संक्रमण का है। हर कोई व्यक्ति मौसम की तल्खी से भयाक्रांत है। वजह यह कि देश में पहले से ही मौसमी बीमारी लाने वाले कई तरह के फ्लू घर बनाये हुए हैं। मौसमी बदलाव की तीव्रता से हर साल होने वाली सर्दी-खांसी-जुकाम-बुखार आम बात है। लेकिन दुष्काल के संक्रमण की तीसरी लहर में यह स्थिति डरा रही है। एक आम आदमी के लिये यह तय कर पाना मुश्किल है कि यह सामान्य फ्लू है या नया वेरिएंट ओमीक्रोन है। यह अच्छी बात है कि इस लहर में अस्पताल मंय भर्ती होने व ऑक्सीजन चढ़ाने के मामले घटे हैं, लेकिन दूसरी लहर की भयावह तस्वीरें हर किसी को विचलित करती हैं। 

ऐसे में मौसम की तीव्रता शारीरिक व मानसिक कष्ट बढ़ा रही है। कोरोना की जांच की होम टेस्टिंग सुविधा बाजार में उपलब्ध होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग घरों में जांच कर रहे हैं लेकिन यह जांच कितनी प्रामाणिक है और कितनी सावधानी से की जा रही है, कहना कठिन हैऔर एक बड़ा सवाल भी है । वहीं ठंड की अधिकता में होने वाली ऊंच-नीच मानसिक दबाव तो बनाती ही है, कहीं ओमीक्रोन ने घर तो नहीं देख लिया। देश में ऐसे लोगों की भी संख्या बहुत बड़ी है जो संक्रमित तो हैं लेकिन खुद को सामान्य खांसी-जुकाम से पीड़ित मानकर सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं। अभी ठीक-ठीक कह पाना संभव भी नहीं है कि ठंड की तल्खी से कब तक पूरी तरह राहत मिल पायेगी। मौसम की तल्खी अपनी जगह और दुष्काल की तीसरी लहर नये कीर्तिमान बना रही है, ऐसे में दोनों से बचाव जरूरी है |