कांग्रेस मध्य प्रदेश में चुनावी तैयारियों में जुट गई है| पीसीसी प्रेसिडेंट कमलनाथ नेताओं में एकता कराने के मिशन पर लगे हुए हैं| पार्टी नेताओं को ऐसा लग रहा है कि कांग्रेसियों के बीच एकता कायम कराने में सफलता मिल गई तो चुनाव में भाजपा का मुकाबला करना कठिन नहीं होगा..!
कमलनाथ भाजपा सरकार के खिलाफ आरोप पत्र भी जारी करने वाले हैं| इसके लिए नेताओं की कमेटी भी बना दी गई है| मुद्दों के साथ अगले चुनाव का एजेंडा फिक्स करते हुए कमलनाथ के एक सर्कुलर ने सवाल खड़े कर दिए हैं, कि क्या मध्यप्रदेश में कांग्रेस अगले चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे पर चुनाव लड़ेगी?
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से राम नवमी के अवसर पर एक सर्कुलर जारी किया गया था| इस सर्कुलर में रामनवमी पर भगवान राम का कथावाचन, रामलीला, पूजा-अर्चना के साथ हनुमान जयंती पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, के पाठ करने की हिदायत दी गई थी|
कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा कमलनाथ के हिंदुत्व के इस एजेंडे को राज्य में लागू किया गया| इसके बाद से ही राजनीतिक विश्लेषकों को ऐसा लग रहा है, शायद प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा के हिंदुत्व का मुकाबला करने के लिए, अगला चुनाव हिंदुत्व की पिच पर ही लड़ने का निश्चय किया है|
कांग्रेस पार्टी की 2014 के लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद, आंतरिक कमेटी ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें कहा गया था, कि अल्पसंख्यक वर्ग के प्रति ज़रूरत से ज्यादा झुकाव से बहुसंख्यक वर्ग पार्टी से दूर हो गया है| इसके बाद से ही कांग्रेस भिन्न भिन्न ढंग से अपने हिंदुत्व को पब्लिक के सामने रखने का प्रयास करती रही है|
यह बात अलग है कि किसी भी राज्य में उसका फायदा पार्टी को नहीं मिला, बल्कि नुकसान ही हुआ| यूपी जैसे प्रदेश में कांग्रेस की चुनाव में जो हालत हुई है, वह सर्वविदित है| प्रदेश कांग्रेस में हिंदुत्व के एजेंडे पर चुनाव लड़ने को लेकर मतभिन्नता भी है| लेकिन कमलनाथ के आगे कोई दूसरा विचार लागू होने का सवाल ही उपस्थित नहीं होता|
कमलनाथ ने 2018 के चुनाव में भी पांढुर्ना में हनुमान मंदिर में दर्शन और मंदिर निर्माण में अपनी भूमिका को लेकर काफी प्रचार-प्रसार कराया था| उसके पीछे भी उद्देश्य यही था कि वह भी हिंदुत्व के हिमायती हैं| देश में केवल तीन राज्य हैं राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है| क्योंकि यहां पर तीसरा दल अभी तक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर सका है| आम आदमी पार्टी जैसे अन्य राज्यों में अपना प्रभुत्व बनाने का प्रयास कर रही है वैसा मध्यप्रदेश में भी कर सकती है|
हिंदुत्व के मामले में कांग्रेस लगातार गलती करती जा रही है| गुजरात में पिछले चुनाव में भाजपा के खिलाफ व्यापक जन आक्रोश देखा जा रहा था| कांग्रेसी भाजपा के खिलाफ पाटीदार आंदोलन, हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश को हीरो के रूप में सर पर उठाये हुए थे|
माहौल कांग्रेस के पक्ष में दिखाई पड़ रहा था, लेकिन अचानक कांग्रेस की गलत नीति के कारण चुनाव भाजपा के पक्ष में चला गया| राहुल गांधी जब चुनाव प्रचार के लिए गुजरात पहुंचे तब उन्होंने मंदिर-मंदिर जाकर दर्शन कर अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया| भाजपा जो हिंदुत्व की पिच को स्वयं आगे बढ़ाने से कतराती रही लेकिन जब उसे विपक्ष की ओर से यह पिच मिल जाए तो फिर उसे मैदान जीतने से कोई रोक नहीं पाता|
मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस यही गलती करने जा रही है| जब कांग्रेस हिंदुत्व पर आगे बढ़ेगी| तब प्रदेश में चुनाव में हिंदुत्व को धार देने में कांग्रेस की भूमिका होगी| भाजपा तो चाहती ही है चुनाव हिंदुत्व की पिच पर हो| कांग्रेस जाल में फंस रही है| रामनवमी और हनुमान जयंती पर पीसीसी की तरफ से सर्कुलर जारी करना, इस बात का संकेत है कि कमलनाथ हिंदुत्व के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहे हैं|
अब सवाल यह है कि जब हिंदुत्व के एजेंडे पर चुनाव होगा तो फिर हिंदुत्व का हिमायती भाजपा को माना जाएगा या कांग्रेस को? अभी तक देश में जिस तरह के चुनाव परिणाम आए हैं उनको देखकर लगता है कि हिंदुत्व के नायक के रूप में बीजेपी को देश में स्वीकार किया जा रहा है| जैसे ही कांग्रेस हिंदुत्व के चुनावी गेम में उतरने की कोशिश करती है तो हिट विकेट हो जाती है| हिंदुत्व के चुनावी मैदान में उतरते ही कांग्रेस के इतिहास में हिंदुत्व के खिलाफ किए गए काम भाजपा गिनाने लगती है|
चुनाव इस बात पर आ जाता है कि असली हिंदू कौन है? भगवान राम और राम सेतु को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस पार्टी की अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर भूमिका भी चर्चा में आ जाती है?हिंदुत्व के लिए कांग्रेस की प्रतीकों की राजनीति को जनता पाखंड मानती है| हिंदुत्व की कसौटी पर बीजेपी को स्वीकार करने की देश में एक सामान्य धारणा बन गई है| बीजेपी के मुकाबले कोई दूसरा हिंदुओं का हिमायती साबित नहीं हो सकता|
हिंदुत्व कांग्रेस की गले की हड्डी बन गया है| चुनाव के समय जब भी कांग्रेस हिंदुत्व को धार देने लगती है तो बीजेपी की पिच पर खेलने की गलती करती है| बीजेपी मुकाबले में बाजी मार लेती है| विकास के एजेंडे पर कांग्रेस का प्रदेश में क्रेडिट स्कोर उपलब्धिपूर्ण नहीं माना जाता|
बीजेपी सरकार की Anti-incumbency के कारण 2018 में सरकार बनाने में कांग्रेस सफल रही| लेकिन पन्द्रह महीने की अपनी सरकार में उसने एंटी इनकंबेंसी का बहुत बड़ा पहाड़ खड़ा कर दिया| अब शायद निकट भविष्य में एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाने की स्थिति में कांग्रेस नहीं पहुंच सकेगी|
यही वजह है कि उसका चुनाव का एजेंडा हिंदुत्व की तरफ जा रहा है| कमलनाथ कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता है| उनके द्वारा चुनाव को यदि कोई दिशा दी जा रही है तो इसके पीछे का गणित उन्होंने समझ ही लिया होगा| हालाकि राजनीतिक विश्लेषक हिंदुत्व के एजेंडे पर चुनाव लड़ने की कांग्रेस की कोशिश को राजनीतिक रूप से नुकसान का सौदा मान रहे हैं|