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पारंपरिक शिक्षण विधि से हटकर ‘एआई’

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 23 Jul

सार

यह न केवल छात्रों के लिए एक नई दिशा के द्वार खोल रहा है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी कार्यक्षमता और दक्षता बढ़ाने का एक साधन बन चुका है, अनादिकाल से ही शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को पाठ्यक्रम पढ़ाना भर नहीं रहा है, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए तैयार करना भी है..!!

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विस्तार

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग आज पारंपरिक शिक्षण विधियों से हटकर, छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को और अधिक सुलभ, प्रभावी और व्यक्तिगत बनाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। अब यह न केवल छात्रों के लिए एक नई दिशा के द्वार खोल रहा है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी कार्यक्षमता और दक्षता बढ़ाने का एक साधन बन चुका है। अनादिकाल से ही शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को पाठ्यक्रम पढ़ाना भर नहीं रहा है, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए तैयार करना भी है। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षा प्रणाली लचीली, समावेशी और छात्रों के व्यक्तिगत स्तर पर ध्यान देने वाली हो। एआई की मदद से इस लक्ष्य को हासिल करना अब और भी संभव हो गया है। 

एआई का सबसे बड़ा योगदान यह है कि यह व्यक्तिगत शिक्षण को सक्षम बनाता है। सर्वमान्य शैक्षिक नियम है कि हर छात्र का सीखने का तरीका और गति अलग होती है, और एआई इसी विविधता को गहरे से समझकर छात्रों के लिए अनुकूलित शैक्षिक वातावरण निर्मित करने में सहायक है। उदाहरण के लिए, एआई का उपयोग छात्रों की जरूरतों के आधार पर अनुकूलित पाठ्यक्रम, एसाइनमेंट और परीक्षा प्रदान करने में किया जा सकता है। यही नहीं, एआई आधारित टूल्स छात्रों की क्षमताओं और कमजोरियों का विश्लेषण करते हुए, उन्हें उनके कमजोर क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के लिए सुझाव देते हैं। इस प्रकार, एआई प्रत्येक छात्र के लिए एक व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव बना सकता है, जो उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो।

इसके अलावा एआई के द्वारा छात्रों को स्वचालित ट्यूटरिंग की सुविधा मिलती है। कई एआई प्लेटफॉर्म छात्रों को 24/7 सहायता प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें अपनी किसी भी शैक्षिक शंका का समाधान तुरंत मिल जाता है। एआई चालित चैटबोट्स छात्रों के सवालों का उत्तर देने, पाठ्यक्रम से संबंधित सामग्री समझाने और उनकी प्रगति पर नजर रखने का काम करते हैं। इस तरह, विद्यार्थियों को किसी भी समय मार्गदर्शन प्राप्त होता है, जिससे उनके सीखने की प्रक्रिया में निरंतरता-गतिशीलता बनी रहती है। एआई की मदद से वर्तमान शिक्षा की मूल्यांकन प्रक्रिया में भी बदलाव आया है।

पारंपरिक तरीके से परीक्षा लेने और उसे मैन्युअली ग्रेड करने की तुलना में एआई आधारित प्रणाली बहुत तेजी और सटीक रूप से मूल्यांकन कर सकती है। एआई का उपयोग कागजी उत्तर पुस्तिकाओं के बजाय डिजिटल परीक्षा पत्रों का मूल्यांकन करने में किया जा सकता है। इससे न केवल समय की बचत होती है, अपितु छात्रों की प्रगति को भी आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। एआई छात्रों के उत्तरों का स्वचालित मूल्यांकन करता है और उनके प्रदर्शन के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है जो शिक्षकों को छात्रों की सटीक प्रगति समझने में मदद करती है। शिक्षकों के लिए एआई शिक्षा में एक सहायक भूमिका निभाता है।

शिक्षकों के पास विद्यार्थियों के व्यक्तिगत विकास की दिशा में ध्यान देने के लिए बहुत सीमित समय होता है, क्योंकि उन्हें प्रशासनिक कार्यों और अन्य जिम्मेदारियों का भी सामना करना पड़ता है। एआई का उपयोग शिक्षकों को इन कार्यों से मुक्त कर सकता है। उदाहरण के लिए, छात्र की उपस्थिति, ग्रेडिंग और रिपोर्ट जनरेशन जैसी प्रक्रिया को एआई द्वारा स्वचालित किया जा सकता है, जिससे शिक्षक अपना कीमती समय छात्रों के साथ संवाद और व्यक्तिगत मार्गदर्शन देने में व्यतीत कर सकते हैं। यही नहीं, आज स्मार्ट क्लासरूम्स का विचार भी एआई की मदद से साकार हो रहा है।

एआई आधारित तकनीकों का उपयोग क्लासरूम के वातावरण को अनुकूलित करने में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए क्लासरूम में शोर, तापमान और अन्य कारकों को नियंत्रित करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि छात्रों को एक आरामदायक और ध्यान केंद्रित वातावरण मिल सके। इसके अलावा, वीडियो, वर्चुअल रियलिटी (वीआर) और ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) जैसी तकनीकों का उपयोग करके शिक्षा को और अधिक आकर्षक और इंटरएक्टिव बनाया जा सकता है। एआई इन सभी तकनीकों का सही तरीके से उपयोग कर, छात्रों को एक गहन, मोहक और अनुभवात्मक शिक्षण अनुभव प्रदान करता है।

एआई का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह शिक्षा को और अधिक समावेशी बनाता है। विशेष रूप से विकलांग छात्रों के लिए एआई आधारित तकनीकें अत्यधिक सहायक साबित हो सकती हैं। आज जैसे-जैसे कार्य स्थल पर तकनीकी क्षमताओं की मांग बढ़ी है, इसे देखते हुए एआई का इस्तेमाल छात्रों को इन कौशलों में दक्ष बनाने के लिए किया जा सकता है। एआई के माध्यम से छात्रों को उभरते हुए क्षेत्रों, जैसे डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के बारे में ज्ञान दिया जा सकता है, जो भविष्य में उनके करियर के लिए सहायक साबित होगा।

एआई के उपयोग के साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हैं। एक बड़ी चुनौती यह है कि एआई के माध्यम से शिक्षा का लाभ केवल उन छात्रों तक सीमित हो सकता है, जो तकनीकी रूप से सक्षम हैं, जिनके पास उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी सुविधाएं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों और विकासशील देशों में जहां इंटरनेट और स्मार्टफोन की पहुंच सीमित है, वहां एआई आधारित शिक्षा का प्रभाव कम हो सकता है।

एआई द्वारा छात्रों की निगरानी और डेटा संग्रहण से गोपनीयता के मुद्दे भी उत्पन्न हो सकते हैं। छात्रों के व्यक्तिगत डेटा का सुरक्षित और उचित तरीके से उपयोग करना जरूरी है। ऐसे में एआई को केवल सहायक उपकरण के रूप में देखना होगा, न कि शिक्षक के रूप में। शिक्षक की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है और रहेगी भी, क्योंकि एआई के पास मानवीय समझ और भावनाओं की कमी है। एक अच्छा शिक्षक न केवल पाठ्य सामग्री सिखाता है, बल्कि छात्रों को मानसिक और भावनात्मक रूप से भी विकसित करता है। एआई केवल एक साधन है जो इस प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बना सकता है।