बुन्देली पहेलियाँ -दिनेश मालवीय


स्टोरी हाइलाइट्स

बुन्देली पहेलियाँ -दिनेश मालवीय मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में प्रचलित पहेलियों की श्रृंखला में अब हम बुंदेलखंड की पहेलिओं से आपको अवगत करा रहे हैं. बुंदेलखंड वीरों के साथ-साथ साहित्यकारों की भूमि भी है, जहाँ अनेक महान कवि और लेखक हुए हैं और आज भी हैं. इन पहेलियों का संकलन डॉ. ओमप्रकाश चौबे और डॉ कुंजीलाल पटेल ने किया है. 1.     फरै ने फूलै, छबलों टूटे (राख) 2.     पेड़ ने पत्ता ऊपर छत्ता (अमरबेल) 3.     भरे कुआँ में कंडा अताराय (मक्खन) 4.     एक कड़ी, एक पड़ी, एक छमछम होय (रोटी) 5.     अपन ताऊ कारिं केवला सीं, वितिये जाई पठोला सीं (कड़ाही, पूड़ी) 6.     एक लरका बम्मन काउ, तिलक लगाय चन्दन कौ (उड़द) 7.     बाबा सोवे ई घर में, पांव असारे ऊ घर में (लंगड़) 8.     आंगे-आंगे वैने अई, पाछें-पाछें भैया दांत निकारें दादा आये, चुनरी ओढ़े मैया (भुट्टा) 9.     नाना-नानी सुनो कहानी, एक घड़ा में दो रंग पानी (अंडा) 10.                        रींग-रींगा, तीन सींगा, गाय काली, दूध मीठा (सिंघाड़ा) 11.                        भरे तला में रामबाई लोटें (जीभ) 12.                        एक गाँव में ऐसा हुआ, आधा वगला आधा सुआ (मूली) 13.                        तीन अक्षर का मेरा नाम, उलटा-सीधा एक समान (डालडा) 14.                        हरीरी डब्बी, पीला मकान, ओमें बैठे कालूराम (पपीता के बीज) 15.                        नाय गी, माय गई, चोखटो सो टांग गयी (ताला) 16.                        तनक सी विलैया, बड़ी सी पूँछ जहाँ जाय विलैया, तहाँ जाय पूँछ (सुई,धागा) 17.                        मारे से वो जी उठे, विन मारे मर जाय विना पांव जग-जग फिरै, हातो हांत विकाय. (तबला) 18.                        एक पकन्ना, दो लटकन्ना (तराजू) 19.  ऐसो पेडो कायको होय, जाकी पाती झरत न होय (खजूर) 20.कुत्ता की पूँछ मोरे पास, कुत्ता भोंके इलाहाबाद (बन्दूक) 21.  एक थाल मोटी से भरा, सबके सिर के ऊपर खड़ा चारऊ तरपे थाल फिरै, मोटी ओसें एक नें गिरे (आकाश-तारे) 22.  छोटो फकीर ऊके पारी लकीर (गेहूँ) 23.  हरा चोर लाल मकान, इसमें बैठा कला पठान. (तरबूज) 24.  तीन खूँट की तितली, नहा-धोके निकली (समोमा) 25.  हरीरी झंडी लाल कमान, तौबा-तौबा करे पठान लाल मिर्ची)