भोपाल: राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि वनों में अवैध कटाई एवं अवैध खनन के संगठित अपराध जोकि आदिवासियों के खिलाफ दर्ज हैं, न्यायालय से वापस नहीं लिये जायेंगे।
वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णमाल द्वारा जारी निर्णय में कहा गया है कि वनों में जिन अतिक्रमणकारियों से वन भूमि रिक्त करा दी गई है, उनके विरुध्द न्यायालयीन केस वापस लिये जा सकेंगे। तेन्दूपत्ता एवं काष्ठ चिरान के मामलों में दर्ज वन अपराध भी कोर्ट से वापस लिये जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने वन अधिनियम 1927 एवं वन्य प्राणी संरक्षण एक्ट 1972 के अंतर्गत आदिवासियों के विरुध्द विगत दस वर्षों में दर्ज वन अपराधों को निराकृत करने का निर्णय लिया है। इनमें 4 हजार 395 प्रकरण न्यायालय में दर्ज हैं जिनमें अवैध कटाई के 796, अतिक्रमण के 2 हजार 211, अवैध उत्खनन के 93, वन्यप्राणी से संबंधित 961 तथा अन्य 325 केस शामिल हैं। अब इन मामलों के उक्त निर्णयों के अनुसार न्यायालय से वापस लिया जायेगा।