स्टोरी हाइलाइट्स
गोकर्णं में एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। एक बार नारद जी वहां आये और वे शिव जी की पूजा करना चाहते थे। राह में उन्होंने एक चम्पक का पेड़ देखा जो बहुत सुंदर फूलों
चम्पक का पेड़ और नारद
गोकर्णं में एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। एक बार नारद जी वहां आये और वे शिव जी की पूजा करना चाहते थे। राह में उन्होंने एक चम्पक का पेड़ देखा जो बहुत सुंदर फूलों से लदा हुआ था।
नारद प्रसन्न मन से उसे देख रहे थे कि ये फूल शिव जी के लिए लेकर जाएँ। तभी एक ब्राह्मण वहां आया किन्तु नारद जी के सामने फूल तोड़ने में संकोच में पड़ गया। नारद जी ने पूछा - हे ब्राह्मण , आप कहाँ जाते हैं ? ब्राह्मण ने झूठ ही कह दिया कि मैं भिक्षा मांगने जा रहा हूँ।
तब नारद जी मंदिर को गए और उनके जाते ही ब्राह्मण ने सारे फूल तोड़ लिए। अपनी डलिया को वस्त्र से ढंक कर वह लौटने लगा तो मंदिर से लौटते नारद जी से फिर भेंट हुई। नारद जी ने फिर पूछा अब कहाँ जाते हो ? तो फिर ब्राह्मण ने फिर झूठ कहा - घर जाता हूँ। नारद जी को विश्वास न हुआ। उन्होंने चम्पक पेड़ से प्रश्न किया - क्या उस ब्राह्मण ने तुम्हारे फूल लिए ? चम्पक ने कहा - "क्या? कौन ब्राह्मण? आप किसकी बात कर रहे हैं ? मैं किसी ब्राह्मण को नहीं जानता। "
तब नारद जी वापस मंदिर गए जहां उन्होंने वे ही फूल शिवलिंग पर देखे। तब उन्होंने वह प्रार्थना करते दूसरे भक्त से पूछा कि ये फूल कौन लाया था?
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया - वही दुष्ट ब्राह्मण लाया था जो अभी आपके आगे आगे आया। वह रोज़ चम्पक पुष्पों से शिव पूजा करता है और शिव जी की उस पर कृपा है। इस शिव कृपा के कारण उसने गोकर्ण के राजा को अपने चंगुल में ले रखा है और बहुत धन सम्पत्ति बनाई है। वह दुसरे ब्राह्मणों का अपमान भी करता है।
तब नारद जी ने शिव जी से प्रश्न किया कि आप क्यों ऐसे दुष्ट का साथ देते हैं ? शिव जी बोले कि यदि कोई चम्पक पुष्पों से मेरी पूजा करे तो मैं कुछ नहीं कर सकता - मुझे उसकी पूजा स्वीकार करनी ही होगी।
तब नारद जी ने सोचा ऐसे दुष्टों को शिव जी से दूर रखना आवश्यक है। उन्होंने झूठ बोलने वाले चम्पक को श्रापित किया कि अब कभी चम्पक फूल शिव जी को नहीं चढ़ेंगे। और उस ब्राह्मण को अगले जन्म में राक्षस होने का श्राप मिला। अगले जन्म में राक्षस हुआ वह ब्राह्मण शिव जी के ही हाथों से मृत्यु को प्राप्त हुआ और पुनः ब्राह्मण हुआ।