इलेक्टोरल बॉन्ड पर CJI की SBI को फटकार- बताना होगा सब कुछ


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स्टोरी हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट- SBI को सभी आवश्यक जानकारी करनी होगी प्रदान..!!

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने हाल ही में अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी अपलोड की है। हालांकि, इसमें कोई भी बॉन्ड नंबर नहीं है। इलेक्टोरल बॉन्ड के विशेष नंबरों के खुलासे पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की संविधान पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि SBI को सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करनी होगी। इस पर SBI ने कहा कि उसे बदनाम किया जा रहा है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने चुनावी बांड की अद्वितीय संख्या के मुद्दे पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ SBI की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे से कहा कि हमने पूरी जानकारी मांगी है। लेकिन SBI ने चुनिंदा जानकारी मुहैया कराई है। वह ऐसा नहीं कर सकती। इस बारे में साल्वे ने कहा कि हम सारी जानकारी मुहैया कराने को तैयार हैं।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप हर बात के लिए हमारे आदेश का इंतजार नहीं कर सकते। आपको आदेश को समझना होगा। इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि SBI के बारे में गलत छवि बनाई जा रही है। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि आदेश में क्या लिखा था। हम समझते हैं कि हमसे बांड की तारीख, बांड खरीदने वाले व्यक्ति का नाम, राशि और नकद प्राप्त करने वाले व्यक्ति का विवरण प्रदान करने के लिए कहा गया है।

सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को बताना होगा कि उन्हें किसने कितना चंदा दिया और इसकी जानकारी भी सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को दी गई। इसलिए मजबूरन ये जानकारी सामने लानी पड़ी। उन्होंने कहा कि अगर बॉन्ड नंबर देना होगा तो हम जरूर देंगे। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है।

CJI ने हरीश साल्वे से पूछा कि आप हमें बताएं कि आपके पास डेटा किस फॉर्म में है। साल्वे ने जवाब दिया कि पहले गोपनीयता का प्रावधान था, इसलिए इसे अलग रखा गया। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले आपने दो अलग-अलग जगहों पर आंकड़े दिये थे। अब ऐसा लग रहा है कि डेटा तीन जगहों पर था। बॉन्ड नंबर अलग जगह पर था। साल्वे ने जवाब दिया कि नहीं, ये सिर्फ दो जगहों पर था।

चीफ जस्टिस ने पूछा, फिर अल्फा न्यूमेरिक यूनिक नंबर का क्या उपयोग? क्या कैशियर ने शाखा संख्या का मिलान नहीं किया और भुगतान नहीं किया? साल्वे ने कहा कि नहीं, वह भी केवाईसी के आधार पर कैश किया गया था। उस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह ठीक है। अब हम निर्देश देते हैं कि SBI को बॉन्ड संख्या का भी खुलासा करना चाहिए और कोई अन्य जानकारी नहीं रखनी चाहिए। यह सब बताना होगा।

साल्वे ने कहा, बेशक, लेकिन मीडिया और अन्य जगहों पर हमें गलत तरीके से बदनाम किया जा रहा है। हमें कोई भी जानकारी छुपाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। हम सब कुछ मुहैया कराएंगे। 

दरअसल, पिछली बार जब इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी तो कोर्ट ने SBI द्वारा बॉन्ड का यूनिक नंबर न बताने पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा कि SBI को यूनिक नंबर का खुलासा करना चाहिए क्योंकि वह ऐसा करने के लिए बाध्य है। यूनिक नंबर के जरिए यह पता चल सकेगा कि चंदा किस राजनीतिक दल को दिया गया और चंदा देने वाला व्यक्ति/कंपनी कौन थी.