बुर्का या दुपट्टा पहनना हर महिला का अपने अधिकार या अपनी रुचि के अनुसार होता है। ना ही उन्हें इसे हटाने और नाहीं पहनने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए।
बिहार से सामने आए वीडियो ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे अपॉइंटमेंट लेटर बांटने के समारोह के दौरान एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के चेहरे से हिजाब हटाते हुए दिख रहे हैं। यह घटना सोमवार 15 दिसंबर को पटना के बापू ऑडिटोरियम में हुई, जहां 1,000 से ज़्यादा डॉक्टरों को अपॉइंटमेंट लेटर बांटे जा रहे थे।
वीडियो में दिख रहा है कि डॉ. नुसरत परवीन जैसे ही स्टेज पर पहुंचीं, नीतीश कुमार ने उनका हिजाब हटाने की कोशिश की। पूरा सीन कैमरे में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर सीएम के इस व्यवहार पर कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
घटना के बाद, AIMIM ने X पर पोस्ट करते हुए कहा कि CM का किसी महिला के बुर्के/हिजाब में दखल देना बिल्कुल मंज़ूर नहीं है, और अगर उनमें ज़रा भी नैतिकता है, तो उन्हें सबके सामने माफ़ी मांगनी चाहिए। पार्टी ने यह भी कहा कि इस तरह की हरकतों से मुस्लिम महिलाओं में अपनी सुरक्षा और इज़्ज़त को लेकर डर बढ़ता है।
RJD ने भी एक वीडियो पोस्ट किया और CM की कड़ी आलोचना की। पार्टी ने X पर लिखा कि नीतीश कुमार की मानसिक हालत "खराब" हो गई है या वह "100% संघी" हो गए हैं। RJD का आरोप वायरल वीडियो पर आधारित है।
वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि नुसरत परवीन अपना अपॉइंटमेंट लेटर लेने के लिए आगे बढ़ रही हैं, तभी मुख्यमंत्री उनका हिजाब पकड़कर खींच देते हैं। डिप्टी CM सम्राट चौधरी उन्हें रोकने की कोशिश करते दिख रहे हैं, लेकिन तब तक बिजाब नीचे आ जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिला डॉक्टर इस हरकत से असहज दिखीं और पीछे हट गईं। इस घटना के बाद, वहां मौजूद अधिकारियों और लोगों में हंगामा मच गया।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह महिला की निजी आज़ादी और धार्मिक पहचान का उल्लंघन है। कई पार्टियों ने कहा कि यह असंवेदनशीलता का उदाहरण है। AIMIM और RJD दोनों ने सार्वजनिक रूप से माफ़ी और जवाब की मांग की है।
पुराण डेस्क